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किसान भड़के तो 'कृषि कानूनों को वापस' लाने पर मंत्री ने सफाई दे दी!

पहले किया था वापसी का इशारा. अब कहा, कृषि कानून वापस नहीं लाएगी सरकार.

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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानून वापसी के बयान पर दी सफाई. तस्वीर- आजतक
कृषि कानूनों (Farm Laws) के वापसी के इशारे पर विपक्ष और किसान संगठनों की आलोचना झेलने के बाद अब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के सुर बदल गए हैं. उन्होंने इन आलोचनाओं को गलत प्रचार बताया है. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उन्होंने कृषि कानूनों को वापस से लागू करने की बात कभी नहीं कही. ग्वालियर के एक कार्यक्रम में जब उनसे उनके उस बयान के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्होंने कृषि कानूनों पर दो कदम पीछे हटने और जरूरत पड़ने पर फिर से नए कानून लाने की बात कही थी, तो मंत्री ने कहा,
"मैंने ये कहा था कि भारत सरकार ने अच्छे कानून बनाए थे. अपरिहार्य कारणों से हमने उसे वापस लिया है. भारत सरकार किसानों की भलाई के लिए काम करती रहेगी."

#WATCH | "I never said that," said Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar on his reported remarks alluding that Govt will again bring farm laws (25.12) pic.twitter.com/kHNt9xrYXF

— ANI (@ANI) December 26, 2021
इससे पहले 25 दिसंबर को नरेंद्र सिंह तोमर ने नागपुर में वापस लिए जा चुके कृषि कानूनों पर बयान देकर राजनीतिक हलचल तेज कर दी. उन्होंने कहा था कि सरकार ने कानून वापस लेकर दो कदम पीछे खींचे हैं, लेकिन सरकार आगे बढ़ेगी. मंत्री ने कहा था,
"हम कृषि संशोधन कानून लाए. लेकिन कुछ लोगों को ये कानून पसंद नहीं आए. ये आजादी के 70 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बड़ा सुधार था. लेकिन सरकार निराश नहीं है. हम एक कदम पीछे हटे हैं, हम फिर आगे बढ़ेंगे क्योंकि किसान भारत की रीढ़ हैं."
दरअसल, इस बयान के जरिए तोमर ने एक तरह से कृषि कानूनों की वापसी का इशारा किया था. जिसके बाद विपक्ष और किसान संगठनों ने सरकार को निशाने पर ले लिया. किसान नेता जगतार सिंह ने कहा,
"हम दिल्ली से लौटे हैं और वापस आने में देर नहीं लगेगी. अगर हमारे किसान नेताओं ने एक आवाज दे दी, तो चाहे फिर दिल्ली हो या महाराष्ट्र, लाखों की तादाद में किसान फिर से वहां पहुंच जाएंगे. हम उन कानूनों को लागू नहीं होने देंगे जो किसानों के हित में नहीं हैं."
वहीं कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने भी केंद्रीय कृषि मंत्री पर निशाना साधा था. एक ट्वीट करते हुए गांधी ने कहा,
"देश के कृषि मंत्री ने मोदी जी की माफी का अपमान किया है. ये बेहद निंदनीय है. अगर फिर से कृषि विरोधी कदम आगे बढ़ाए गए, तो फिर से अन्नदाता का सत्याग्रह होगा. पहले भी अहंकार को हराया था. फिर हराएंगे."
एक साल तक चला आंदोलन इससे पहले हजारों किसानों ने पिछले साल नवंबर से कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन शुरू किया था. इस दौरान कई जगह सुरक्षाबलों और किसानों की हिंसक झड़प भी देखने को मिली थी. वहीं किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने पिछले महीने सभी कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया. इस ऐलान के बाद किसानों ने MSP और अन्य मांगे सरकार के सामने रखी थीं. सरकार द्वारा सभी शर्तें मान लेने के बाद किसान आंदोलन को स्थगित कर दिया गया और प्रदर्शनकारी किसान अपने घर लौट गए.