जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में शहीद हुए मेजर आशीष धौंचक (Major Ashish Dhonchak) हरियाणा के पानीपत के रहने वाले थे. वो अगले अक्टूबर में यानी अगले ही महीने घर जाने वाले थे. अपने जन्मदिन के मौके पर उन्हें परिवार के साथ नए घर में शिफ्ट होना था. आशीष धौंचक के घर वाले इस इंतजार में थे कि 23 अक्टूबर को अपने जन्मदिन पर उनका बेटा आएगा. फिर परिवार अपने नए घर में गृह प्रवेश करेगा. लेकिन अनंतनाग में हुई घटना ने उनके इंतजार को सारी जिंदगी का दर्द बना दिया है. खबर आई कि बेटे को आतंकियों ने मार दिया है. ये सुनते ही के शहीद के परिवार में मातम पसर गया.
'उसे पालकर देश को सौंप दिया था', मेजर आशीष धौंचक के बारे में परिवार की बातें रुला देंगी
अनंतनाग मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर आशीष धौंचक एक बेटे, भाई और पति के रूप में कैसे इंसान थे?

आजतक के आशुतोष मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक आशीष धौंचक की 2012 में लेफ्टिनेंट के पद पर भर्ती हुई थी. 2018 में मेजर पद पर प्रमोट हुए थे. प्रमोशन के बाद जम्मू-कश्मीर के राजौरी में पोस्टिंग हुई थी. इसी साल मेजर आशीष सेना मेडल से सम्मानित हुए थे. 15 अगस्त, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें ये मेडल दिया था.
आशीष धौंचक पानीपत के बिंझौल गांव के रहने वाले थे. परिवार पानीपत में एक किराए के घर में रहता है. आशीष धौंचक के परिवार में माता-पिता हैं. पत्नी है और एक छोटी सी बच्ची है. तीन बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी है. आशीष के पिता लालचंद सदमे में हैं. अपनों से लिपट कर रो रहे हैं, पूछ रहे हैं कि उनका बेटा कहां गया. लालचंद नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड में क्लर्क के तौर पर काम करते थे. वो दो साल पहले ही रिटायर हुए हैं.
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मेजर आशीष की मां बोलीं- 'मैं रोऊंगी नहीं'घर पर बाकी परिजनों के साथ बैठी मेजर आशीष की मां कहती हैं कि वो रोएंगी नहीं. उनका बेटा देश के लिए कुर्बान हुआ है. आशीष की मां कहती हैं,
"मेरा बेटा अपने देश के लिए शहीद हुआ है. मेरा बेटा, देश का बेटा था. सारे देश का चहेता था. सबका प्यारा था मेरा बेटा. देश पर कुर्बान हो गया. मैं रोऊंगी नहीं. मैंने बेटे को पालकर देश को सौंप दिया था."
पति की मौत की खबर के बाद से पत्नी ज्योति गुमसुम-सी हो गई हैं. करीब 9 साल पहले उनकी शादी हुई थी. जम्मू-कश्मीर में पोस्टिंग से पहले मेजर आशीष यूपी के मेरठ में पोस्टेड थे. यहां वो अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहते थे. कश्मीर में पोस्टिंग के बाद उन्होंने अपनी पत्नी और बेटी को अपने माता-पिता के पास पानीपत पहुंचा दिया था.
आशीष के बहनोई सुरेश कुमार ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा,
“मैं अपनी बहन को देख नहीं पा रहा. उनके सामने जाने की हिम्मत नहीं है.”
सुरेश ने बताया कि आशीष बहुत हंसमुख और मजाकिया इंसान थे. वो बहुत मिलनसार थे, जब भी आते तो सबसे मिलते थे. अपनी बहनों को पहले ही बुला लेते थे. भाई के शहीद होने की बात पर तीनों रो-रो कर बेहोश हो जा रही हैं.
अक्टूबर में जन्मदिन पर घर आने वाले थे मेजर आशीष23 अक्टूबर को आशीष का जन्मदिन होता है. इस बार अपने जन्मदिन पर उन्हें घर आना था. फिर नए घर में शिफ्ट होना था. घर पर कहा भी था कि जन्मदिन पर छुट्टी लेकर आऊंगा. तब नए मकान में शिफ्ट करूंगा.
12 सितंबर के रोज, कोकेनाग के हलूरा गंडूल इलाके में 2 से 3 आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी. इसके बाद सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक संयुक्त टीम बनाई गई. सेना की यूनिट को लीड कर रहे थे 19 राष्ट्रीय राइफल्स (RR) बटालियन में तैनात कर्नल मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh). शाम को सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ. रात में बंद कर दिया गया. 13 सितंबर को ऑपरेशन दोबारा शुरू हुआ. जिस इलाके में आतंकियों के छिपे होने की सूचना थी, टीमें उसी तरफ बढ़ने लगीं. इसी दौरान ऊंचाई पर पहले से छिपे आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी.
कुछ देर बाद खबर आई कि सेना के एक अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक DSP को गोली लगी है. उन्हें एयरलिफ्ट कर इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है. फिर 13 सितंबर की शाम तक खबर आई कि भारतीय सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस में डिप्टी SP हुमायूं भट शहीद हो गए हैं.
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