उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. पहले आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी ने पार्टी की सभी क्षेत्रीय और जिला स्तरीय इकाइयों को भंग किया. अब उत्तर प्रदेश यूनिट के अध्यक्ष मसूद अहमद ने पार्टी से इस्तीफा की घोषणा करते हुए जयंत चौधरी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर कई गंभीर आरोप लगा दिए हैं. मसूद अहमद ने बीते शनिवार, 19 मार्च को एक ओपन लेटर जारी किया. उन्होंने अखिलेश यादव और जयंत चौधरी पर पैसे लेकर चुनाव में टिकट बेचने का आरोप लगाया. मसूद अहमद को 2016 में आरएलडी की यूपी यूनिट का अध्यक्ष बनाया गया था. पत्र लिखे जाने के बाद अहमद ने आजतक से बातचीत में कहा कि गठबंधन होने के बाद अखिलेश यादव अति उत्साहित हो गए थे. उन्होंने कहा कि ज्यादा उत्साही होने के कारण उन्होंने ना तो अपने सहयोगियों का साथ लिया, ना उनको मान-सम्मान दिया और ना सही ढंग से टिकटों का बंटवारा किया, जिसका खामियाजा हम भुगत रहे हैं.
"अखिलेश ने डिक्टेटर की तरह काम किया"
मसूद अहमद ने अपने पत्र में लिखा कि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने सुप्रीमो कल्चर को अपनाते हुए संगठन को दरकिनार कर दिया. उन्होंने आरोप लगाते हुए जयंत चौधरी को लिखा,
"पैसे इकट्ठा करने के चक्कर में उम्मीदवारों का ऐलान समय रहते नहीं हुआ. अखिलेश जी ने जिसको जहां मर्जी हुई, पैसे लेते हुए टिकट दिए. जिससे गठबंधन बिना बूथ अध्यक्षों के चुनाव लड़ने पर मजबूर हुआ. अखिलेश जी और आपने (जयंत) डिक्टेटर की तरह काम किया, जिससे गठबंधन को हार मुंह देखना पड़ा. आपके जरिए मेरा अखिलेश जी को भी सुझाव है कि अहंकार छोड़ कर पार्टी के नेताओं और गठबंधन को सम्मान दें."
आरएलडी ने विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था. पार्टी ने 33 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसे सिर्फ 8 सीटों पर जीत मिली. मसूद अहमद ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि हापुड़ विधानसभा में 8 करोड़ रुपये लेकर टिकट बेचे गए. मसूद ने लिखा कि पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी गई और इसकी जानकारी जयंत चौधरी को दी गई थी. हापुड़ से आरएलडी के गजराज सिंह ने चुनाव लड़ा था, जो करीब 7 हजार वोटों से हार गए.
21 मार्च तक मांगा जवाब
मसूद अहमद ने पत्र में यह भी लिखा कि उनकी कई चेतावनियों के बाद भी चंद्रशेखर आजाद को अपमानित किया गया, जिससे नाराज होकर दलित वोट गठबंधन से छिटककर बीजेपी में चला गया. उन्होंने आगे लिखा कि जीता हुआ चुनाव टिकट बेचने और अखिलेश यादव के घमंड में चूर होने और जयंत चौधरी के सुस्त रवैये के कारण गठबंधन हार गया. उन्होंने जयंत चौधरी से 21 मार्च तक कुछ प्रश्नों के जवाब मांगे हैं. साथ ही उन्होंने लिखा कि अगर इन प्रश्नों का उत्तर 21 मार्च तक नहीं देते हैं तो इस पत्र को उनका पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा माना जाए. उन्होंने सवालों की लिस्ट बनाते हुए लिखा,
"टिकट पैसे लेकर क्यों बेचे गए? गठबंधन की सीटों का ऐलान समय रहते क्यों नहीं किया गया? आरएलडी, अपना दल, आजाद समाज पार्टी और महान दल को क्यों अपमानित किया गया? आप दोनों ने मुस्लिमों और दलित मुद्दों पर चुप्पी क्यों साधी? आप दोनों ने मनमाने तरीके से टिकट क्यों बांटे? आरएलडी के चुनाव चिह्न पर 10 सपा नेताओं ने चुनाव लड़े, लेकिन सपा के निशान पर एक भी आरएलडी नेता को क्यों नहीं उतारा गया?"
आरएलडी प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी ने मसूद अहमद के आरोपों को "आधारहीन और गलत" बताते हुए उसे खारिज कर दिया. विधानसभा चुनाव में मिली हार की समीक्षा के लिए आरएलडी ने 21 मार्च को विधायक दल की बैठक बुलाई थी. हालांकि एमएलसी उम्मीदवारों के नामांकन के कारण इसे स्थगित कर दिया गया. यह बैठक अब 26 मार्च को होगी. जयंत चौधरी की अध्यक्षता में यह बैठक लखनऊ में होने वाली है, जिसमें पार्टी आगे की रणनीति तय करेगी.