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कोटा में एक और छात्र ने आत्महत्या की, इस साल 28 बच्चे अपनी जान दे चुके हैं

फोरिद हुसैन पिछले एक साल से NEET की तैयारी कर रहा था. शाम 7 बजे दोस्तों ने दरवाज़ा खटखटाया, तो फोरिद ने कोई जवाब नहीं दिया. कुछ देर बाद पता चला उसने आत्महत्या कर ली है.

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कोटा लगातार बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं. ( फ़ाइल फोटो: आजतक)

राजस्थान के कोटा (Kota) में एक और छात्र ने आत्महत्या कर ली है. मृतक छात्र का नाम फोरिद हुसैन है जो कोटा में NEET की तैयारी कर रहा था. मूल रूप से वह पश्चिम बंगाल का रहने वाला था. मृतक छात्र के परिजनों को सूचना दे दी गई है. उनके आने के बाद पोस्टमार्टम करवाया जाएगा. 

इंडिया टुडे से जुड़े चेतन गुर्जर की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 साल का फोरिद हुसैन वक्फ नगर इलाके में किराए पर कमरा लेकर रह रहा था. इसी मकान में कई और बच्चे भी रहते हैं. वह पिछले एक साल से NEET की तैयारी कर रहा था. 27 नवंबर की शाम 4 बजे तक उसे देखा गया था. शाम 7 बजे, दोस्तों के आवाज लगाने के बाद भी वह अपने कमरे से बाहर नहीं निकला तो दोस्तों ने मकान मालिक को सूचना दी. मकान मालिक ने पुलिस को बुलाया. पुलिस के आने बाद छात्र को अस्पताल ले जाया गया. एक निजी अस्पताल के डॉक्टर ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया. 

घटना कोटा के दादावाड़ी थाना क्षेत्र की है. दादावाड़ी थाना अधिकारी राजेश कुमार पाठक ने बताया है कि कमरे का दरवाजा तोड़ने पर फोरीद संदिग्ध हालत में मृत मिला. शव को मोर्चरी में रखवाया गया है. आत्महत्या के कारण के बारे में फिलहाल कुछ पता नहीं चला है पुलिस मामले की जांच कर रही है.

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आत्महत्या रोकने के लिए प्रशासन क्या कर रही है?

कोटा में इस साल स्टूडेंट्स की आत्महत्या के 28 केस आ चुके हैं. इससे पहले 27 सितंबर को भी यहां NEET की ही तैयारी करने वाले एक और छात्र ने आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या की बढ़ती खबरों के बाद अशोक गहलोत सरकार ने एक पैनल का गठन किया था. 27 सितंबर को इसी पैनल की सिफारिश पर राज्य सरकार ने 9 पेज का एक दिशा-निर्देश जारी किया. इसमें आत्महत्या के कारणों पर विस्तार से बात की गई है. इसके अनुसार, बढ़ती प्रतियोगिता, बड़ा सिलेबस, कठिन टेस्ट पेपर, नतीजों के सार्वजनिक होने से शर्म का भाव, नंबर कम होने पर कोचिंग में मजाक बनना, टेस्ट नतीजों के हिसाब से अलग-अलग बैच, मानसिक दबाव, अभिभावकों की उम्मीदें, सफलता की सीमित संभावना, योग्यता और रुचि के उलट पढ़ाई का बोझ, परिवार से दूरी, कम छुट्टियां, अकेलापन जैसे कारणों से आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं.

राज्य सरकार ने कोचिंग संस्थानों को कहा है कि 9वीं क्लास के पहले एडमिशन न लें. छात्रों की रुचि के हिसाब से ऐडमिशन करें. एडमिशन से पहले छात्र का टेस्ट लें और काउंसलिंग करवाएं. छात्र की क्षमता के हिसाब से ही एडमिशन लें. समय-समय पर पेरेंट्स को बच्चे की प्रोग्रेस के बारे बताएं. अगर छात्र बीच में छोड़ कर जाना चाहे, तो बची हुई फीस वापस करें. सरकार की ओर से कोचिंग संस्थानों को कई और दिशा-निर्देश भी दिए गए.

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इससे पहले, अगस्त महीने में भी सरकार ने कोचिंग सेंटर्स को आदेश दिया था कि वो अगले दो महीनों तक अपने संस्थान में कोई टेस्ट्स न करवाएं. 

(अगर आप या आपके किसी परिचित को खुद को नुकसान पहुंचाने वाले विचार आ रहे हैं तो आप इस लिंक में दिए गए हेल्पलाइन नंबरों पर फोन कर सकते हैं. यहां आपको उचित सहायता मिलेगी. मानसिक रूप से अस्वस्थ महसूस होने पर डॉक्टर के पास जाना उतना ही ज़रूरी है जितना शारीरिक बीमारी का इलाज कराना. खुद को नुकसान पहुंचाना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.)