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16 साल की लड़की मां बनी, कोर्ट ने उसके प्रेमी पर से केस हटा दिया!

परिवार चाहता था कि लड़के को सजा न हो

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दोनों पक्षों ने कोर्ट में कहा कि वो कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं (फोटो- आज तक)

राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने 16 साल की लड़की के साथ सहमति से शारीरिक संबंध (Sexual Relation with Minor) बनाने वाले प्रेमी के खिलाफ दर्ज FIR को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट ने प्रेमी के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत दर्ज मामले को भी रद्द कर दिया है. फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि वो किसी भी नाबालिग (Minor) के साथ संबंध बनाने के पक्ष में नहीं हैं न ही किसी को ऐसा करने के अनुमति देता है.

आज तक से जुड़े अशोक वर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक मामले में फैसला सुनाते हुए जस्टिस दिनेश मेहता ने कहा कि ऐसे मामलों में कोर्ट मूकदर्शक नहीं बना रह सकता. ऐसे में अगर इस मामले को आगे बढ़ाया जाता है तो याचिकाकर्ता को 10 साल की सजा भी हो सकती है. इसका सीधा प्रभाव दोनों परिवारों के साथ-साथ होने वाले बच्चे पर पड़ेगा. इसी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि दुष्कर्म और POCSO एक्ट के तहत देव नगर पुलिस की ओर से दर्ज FIR को रद्द किया जाता है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल मामला इस साल अगस्त (2022) महीने का है. आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त 2022 में 16 साल की लड़की के पेट में दर्द होने के बाद घरवालों ने उसे उम्मेद हॉस्पिटल में भर्ती कराया. हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि लड़की प्रेग्नेंट है. बाद में लड़की ने बच्चे को जन्म दिया. मामला नाबालिग से जुड़ा होने के कारण हॉस्पिटल प्रशासन ने इसकी जानकारी पुलिस को दे दी. पुलिस ने नाबालिग होने के कारण लड़की के प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, दोनों के परिवार के तरफ से पुलिस में कोई भी शिकायत नहीं दर्ज कराई गई थी.

पुलिस से पूछताछ के दौरान नाबालिग लड़की ने कहा कि वो 22 साल के लड़के के साथ रिलेशन में थी. इस दौरान दोनों के बीच आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बने और वो प्रेग्नेंट हो गई. नाबालिग के बयान के आधार पर पुलिस न देव नगर थाने में POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया और जांच शुरू की.  

इधर, बालिग युवक ने इस मामले के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी. कोर्ट में दर्ज की गई याचिका में दोनों परिवारों की ओर से कहा गया कि वो इस मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं चाहते हैं. नाबालिग लड़की ने धारा 161 और 164 के तहत दिए बयान में कोर्ट में इस बात को माना था कि उसने सहमति से लड़के साथ संबंध बनाए थे, जिसमें एक बच्चे का जन्म हुआ. आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक मामले में वकील गजेंद्र पवार ने बताया,

“मेरे याचिकाकर्ता और नाबालिग लड़की के बीच प्रेम संबंध थे. इसी संबंध में नाबालिग गर्भवती हो गई थी. इसके बाद पुलिस ने अपनी तरफ से मामला दर्ज किया था. जबकि दोनों परिवारों के बीच आपसी समझौता हो गया. दोनों परिवार भी नहीं चाहते थे कि याचिकाकर्ता को सजा हो.”

राजस्थान हाई कोर्ट में नाबालिग लड़की के माता-पिता ने बताया कि हम सामाजिक दबाव में बच्चे को अपना नहीं पा रहे हैं. बच्चे को न तो मां का दूध मिल पा रहा है और न ही प्यार. नाबालिग के माता-पिता ने आगे कहा कि लड़का अपनी प्रेमिका से शादी करने को तैयार है. जैसे ही नाबालिग लड़की 18 साल की हो जाएगी लड़का उससे शादी कर लेगा. दोनों पक्षों ने कोर्ट में नाबालिग लड़की और नवजात के भविष्य को ध्यान में रखते हुए FIR को खारिज करने की मांग की थी. 

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