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अलवर रेप मामले में जांच को लेकर अशोक गहलोत ने क्या बड़ा फैसला लिया है?

मूक बाधिर बच्ची से रेप को लेकर पुलिस के बयान पर मचे बवाल के बाद सरकार ने लिया बड़ा फैसला

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
राजस्थान (Rajasthan) की अशोक गहलोत सरकार ने अलवर गैंगरेप मामले (Alwar Gangrape Case) की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने का फैसला किया. रविवार 16 जनवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया है. राजस्थान सरकार इसके लिए जल्द ही केंद्र सरकार को एक पत्र लिखेगी. रविवार को हुई बैठक में राजस्थान के गृह राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह यादव, मुख्य सचिव निरंजन आर्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह अभय कुमार और पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शमिल हुए. इससे पहले शनिवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि राज्य सरकार रेप पीड़िता के परिजनों की इच्छा के मुताबिक, शहर के बाहर के एक पुलिस अधिकारी, अपराध शाखा, एसओजी या CBI जैसी किसी भी एजेंसी से जांच कराने के लिए तैयार है. क्या है मामला? बीते बुधवार यानी 12 जनवरी को राजस्थान के अलवर में एक नाबालिग से गैंगरेप का मामला सामने आया था. पीड़िता बोल और सुन नहीं सकती है, उसकी दिमागी हालत भी ठीक नहीं है. सामूहिक बलात्कार के बाद आरोपी उसे सड़क किनारे फेंक गए थे. इंडिया टुडे से जुड़े शरत कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक, ये पूरा घटनाक्रम 11 जनवरी की रात का है. अलवर की शिवाजी थाना पुलिस को एक सूचना मिली. पुलिस को बताया गया कि अलवर की कर्मचारी कॉलोनी के पास स्थित ओवरब्रिज पर एक लड़की घायल अवस्था में पड़ी है. सूचना मिलने पर पुलिस वहां पहुंची और लड़की को अलवर के सरकारी अस्पताल ले गई. वहां डॉक्टरों ने उसकी हालत देखते हुए उसे ICU में भर्ती किया. प्राइवेट पार्ट में नुकीली चीज से चोट की गई इसी दौरान लड़की से रेप की पुष्टि हुई. रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों ने बताया कि लड़की के प्राइवेट पार्ट में नुकीली चीज से चोट की गई है. चोट इतनी गंभीर थी कि घाव से खून का बहाव रुक ही नहीं रहा था. यही नहीं, प्राइवेट पार्ट और मलद्वार भी एक हो गए थे. ऐसे में अलवर के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने पीड़िता को तुरंत जयपुर के लिए रेफर कर दिया. वहां डॉक्टरों ने एक लंबा ऑपरेशन कर पीड़िता को खतरे से बाहर निकाल लिया. रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता की उम्र 15 साल है. वो बोल और सुन नहीं सकती है. साथ ही साथ उसकी मानसिक हालत भी ठीक नहीं है. बच्ची के माता-पिता मजदूरी करते हैं. मंगलवार 11 जनवरी को दोपहर में पीड़िता को आखिरी बार सही सलामत देखा गया था. उस समय वो खेत के रास्ते सड़क पर जा रही थी. पुलिस ने क्या किया? इस मामले में पुलिस के हाथ अभी तक खाली हैं. शरत कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने मौके पर फॉरेंसिक टीम भेजी और सबूत इकट्ठे किए. वहीं आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को भी खंगाला जा रहा है. हालांकि, अभी तक किसी भी आरोपी के बारे में पता नहीं चला है. दूसरी तरफ, मामले की गंभीरता को देखते हुए आसपास के थानों की पुलिस को भी जांच में लगाया गया है. वहीं गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करने के साथ-साथ SIT का भी गठन कर दिया गया है. पुलिस ने रेप मानने से किया इंकार! डॉक्टर्स द्वारा रेप की पुष्टि किए जाने के बाद भी अलवर की एसपी तेजस्विनी गौतम ने इसे रेप मानने से इनकार कर दिया. न्यूज़-18 की खबर से मुताबिक उन्होंने कहा,
"इस मामले में अभी हम जांच कर रहे हैं. यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि पुलिया पर बालिका के साथ किस तरह की घटना हुई है. जैसे ही कोई नया फैक्ट सामने आएगा, बताया जाएगा. अब तक की रिपोर्ट के अनुसार, बालिका से किसी तरह के सेक्सुअल असॉल्ट सामने नहीं आया. जैसे ही हमारे पास नए एविडेंस आते हैं, उस हिसाब से हम आगे के नतीजे पर पहुंचेंगे."