The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

कारगिल घुसपैठ में पाकिस्तान का नेतृत्व करने वाले परवेज मुशर्रफ की पूरी कहानी

मुशर्रफ ने नवाज शरीफ़ को पद से हटा कर सत्ता हथिया ली थी.

post-main-image
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (फाइल फोटो- पीटीआई)

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) का 79 साल की उम्र में निधन हो गया है. लंबी बीमारी के बाद रविवार, 5 फरवरी को दुबई के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. वे एमाइलॉयडोसिस नाम की बीमारी से जूझ रहे थे. पाकिस्तानी न्यूज पेपर डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, परवेज मुशर्रफ पिछले साल जून में तीन हफ्ते के लिए अस्पताल में भर्ती हुए थे. परवेज मुशर्रफ की बीमारी की बात साल 2018 में सामने आई थी, जब ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (APML) ने घोषणा की थी कि वह दुर्लभ बीमारी एमाइलॉयडोसिस से जूझ रहे हैं. एमाइलॉयडोसिस बीमारी में पूरे शरीर में एमाइलॉयड नाम का असामान्य प्रोटीन बनने लगता है. इससे शरीर के अंगों का ठीक से काम करना मुश्किल हो सकता है.

मुशर्रफ की पूरी कहानी

परवेज मुशर्रफ साल 2001-2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे थे. जबकि 1998 से साल 2007 तक उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख का पद भी संभाला था. मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त 1943 को दिल्ली के दरियागंज इलाके में हुआ था. 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के कुछ दिन पहले ही उनका पूरा परिवार पाकिस्तान चला गया.

उनके पिता सईद ने नए पाकिस्‍तान सरकार के लिए काम करना शुरू किया और विदेश मंत्रालय के साथ जुड़े. इसके बाद इनके पिता का तबादला पाकिस्तान से तुर्की हुआ, 1949 में सभी तुर्की चले गए. कुछ समय मुशर्रफ अपने परिवार के साथ तुर्की में रहे. 1957 में फिर पूरा परिवार वापस पाकिस्‍तान लौट आया. मुशर्रफ की स्‍कूली शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक स्‍कूल में हुई और कॉलेज की पढ़ाई लाहौर के फॉरमैन क्रिशचन कॉलेज में हुई. उन्होंने लाहौर के फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज में गणित की पढ़ाई की. फिर यूनाइटेड किंगडम में रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज में भी शिक्षा प्राप्त की.

सैन्य अकादमी से जनरल का सफर

मुशर्रफ ने 1961 में पाकिस्तान सैन्य अकादमी में प्रवेश किया था. साल 1964 में उन्हें पाकिस्तानी सेना में नियुक्त किया गया. उन्होंने अफगान गृहयुद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई. मुशर्रफ ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान दूसरे लेफ्टिनेंट के रूप में कार्रवाई देखी और इसके लिये उन्हें वीरता का पुरस्कार भी दिया गया. लेकिन 1971 में भारत के साथ दूसरे युद्ध में पाकिस्तान को हार का मुंह देखना पड़ा. 1980 के दशक तक, वह एक आर्टिलरी ब्रिगेड की कमान संभाल रहे थे. 

परवेज मुशर्रफ (फाइल फोटो)

1990 के दशक में, मुशर्रफ को मेजर जनरल के रूप में पदोन्नत किया गया और एक पैदल सेना डिवीजन सौंपा गया. बाद में विशेष सेवा समूह की कमान संभाली. इसके तुरंत बाद, उन्होंने उप सैन्य सचिव और सैन्य अभियानों के महानिदेशक के रूप में भी कार्य किया है. मुशर्रफ राष्ट्रीय स्तर पर तब सुर्खियों में आए जब उन्हें 1998 में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने जनरल के रूप में पदोन्नत किया था. जिससे मुशर्रफ सशस्त्र बलों के प्रमुख बन गए. उन्होंने 1999 में कारगिल घुसपैठ का नेतृत्व किया था.

जनरल से असैनिक राष्ट्रपति का सफर

अक्तूबर 1998 में मुशर्रफ को जनरल का ओहदा मिला और वे सैन्य प्रमुख बन गए. फिर तख्तापलट हुआ. 1999 में उन्होंने बिना खून बहाए तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ़ को पद से हटा कर सत्ता हथिया ली. फिर 2002 में बाकायदा आम चुनावों में वे बहुमत से जीते. हालांकि आलोचकों का कहना था कि मुशर्रफ ने चुनावों में धांधली कर जीत हासिल की. मुशर्रफ को आंतकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का भरपूर समर्थन मिला. आतंकवाद के ख़िलाफ युद्ध के कारण ही NATO सेना के संगठन में पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण सहयोगी देश था. 

मुशर्रफ के समर्थकों ने हमेशा ही उन्हें एक सशक्त और सफल नेता के रूप में पेश किया, जिन्होंने पाकिस्तान को कट्टरपंथ से उदार पाकिस्तान की छवि दी. लेकिन उन्हीं के शासन में लाल मस्जिद पर जुलाई 2007 में हुई सैनिक कार्रवाई में 105 से भी ज़्यादा लोग मारे गए थे.

6 अक्तूबर 2007 को मुशर्रफ फिर एक बार राष्ट्रपति चुनाव जीते, लेकिन इस बार उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतेजार करना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने 2 नवंबर को चर्चा की. लेकिन उधर मुशर्रफ के दिमाग में कुछ और चल रहा था. 3 नवंबर 2007 को मुशर्रफ ने पाकिस्तान में आपातकाल लागू कर दिया.

परवेज मुशर्रफ (फाइल फोटो)

24 नंवबर 2007 को पाकिस्तान चुनाव आयोग ने मुशर्रफ के राष्ट्रपति के तौर पर पुनर्निर्वाचित होने की पुष्टि की. जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने सैनिक वर्दी त्याग दी और पाकिस्तान के असैनिक राष्ट्रपति के तौर पर पद संभाला. 7 अगस्त 2008 के दिन पाकिस्तान की नई गठबंधन सरकार ने परवेज मुशर्रफ पर महाभियोग चलाने का फ़ैसला लिया. ठीक उनके 65वें जन्मदिन 11 अगस्त 2008 पर संसद ने उन पर महाभियोग की कार्रवाई शुरू की.

इस्तीफे की घोषणा

पंजाब, बलूचिस्तान सहित चार प्रांतीय संसदों ने बहुमत से ये प्रस्ताव पारित किया कि या तो मुशर्रफ जाएं या फिर महाभियोग का सामना करें. परवेज मुशर्रफ पर इस्तीफा देने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था. आखिरकार, 18 अगस्त 2008 को मुशर्रफ़ ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा देने की घोषणा की.

परवेज मुशर्रफ की आत्‍मकथा 'इन द लाइन ऑफ फायर-अ मेमॉयर' वर्ष 2006 में प्रकाशित हुई थी. किताब अपने विमोचन से पहले ही चर्चा में आ गई थी. इस किताब के लोकप्रिय होने की वजह यह भी है कि मुशर्रफ ने इसमें कई विवादास्‍पद बातें कहीं हैं. इसमें कारगिल संघर्ष और पाकिस्तान में हुए सैन्य तख्तापलट जैसी कई अहम घटनाओं के बारे में लिखा गया है.

वीडियो: तारीख़: परवेज़ मुशर्रफ़ ने नवाज़ शरीफ को देशनिकाला क्यों दे दिया था?