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मोदी सरकार ने बताया, सात साल में कश्मीरी पंडितों के लिए केवल 17 फीसदी घर बने

मोदी सरकार ने 2015 में कश्मीरी पंडितों के लिए 6 हजार घर बनाने की घोषणा की थी.

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2015 में कश्मीरी पंडितों के लिए 6,000 ट्रांजिट आवास की घोषणा की गई थी.(फोटो-ट्विटर/इंडिया टुडे)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 17 मार्च को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ बैठक के दौरान कश्मीरी पंडितों सहित कश्मीरी प्रवासियों के पुनर्वास की प्रक्रिया की समीक्षा की. अमित शाह सीआरपीएफ के 83वें स्थापना दिवस परेड में भाग लेने के लिए जम्मू में थे. इस दौरान पता चला कि पिछले सात सालों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित घरों का सिर्फ 17 फीसदी काम ही पूरा हुआ है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों में ये जानकारी सामने आई है.
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की ख़बर
के मुताबिक, साल 2015 में कश्मीरी पंडितों के लिए 6,000 ट्रांजिट घरों की घोषणा की गई थी. वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2022 तक इनमें से केवल 1,025 घरों का निर्माण आंशिक या पूर्ण रूप से पूरा हुआ है. जबकि 50 प्रतिशत से ज़यादा ऐसे घर हैं जिनपर काम शुरू होना बाकी है.
साल 2015 में घोषित प्रधान मंत्री डेवलपमेंट पैकेज के तहत केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी प्रवासियों के लिए 3,000 सरकारी नौकरियों को मंजूरी दी थी. जिसनें से अब तक 1,739 प्रवासियों को नियुक्त किया जा चुका है और 1,098 अन्य को नौकरियों के लिए चुन लिया गया है.
इससे पहले 2008 में मनमोहन सिंह सरकार द्वारा प्रवासियों के लिए इसी तरह के रोजगार पैकेज की घोषणा की गई थी. जिसके तहत 3,000 नौकरियां देने की बात कही गई थी. जिसमें से 2,905 नौकरियों के पद भरे जा चुके हैं.
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रेफ्यूजी कैंप में गुड़िया से खेलती एक बच्ची

'2023 तक पूरा हो जाएगा काम' बढ़ते आतंकवादी हमलों के कारण 1990 के बाद से बड़ी संख्या में पंडितों को कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार कई कश्मीरी प्रवासी, कश्मीर घाटी के वेसु (कुलगाम), मट्टन (अनंतनाग), हवल (पुलवामा), नटनसा (कुपवाड़ा), शेखपोरा (बडगाम) और वीरवान (बारामूला) में मौजूदा ट्रांजिट घरों में रहते हैं.
इससे पहले 9 मार्च को, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में शिवसेना सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी को लिखे एक पत्र में कहा था,
"उम्मीद है कि सभी ट्रांजिट घरों का निर्माण 2023 तक पूरा हो जाएगा. 1,488 घरों का काम पूरा होने को है और वे सभी घर निर्माण के अलग अलग चरणों में है. 2,744 घरों को अंतिम रूप दे दिया गया है."
मंत्रालय ने एक संसदीय पैनल को यह भी बताया कि पंजीकृत कश्मीरी प्रवासियों को प्रति परिवार 13,000 रुपये और साथ में 3,250 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति महीने मिलता है. साथ ही हर महीने उन्हें राशन भी दिया जाता है.
साल 2020 की संसदीय पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 64,827 पंजीकृत प्रवासी परिवार हैं. जिनमें से 60,489 हिंदू परिवार, 2,609 मुस्लिम परिवार और 1,729 सिख परिवार हैं.
64,827 परिवारों में से 43,494 परिवार जम्मू में पंजीकृत हैं, 19,338 दिल्ली में और 1,995 परिवार देश के दूसरे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बसे हुए हैं. वहीं 43,494 प्रवासी परिवारों में से 5,248 परिवार प्रवासी शिविरों में रह रहे हैं.
2019 में भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा (आर्टिकल 370) खत्म कर दिया गया था, जिसके बाद से अब वह एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया है.