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इंडिया में लगातार बढ़ रहे कोरोना केस किस महीने तक थमेंगे, ICMR ने बता दिया!

बुजुर्गों में ओमिक्रॉन के असर को लेकर ICMR ने क्या चिंता जताई?

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डॉ समीरन पांडा ने ये भी बताया है कि ओमिक्रॉन के मामले कैसे कम होंगे (सांकेतिक फोटो- PTI)
भारत में कोविड-19 के एक्टिव मामले 2 लाख से ऊपर पहुंच गए हैं. ओमिक्रॉन (Omicron) वेरिएंट के मामले भी तेजी से सामने आ रहे हैं. कई विशेषज्ञों का कहना है कि जल्द हालात भयावह हो सकते हैं. हालांकि, इस बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की ओर से कहा गया है कि भारत में कोरोना की ग्रोथ का जो ग्राफ़ है, वो तीन महीने में समतल होना शुरू हो सकता है, बशर्ते लोग कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें. ग्राफ़ का समतल होना मानी कोरोना के केसों में भयानक रूप से वृद्धि होना रुक जाएगी. इंडिया टुडे से जुड़ी मिलन शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, ICMR में महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ समीरन पांडा ने कहा है,
“कोविड कर्व अगले तीन महीनों में समतल हो सकता है बशर्ते ये चार चीजें हों- जो राज्य टीकाकरण में पिछड़ गए हैं, वे इसकी गति बढ़ाने की कोशिश करें, लोग सामूहिक कार्यक्रमों से बचें, लोग गैर जरूरी यात्रा से बचें और टीकाकरण के साथ-साथ मास्क का इस्तेमाल करते रहें."
वैक्सीन लगने से ही मिलेगी राहत डॉ समीरन पांडा के मुताबिक वैक्सीन कोरोना से बचने का कारगर उपाय है. उनके मुताबिक,
"वैक्सीन लगने से संक्रमण नहीं रुकेगा. (लेकिन) ये बीमारी को मॉडिफाई करने वाले टीके हैं, ये ओमिक्रॉन के मामले में संक्रमण की गंभीरता को कम करने में सक्षम हैं."
यह पूछे जाने पर कि क्या कुछ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि ओमिक्रॉन से हल्का संक्रमण होता है और इसलिए यह महामारी को खत्म करने में मदद कर सकता है. इसके जवाब में डॉ पांडा का कहना था,
"ओमिक्रॉन के संपर्क में आना भी खुद एक टीका लगने जैसे हो सकता है. क्योंकि जैसे-जैसे अधिक से अधिक लोग संक्रमित हो रहे हैं, संक्रमण की गंभीरता घटती जा रही है. हालांकि, हम नहीं जानते कि बुजुर्गों में ओमिक्रॉन का असर कैसा होगा और इसलिए हमें सतर्क रहना चाहिए."
भारत में कई विशेषज्ञों ने यह दावा किया है कि जिस तरह से ओमिक्रॉन के मामले बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए अगले कुछ हफ़्तों के दौरान अस्पतालों में बड़ी संख्या में लोगों को भर्ती होना पड़ सकता है. इसे लेकर डॉ समीरन पांडा ने कहा,
"(ओमिक्रॉन के) 70% मामलों में लक्षण नहीं दिखते जबकि 30 फीसदी में मामूली लक्षण दिख रहे हैं. लेकिन, इसके बाद भी अस्पतालों में भर्ती होने वाले कुछ मरीजों की स्थिति चिंताजनक हो सकती है क्योंकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अभी डेल्टा वेरिएंट हमारे बीच में ही है."
ICMR कर चुका है अबतक 4 सीरो सर्वेक्षण इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार का आकलन करने के लिए ICMR अब तक 4 सीरो सर्वेक्षण कर चुका है. संस्थान के राष्ट्रीय सीरो-सर्वेक्षण के चौथे दौर में यह पता लगा है कि मध्य प्रदेश में एंटीबॉडी की उपस्थिति सबसे अधिक - 75.9 प्रतिशत - और केरल में सबसे कम - 44.4 प्रतिशत - थी. इस सर्वे में यह भी सामने आया है कि देश की 67.6 प्रतिशत आबादी ने कोविड के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित कर ली है. ICMR द्वारा किया जाने वाला पांचवां सीरो-सर्वेक्षण यह जानकारी दे सकता है, भारत अभी भी हर्ड इम्युनिटी से कितना दूर है. इसके अलावा हाल ही में महाराष्ट्र के पुणे में ICMR के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में ओमिक्रॉन वेरिएंट पर अलग से एक रिसर्च शुरू हुई है. इसके जरिए वैज्ञानिक यह पता लगाना चाह रहे हैं कि बहुत ज्यादा म्यूटेट करने वाले इस वेरिएंट के खिलाफ कोवैक्सीन कितनी प्रभावी है.