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जेएनयू के कंडोम गिनने वाले ज्ञानदेव आहूजा का दांव उल्टा पड़ा, तो झट से भाजपा छोड़ दी

लगा कि अब बाकी यूनिवर्सिटीज़ में जाकर कंडोम गिनने के लिए टाइम होगा. मगर इन्होंने खुद को दोबारा बिज़ी कर लिया.

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# 2,000 शराब की बोतलें # 10,000 सिगरेट के टुकड़े # 3,000 यूज्ड कंडोम # 2,000 चिप्स के पैकेट # 3,000 बीयर की बोतलें # 500 एबॉर्शन करवाने वाले इंजेक्शन # 4,000  बीड़ी # 50,000 हड्डियों के टुकड़े


ये जेएनयू की एक दिन की खपत है. और ये दावा किया था ज्ञानदेव आहूजा ने. मतलब ये कि यूएस यूरोप छोड़िए, जै जेएनयू बोलिए. ये कोई नई खबर नहीं है, और ज़्यादातर लोग इससे वाकिफ हैं. खैर ज्ञानदेव आहूजा ऐसे बयानों के लिए ही जाने जाते हैं. यही हमारे देश की विशेषता है. यहां काम करने वाले नहीं बयान देने वाले ही जाने जाते हैं. मलतब तुम मुझे बयान दो, हम तुम्हें सम्मान देंगे. यूं ज्ञानदेव को लगा, और सही ही लगा, कि जितने ज़्यादा बयान देंगे, कैरियर उतना स्टेबल होता चला जाएगा. और कैरियर जितना ज़्यादा स्टेबल उतने ढेर प्रमोशन. विधायक से एमपी. एमपी से मंत्रालय. मंत्रालय से मुख्यमंत्री... इसलिए ताबड़तोड़ बयान देते रहे. उसी श्रृंखला में एक और बयान आया –
मेरा तो सीधा कहना है, गौकशी करोगे तो यूं ही मरोगे.
ये बयान गौ-तस्करी में हुई एक गिरफ्तारी को लेकर था. एक और बयान का वीडियो संस्करण भी देखते चलें -
लेकिन इस नई ख़बर को सुनकर लगता है कि बयान के कद्रदान कम हो रहे हैं. ज्ञानदेव, जो फिलवक्त रामगढ़ के विधायक हैं, और भाजपा से हैं, उनको पार्टी ने अबकी टिकट नहीं दिया है. और इसके जवाब में रामगढ़ के ज्ञानदेव ने वही किया जो कुछ दशक पहले रामगढ़ के ठाकुर ने किया – बदला. उन्होंने पार्टी छोड़ दी है और अब निर्दलीय लड़ेंगे. रामगढ़ से नहीं, जयपुर की सांगानेर सीट से. अब चुनाव जानने वाले या गणित जानने वाले या चुनावी गणित जानने वाले अंदाज़ा लगा सकते हैं कि किसकी पेशानी में बल पड़ गये होंगे. खासतौर पर तब जब हालत पहले से ही खस्ता चल रही हो.
तुम साथ हो न हो क्या फर्क है, बेदर्द थी ज़िंदगी, बेदर्द है!
बाकी चिट्ठी को तार और कम को ज़्यादा समझने में आप लोग माहिर हैं हीं. तो, किसी व्यक्ति, संस्था या सिद्धांत का नाम लेकर इस खबर का राजनीतिकरण क्यूं ही करना. लेकिन फिर भी अगर आपको राजस्थान की राजनीति को बेसिक से जानना है तो बताते चलें कि इस बड़े से राज्य सहित तीनों ‘चुनावी राज्यों' की लाइव ग्राउंड रिपोर्टिंग हमारी 5 टीमें मिलकर कर रही हैं. नाम हैं - हीरा, मोती, तूफ़ान, सुल्तान और चेतक. उन्हें फॉलो कीजिए और इस अतरंगी देश, इन सतरंगी राज्यों की मज़ेदार वाली और सरोकार वाली, दोनों ही तरह की ख़बरों को बालकनी वाली सीट से देखिए.
वीडियो देखें:

इस वजह से कोटा में कोचिंग करने वाले बच्चे कम नहाते हैं -