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लखीमपुर कांड : फ़ोरेंसिक रिपोर्ट में ख़ुलासा, आशीष मिश्रा की गन से चली थी किसानों पर गोली

साथ में अंकित दास की गन से भी फ़ायरिंग होने के मिले सबूत!

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Lakhimpur Kheri Violence मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों पर गाड़ियां चढ़ाने का आरोप है. (फोटो: PTI)
लखीमपुर हिंसा मामला. सूत्रों के हवाले से आ रही ख़बरें दावा कर रही हैं कि फ़ोरेंसिक जांच में ये सिद्ध हो गया है कि हिंसा वाले दिन फ़ायरिंग हुई थी. और यही नहीं बैलिस्टिक रिपोर्ट में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा और उसके करीबी अंकित दास के लाइसेंसी असलहे से फ़ायरिंग की पुष्टि हुई है. हुआ क्या था? लखीमपुर के तिकुनिया हिंसा मामले में किसानों ने फ़ायरिंग करने का मुद्दा उठाया था. इसकी जांच की बात चली. लखीमपुर पुलिस ने हथियार ज़ब्त किए. अंकित दास की रिपीटर गन और पिस्टल. आशीष मिश्रा की राइफ़ल और रिवॉल्वर. हथियार गए फ़ोरेंसिक लैब में. जांच हुई. पता चल गया कि हथियारों से गोली चली है. घटनाक्रम की पुनरावृत्ति तारीख़ 3 अक्टूबर 2021. लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या की यात्रा के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहा था. मार्च जा रहा था. तेज़ी से तीन गाड़ियां आयीं. किसानों के जत्थे को गाड़ियों ने निर्ममता से कुचल दिया. घटना में चार किसानों और एक पत्रकार की मौक़े पर ही मौत हो गयी. किसानों की भीड़ ने तीन भाजपा कार्यकर्ताओं को भी पीट-पीटकर मार डाला. फिर आरोप लगा आशीष मिश्रा पर. कहा गया कि वो क़ाफ़िले को कुचलने वाली तीन गाड़ियों में से एक में मौजूद थे. भाजपा नेताओं पर फ़ायरिंग करने के भी आरोप लगे. आशीष मिश्रा और उनके क़रीबियों को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया. कुछ किसानों को भी अरेस्ट किया गया. मामला पहुंच गया सुप्रीम कोर्ट. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा, मामले की जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के रवैये पर उठाए सवाल यूपी सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की. कोर्ट ने कहा कि इस स्टेटस रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं था, जैसा निर्देश कोर्ट ने दिया था. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था,
“मामले में दो FIR दर्ज की गयी हैं. दोनों में घालमेल नहीं होना चाहिए. एक आरोपी को बचाने के लिए दूसरी FIR में एक तरह से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं.”
कोर्ट ने आगे कहा कि जो SIT इस मामले में जांच कर रही है, वो दोनों FIR में अंतर नहीं कर पा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों FIR की अलग-अलग जांच होनी चाहिए. अलग-अलग ही चार्जशीट दाखिल होनी चाहिए. किसी तरह का कोई घालमेल न हो. बता दें कि तिकुनिया हिंसा मामले में दो FIR दर्ज की गयी हैं. एक FIR है किसानों को गाड़ी से कुचलने से जुड़ी हुई और दूसरी FIR है भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर देने की. 8 नवंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से ये भी कहा कि वो इस पूरे मामले की जांच किसी और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में करवाना चाहते हैं. कोर्ट ने यूपी सरकार से समय मांगा. मामले की अगली सुनवाई अब 12 नवंबर को होगी.