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मोहम्मद जुबैर के मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने दिल्ली पुलिस की नीयत पर सवाल खड़े किए

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में मोहम्मद जुबैर पर कार्रवाई हो गई, लेकिन नूपुर शर्मा पर नहीं हुई.

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पूर्व जस्टिस दीपक गुप्ता का कहना है कि चोट मामलों में भी जमानत न मिलना चिंतित करने वाला है | फ़ाइल फोटो: यूट्यूब

'चिंता की बात तो ये है कि छोटे मामलों में भी कई जज जमानत देने से डरते हैं.'

Alt News के पत्रकार मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी को लेकर यह बात कही है सुप्रीम के पूर्व जस्टिस दीपक गुप्ता ने. उन्होंने लाइव लॉ वेबसाइट को एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी को लेकर काफी बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कई बार दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े किए.

दिल्ली पुलिस निष्पक्ष नहीं!

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस दीपक गुप्ता ने सबसे पहले दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में मोहम्मद जुबैर पर कार्रवाई हो गई, लेकिन नूपुर शर्मा पर नहीं हुई. जबकि नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की जिससे ज्यादा हिंसा भड़क सकती है. दीपक गुप्ता के मुताबिक यही वजह दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता पर बड़े सवाल खड़े करती है. रिटायर्ड जज ने साफ़ कहा कि जिस तरह से मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार किया गया, उसमें कुछ गड़बड़ है.

जुबैर को एक फिल्म में दिखाए गए साइन बोर्ड को ट्विटर पर शेयर करने को लेकर गिरफ्तार किया गया है. इसे लेकर दीपक गुप्ता ने कहा,

'40 साल तक किसी ने फिल्म के बारे में कोई शिकायत नहीं की. और अब कैसे एक अज्ञात शिकायतकर्ता (ट्विटर हैंडल) के कहने पर फिल्म में दिखाए गए साइन बोर्ड के लिए जुबैर के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई.'

जस्टिस गुप्ता इस बात को लेकर भी हैरान थे कि एक अज्ञात शिकायतकर्ता के कहने पर कैसे तेजी से पुलिस ने FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी. उन्होंने लाइव लॉ के इंटरव्यू में कहा,

'लोगों को शिकायत दर्ज कराने में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सुप्रीम कोर्ट में हम ऐसे मामले देखते हैं जिनमें महिलाओं ने बलात्कार की शिकायत की है और उनका मामला दर्ज नहीं किया जाता. लेकिन यहां अज्ञात शिकायतकर्ता के कहने पर मामला दर्ज हो गया.'

'मजिस्ट्रेट डरते हैं'

वहीं मोहम्मद जुबैर को जमानत न मिलने के सवाल पर जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा,

छोटे मामलों में भी मजिस्ट्रेट द्वारा जमानत देने से डरना एक बड़ी चिंता का विषय है. जब कोई मामला लोगों की नजर में होता है तो मजिस्ट्रेट जमानत देने को लेकर और ज्यादा सतर्क हो जाते हैं.

जुबैर के मामले में दिल्ली पुलिस ने उनके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त कर, उन्हें जांच के लिए भेज दिया. इसे लेकर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि जुबैर की चिंता लाजमी है. उनके मुताबिक सिर्फ पत्रकार और वकील ही नहीं, बल्कि कोई आम नागरिक भी नहीं चाहेगा कि उनके इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को बिना वजह जब्त कर लिया जाए. सभी को गोपनीयता की चिंता रहती है.

वीडियो देखें : ऑल्ट न्यूज़ वाले मोहम्मद जुबैर को जिस ट्वीट के लिए अरेस्ट किया गया, उसमें क्या था?