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'मुझे गलत तरीके से फंसाया जा रहा..', जज ने डिप्टी कमिश्नर पर लगाए बड़े आरोप, मामला मुख्य सचिव तक पहुंचा

मामला Jammu and Kashmir के Ganderbal district court का है. यहां एक sub-judge ने Deputy Commissioner पर आरोप लगाए कि उनके पिछले आदेश का बदला लेने के लिए उनकी ज़मीन की जांच शुरू कर दी गई है.

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ये मुद्दा ज़मीन अधिग्रहण के एक मामले से जुड़ा है. (फ़ोटो - इंडिया टुडे/ganderbal.dcourts)

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के गंदेरबल में एक उप न्यायाधीश (sub-judge) ने ज़िले के डिप्टी कमिशनर के ख़िलाफ़ आपराधिक अवमानना ​​के तहत शुरुआती जांच शुरू करने के निर्देश दिए हैं. सब-जज का कहना है कि उनके पिछले आदेश का पालन नहीं किया गया और उन पर 'हेरफेर करके और मनगढ़ंत तरीके से' निजी हमला किया गया है. जज का ये भी आरोप है कि उनके पिछले आदेश का बदला लेने के लिए उनकी ज़मीन की जांच शुरू कर दी गई है.

गंदेरबल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के सब-जज फ़याज़ अहमद क़ुरैशी ने डिप्टी कमिश्नर श्यामबीर से ये भी बताने को कहा कि उन्हें आपराधिक अवमानना की ​​कार्यवाही के लिए जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए. मामले को जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव अतुल डुल्लू के सामने रखते हुए जज ने डिप्टी कमिश्नर श्यामबीर के ख़िलाफ़ प्रशासनिक कार्रवाई की भी सिफ़ारिश की है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, ये मुद्दा ज़मीन अधिग्रहण के एक मामले से जुड़ा है. दरअसल, याचिकाकर्ताओं ने क़ुरैशी की कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और बताया कि सरकार ने उनसे ज़मीन अधिग्रहण करने के बाद उन्हें मुआवजा नहीं दिया. जबकि 2022 में इसे लेकर एक आदेश जारी किया गया था. इस पर जनवरी, 2024 में सब-जज क़ुरैशी ने एक आदेश जारी किया और डिप्टी कमिश्नर श्यामबीर को याचिकाकर्ताओं को मुआवज़ा देने का निर्देश दिया था.

इसके बाद 21 जून, 2024 को जज ने एक और आदेश जारी किया. इसमें उन्होंने कहा कि श्यामबीर ने जनवरी के आदेश पर कार्रवाई नहीं की है. जज ने निर्देश दिया कि उनकी और दूसरे अधिकारियों की सैलरी रोक दी जाए. फिर 23 जुलाई, 2024 को क़ुरैशी ने एक और आदेश जारी किया. इसमें उन्होंने कहा कि उनका पिछला आदेश गंदरबल के डिप्टी कमिश्नर श्यामबीर को पसंद नहीं आया. इसीलिए उन्होंने पीठासीन अधिकारी (सब जज) पर निजी हमला करने की कोशिश की, उन्हें बदनाम किया और हेरफेर और मनगढ़ंत तरीक़े से उन्हें कमजोर किया.

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सब-जज क़ुरैशी ने आगे बताया कि इसके लिए डिप्टी कमिश्नर ने आदेश के तुरंत बाद एक बैठक बुलाई और ज़िले के कुछ दूसरे अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर उन्हें फंसाने की साज़िश रची. वो भी एक सही (न्याय सम्मत) आदेश जारी करने के लिए. जज ने श्यामबीर पर झूठे मामले में उन्हें फंसाने के लिए बदले की जांच शुरू करने का आरोप लगाया. जज ने कहा कि डिप्टी कमिश्नर को पता चला कि गंदेरबल में उनके पास दो कनाल ज़मीन है. इसके बाद डिप्टी कमिश्नर ने अपनी आधिकारिक मशीनरी का ग़लत इस्तेमाल किया. साथ ही, पीठासीन अधिकारी के पास मौजूद (कानूनी रूप से वैध) संपत्ति के डॉक्यूमेंट्स के बारे में पता किया.

डिप्टी कमिश्नर के निर्देश पर एक पटवारी ने तीन बार उनकी ज़मीन का दौरा किया. उन्होंने कहा कि पटवारी ने ज़मीन के रखवाले को बताया कि डिप्टी कमिश्नर ने जज की ज़मीन के सीमांकन के लिए एक टीम बनाई है. अपने आदेश में जज ने मुख्य सचिव को डिप्टी कमिश्नर के ख़िलाफ़ प्रशासनिक कार्रवाई शुरू करने और उनका ट्रांसफ़र करने को भी कहा है. आदेश में ये भी कहा गया है कि चूंकि डिप्टी कमिश्नर जज को कुछ झूठे और ग़लत मामलों में फंसाने की कोशिश कर सकते हैं, इसीलिए डिप्टी कमिश्नर को ये बताने के लिए नोटिस जारी किया गया है कि उनके ख़िलाफ़ आपराधिक अवमानना ​​का मामला हाईकोर्ट में क्यों न भेजा जाए.

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