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बिहार: दो बार मुखिया रहे पिता को बेटे ने ही हरा दिया

पिता को हराने के बाद क्या बोला बेटा?

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अपने पिता को पंचायत चुनाव में हराकर जश्न मनाते Bihar के Gopalganj के संतोष प्रसाद (मध्य)
बाप शेर तो बेटा सवा शेर. ये कहावत आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन बिहार (Bihar) के गोपालगंज में इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिला. यहां पंचायत चुनाव में बाप और बेटा आमने-सामने थे. दोनों ही गांव के मुखिया पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे थे. नतीजा आया तो बेटे ने दो बार के मुखिया पिता को हरा दिया. मौजूदा सरपंच विजय प्रसाद और उनके छोटे बेटे संतोष कुमार के बीच इस मुकाबले को लेकर आसपास के गांवों में खूब चर्चा रही. हर किसी के मन में एक ही सवाल था कि आखिर जीतेगा कौन? नतीजे वाले दिन तो पूरा गांव टकटकी लगाए रिजल्ट का इंतजार कर रहा था. अंत में बेटे ने इस 'हाई प्रोफाइल' मुकाबले को भारी बहुमत से जीत लिया. आजतक के सुनील तिवारी की रिपोर्ट मुताबिक, बिहार के गोपालगंज के बरौली प्रखंड में माधौपुर पंचायत है. यहां मुखिया पद के लिए चुनाव हुए. कुछ वर्षों से विजय प्रसाद मुखिया की कुर्सी पर काबिज थे. विजय तीसरी बार मैदान में थे. लेकिन इस बार उनके बेटे ने ही उनके खिलाफ पर्चा भर दिया. बेटे की मानें तो वह बीते कुछ वर्षों से पिता के विकास कार्यों में हाथ बंटाता आया है और इस बार पिता ने अपने बड़े बेटे की बातों में आकर विकास कार्य नहीं किया. बेटे ने मीडिया से बात करते हुए कहा,
"मेरे पिता के द्वारा पंचायत में जो भी विकास कार्य किये जा रहे थे, वे सभी मेरे ही सहयोग से हुए हैं. मैं अपने पिता के हर कार्य में हाथ बंटा रहा था, लेकिन कुछ वर्षो से मेरे पिता अपने बड़े बेटे की बातों में आकर पंचायत में विकास कार्य नहीं कर पा रहे थे. इसी वजह से पंचायत में विकास करने की नियत से मैं चुनाव मैदान में उतर गया था."
बाप- बेटे के चुनाव में उतरने के बाद लोगों की दिलचस्पी इसके परिणाम को लेकर बढ़ गई थी. परिणाम वाले दिन तो माहौल अलग ही था. जिस तरह पास के गांव में होने वाले क्रिकेट मैच देखने, पूरा गांव पहुंच उमड़ जाता है. उसी तरह इस चुनाव के परिणाम को जानने के लिए आसपास के गांवों से लोग डाइट सेंटर पहुंच गए. नतीजा आया तो बेटे के समर्थक खुशी से झूम उठे. बेटे ने इस मुकाबले को बड़े अंतर से जीत लिया. बेटे संतोष को कुल 1981 वोट मिले, वहीं उनके पिता को सिर्फ 900 वोट मिले. इस जीत पर संतोष ने कहा,
"मैं जनता की सेवा पहले भी करता आया हूं, मुखिया बनने के बाद मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई है, अब मेरा मुख्य उद्देश्य तन, मन और धन से जनता की सेवा करना है."
राजनीति में इस तरह की घटनाएं कम ही देखने को मिलती है, यही वजह है कि इन नतीजों के बाद माधौपुर पंचायत चर्चा का विषय बनी हुई है.