केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार 15 दिसंबर को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में ये जानकारी दी. प्रश्न पूछा गया था,
जम्मू-कश्मीर में ज़मीन की खरीद बिक्री की स्थिति क्या है? क्या राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति ने अब तक जम्मू-कश्मीर में ज़मीन खरीदी है? और यदि खरीदी है तो इसका ब्योरा क्या है?
राज्यसभा में लिखित जवाब के रूप में ये जानकारी दी गई है
इसके जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया,
जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जानकारी के अनुसार अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में अब तक केंद्रशासित प्रदेश के बाहर के व्यक्तियों ने कुल सात प्लॉट खरीदे हैं और ये सभी प्लॉट जम्मू डिवीजन में मौजूद हैं.
'जमीन भी नहीं खरीदी, आतंक भी कम नहीं हुआ'
राज्यसभा से ये लिखित जवाब आया तो सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं आने लगीं. 'ये है कानपूर का जलवा' नाम के ट्विटर अकाउंट से कहा गया,आर्टिकल 370 हटने के करीब ढाई साल बाद भी कश्मीर घाटी में बाहरी लोगों ने एक भी प्लॉट नहीं खरीदा. राज्यसभा में गृह मंत्रालय ने ये जानकारी दी. अब सवाल ये उठता है कि ना ही आतंकवाद कम हुआ और न ही किसी बाहरी ने ज़मीन ख़रीदी, तो फिर 370 हटाने से हासिल क्या हुआ?
धारा 370 हटाए जाने के बाद सरकार ने दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर में निवेश आएगा और लोग यहां आकर कारोबार शुरू करेंगे. आर्टिकल 370 हटने के बाद सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा चली कि अब कश्मीर में प्लॉट खरीदना है. डेटा बताता है कि सरकार के वादे ढाई साल बाद भी जमीन पर नहीं उतर सके हैं.
एक और यूजर मोहम्मद सैयद ने कहा,
अंधभक्तो और फर्जी राष्ट्रवादियो, कश्मीर में जमीन नहीं खरीदना क्या. सुना है बड़े सस्ते में जमीन मिल रही है. और अब तो कोई डर भी नहीं है. नोटबंदी से आतंकवादियों की कमर भी टूट गई है. बड़े अफसोस की बात है. धारा 370 हटाने के बाद एक बंदे ने भी कश्मीर में प्लॉट नहीं खरीदा.