The Lallantop

कल्याण सिंह को कुछ तो किस्मत ने बचाया, कुछ मोदी सरकार ने

बाबरी विवादित ढांचे मामले में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री बच गए हैं.

Advertisement
post-main-image
कल्याण सिंह का बयान सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों ने उनका विरोध शुरू कर दिया. फाइल फोटो. इंडिया टुडे.
बाबरी विवादित ढांचे केस में नया मोड़ आया है. सुप्रीम कोर्ट ने आडवाणी समेत 13 नेताओं पर केस चलाने का निर्णय लिया है. आडवाणी पर आपराधिक केस चलेगा पर कल्याण सिंह पर नहीं चलेगा. आडवाणी रथ यात्रा लेकर निकले थे और जब बाबरी गिरी तो यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह हुआ करते थे. आडवाणी ना तो मुख्यमंत्री रहे हैं, ना ही प्रधानमंत्री. उनके साथ मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती पर भी केस चलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लखनऊ कोर्ट में ये ट्रायल होगा और जज का ट्रांसफर नहीं होगा.
पर कल्याण सिंह क्यों बच गए हैं? क्या मोदी सरकार उनको बचा रही है?
कल्याण सिंह कालांतर में राजस्थान के राज्यपाल हो गए. और इसी पद की वजह से बचे हुए हैं. इसकी जड़ संविधान के आर्टिकल 361 में है.
इस आर्टिकल के सेक्शन 2 के मुताबिक:
1. प्रेसिडेंट या गवर्नर के खिलाफ कोई क्रिमिनल प्रोसीडिंग नहीं चलाई जा सकती. जब तक कि वो लोग अपने कार्यकाल में हैं.
2. उनके कार्यकाल के दौरान उनको गिरफ्तार करने या फिर जेल भेजने के लिए कोई प्रोसेस नहीं शुरू किया जा सकता.
तो कल्याण सिंह बाहर से ही इस मामले को देखेंगे. उनकी किस्मत भी अच्छी रही है. जब तक वो बाहर थे, तब तक ये मामला ठंडा था. 2014 में वो राज्यपाल बन गए. पर 2019 में तो वो इस पद से हट जाएंगे. और फिर अगर केस उस वक्त खुल गया तो फिर उनको कोर्ट जाना पड़ेगा.
Babri M
बाबरी मस्जिद

ऐसा ही शीला दीक्षित के साथ हुआ था. उन पर करप्शन का चार्ज लगाया गया था. पर उस वक्त वो केरल की राज्यपाल थीं. तो कहा जा रहा था कि अब तो कुछ नहीं हो सकता. हालांकि वो राज्यपाल पद से हटीं पर मामले का पता नहीं कि क्या हुआ. अरविंद केजरीवाल के खिलाफ विरोधी इस बात को खूब उछालते हैं कि चुनाव लड़ने से पहले हर भाषण में कहते थे कि शीला दीक्षित को जेल भेजूंगा पर जीतने के बाद भूल गए कि कुछ हुआ भी था.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भाजपा के नेता कुछ इस तरह बयान दे रहे हैं:
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि हम मुद्दे पर बात करेंगे. मैं नहीं सोचता कि हमें अपने नेताओं के खिलाफ एक्शन नहीं लेना चाहिए.
विनय कटियार ने कहा कि ये सारे आरोप मिथ्या हैं. दोनों नेताओं ने न्यूज 18 को ये बयान दिए थे.
पर क्या आडवाणी को बचाया जा सकता है?
आडवाणी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए चर्चा में था. पर इस संवैधानिक पद की मर्यादा का ख्याल रखते हुए अब तो उनके नाम पर प्रस्ताव नहीं ही लाया जाएगा जब तक कि इस मामले से उनको राहत ना मिल जाए. आडवाणी बहुत पहले हवाला केस में ऐलान कर चुके थे कि जब तक इस मामले से निजात नहीं मिलेगी संसद में नहीं जाऊंगा. 1996 में उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. शायद अब भी वो इसी तरह की बात करें.
ये भी पढ़ें:

बाबरी ध्वंस के 10 सबसे बड़े चेहरे

Advertisement

फर्जियों के फतवे: सोनू निगम को गंजा करो, 10 लाख पाओ, जूता मारो, एक लाख पाओ

जिनको 'क्रूरता' के लिए याद रखा गया, उन्होंने लता मंगेशकर को सोने का कुंडल इनाम दिया

Advertisement

Advertisement
Advertisement