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बैंक कर्मचारी आज से हड़ताल पर, जानिए किन बैंकों का काम होगा प्रभावित

प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ 2 दिन की हड़ताल

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फाइल फोटो: इंडिया टुडे
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के प्राइवेटाइजेशन का विरोध तेज हो गया है. गुरुवार 16 दिसंबर से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 09 लाख कर्मचारी हड़ताल (Bank Strike) पर जा रहे हैं. यह हड़ताल दो दिनों तक चलेगी. बैंक यूनियंस के नेताओं ने बताया कि हड़ताल सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण के कोशिशों के खिलाफ की जा रही है. सरकार से बातचीत रही विफल बैंकों की नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने इस हड़ताल का आह्वान किया है. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने PTI को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि  बुधवार 15 दिसंबर को दिल्ली में एक बैठक हुई. इसमें भारतीय बैंक संघ (IBA) और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि मौजूद थे. वेंकटचलम ने कहा,
"इस बैठक में बैंक यूनियनों ने कहा कि अगर केंद्र सरकार उन्हें आश्वासन देती है कि वे संसद के इस सत्र में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 पेश नहीं करेंगे, तो वे हड़ताल टाल देंगे. सरकार ने हमें ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया, इसलिए दो दिन की हड़ताल की जा रही है."
इन बैंकों का कामकाज होगा ज्यादा प्रभावित बैंक हड़ताल का सबसे ज्यादा असर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India -SBI), पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank – PNB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) और आरबीएल बैंक (RBL Bank) के कामकाज पर पड़ सकता है. क्योंकि इन बैंकों के ही अधिकांश कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे हैं. इन बैंकों की ओर से कहा भी गया है कि 16 और 17 दिसंबर को बैंक हड़ताल की वजह से उनके कामकाज पर असर पड़ सकता है. PNB ने स्टॉक एक्सचेंज को दिए एक बयान में कहा है कि बैंक ने अपनी शाखाओं में सामान्य कामकाज के लिए इंतजाम किए हैं, लेकिन हड़ताल की वजह से बैंक के कामकाज पर असर पड़ सकता है. वहीं सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने कहा है कि उसने हड़ताल से निपटने के लिए सभी शाखाओं और दफ्तरों में मौजूदा गाइडलाइंस के तहत जरूरी कदम उठाए हैं. बैंक कर्मचारी प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ क्यों हैं? केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल फरवरी में 2021-22 का बजट पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा की थी. संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश करने की तैयारी में है. इसके जरिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में न्यूनतम सरकारी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से घटाकर 26 प्रतिशत किये जाने की संभावना है. कर्मचारी यूनियंस का कहना है कि इस संशोधन विधेयक से किसी भी सरकारी बैंक को निजी क्षेत्र में देने का रास्ता साफ हो जाएगा. यूएफबीयू की महाराष्ट्र इकाई के संयोजक देवीदास तुलजापुरकर के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में बैंक शाखाएं बंद हो जाएंगी. इससे सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए बनाई गई सभी सरकारी योजनाएं भी प्रभावित होंगी. तुलजापुरकर के मुताबिक सरकार के इस फैसले का नतीजा ये होगा कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पटरी से उतर जाएगी.