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अडानी के 11 लाख करोड़ उड़े, वापसी का ये प्लान कहानी पलट देगा?

हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद से अडानी समूह को लगातार नुकसान हो रहा है.

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गौतम अडानी (फाइल फोटो: आजतक)

अभी देखिए अडानी (Adani) वाला बहुत हो गया है. बहुत सारा पानी बह चुका है. अब बात है कॉन्फिडेन्स की. मार्केट बिल्डिंग की. डेवलपमेंट की. अडानी समूह यही करने की कोशिश कर रहा है. अब इस पर ही बात करेंगे, शुरु करें?

ब्लूमबर्ग (Bloomberg) की रिपोर्ट छपी है. कई अखबारों ने अपने यहां उठाई है वो रिपोर्ट. रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ने मार्केट में वापसी करने का एक लंबा-चौड़ा प्लान बनाया है. ये प्लान तब आया है जब अडानी समूह को मिलाजुलाकर 132 बिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है. रुपये में बात करें तो ये कीमत है लगभग 11 लाख करोड़ की.

नुकसान कैसे हुआ? 

सबको पता है. नुकसान हुआ हिंडनबर्ग रिपोर्ट की वजह से. फिर उसके बाद जांच-कॉमेंट वगैरह हुए. उसके बाद ही सब सामने आया. उसके बाद ही नुकसान हुआ, और उसके बाद अडानी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया.

अब अडानी समूह कर क्या रहा है? इसको प्वाइंट्स में समझिए-

1- अडानी समूह ने लोन का प्रीपेमेंट शुरु कर दिया है, साथ ही तमाम उधारियों को समय से चुकाना शुरु कर दिया है. ताकि देनदारों और बैंकों की गुडबुक्स में आ सकें. मतलब यही कारण होना चाहिए, ऐसा विशेषज्ञ मानते हैं.

2- कंपनी के आला अधिकारियों ने विदेश में कंपनी के निवेशकों और बॉन्डहोल्डर्स के साथ मीटिंग शुरू कर दी है. खबर के मुताबिक, इन लोगों ने अडानी समूह में हाल फिलहाल के दिनों में 8 बिलियन डॉलर का निवेश किया था. लगभग 661 करोड़ का निवेश.

3- अडानी समूह ने Kekst CNC नाम की कम्यूनिकेशन फर्म के साथ साझेदारी की है. ये कंपनी क्या करती है? अंग्रेजी में कहें तो ग्लोबल strategic कम्यूनिकेशन है. मतलब फाइनेंस के मार्केट में कंपनियों के लिए ये कंपनी संपर्क करती है, उनका रौला बनाती है, भौकाल बनाती है, उनके clients और उनके निवेशकों के गुडबुक्स में आने के लिए बातचीत का चैनल ओपन करती है.

अब ये जो कंपनी है, Kekst CNC, वो न्यूयॉर्क और म्यूनिख में अपना ऑफिस खोलकर बैठी हुई है. और खबरों की मानें तो ये खास कंपनी है, वो ऐसे केस हैंडल करने में महारथी है, जहां कंपनियों की हालत दुनिया-जहान के सामने खराब हुई है. ताज़ा उदाहरण है 2019 में WeWork Inc का, जहां इसी फर्म ने काम किया था. ऐसे केसों में महारथ... मतलब समझ रहे हैं न.

Kekst CNC का यहां काम क्या होगा? निवेशकों का भरोसा जीतना. एकसूत्रीय काम यही सौंपा गया है. बस हिंडनबर्ग का मामला नहीं सौंपा गया है. उसके आसपास और भी जो आरोप लगे हैं इस कंपनी पर, उसे संभालना है. सबके केंद्र में बिजनेस और पैसा है, ये बात समझिए.

4- इसके अलावा अडानी ने कुछ और कानूनी सलाह देने वाली कंपनियों को भी साधा है.

नाम है- Wachtell, Lipton, Rosen & Katz

ये बताया है Financial Times ने.

Wachtell, Lipton, Rosen & Katz अमेरीका की सबसे महंगी लॉ कंपनियों में से एक है. और लंबे समय से ऐसे केसों में कई कंपनियों को बचाती रही है, जो अपने शेयरहोल्डर्स की सक्रियता और पैनी निगाह की वजह से निशाने पर आती रही हैं. जानकार कहते हैं कि इतना सब होने के बाद भी अडानी ग्रुप के पास इतना पैसा है, जो हचककर पैसा कानूनी सलाहकारों और PR फर्म पर न्यौछावर कर रहा है.

5- अडानी ग्रुप में पैसा लगाने वाले निवेशक दो चीजों को ध्यान से देख रहे हैं. पहला अडानी समूह का बहुत ऊंचा लेवेरेज रेशिओ और दूसरा FPI वापिस लेने के बाद अडानी समूह में कैशफ़्लो पैदा करने की कितनी क्षमता बची है. अब अडानी समूह इन चीजों को अड्रेस करने की भी कोशिश कर रहा है. अडानी समूह का बॉन्ड रखने वालों को कंपनी की ओर से कॉल गई. कहा गया कि कंपनी अपने कर्ज में कटौती करने की तैयारी में है, जिससे स्थिति और सुधार की ओर दिखाई दे.

6- हाल में ही DB पॉवर वाली डील कैन्सल की गई है. अडानी पॉवर ने कैन्सल की. क्यों किया ऐसा? ताकि कंपनी कम खर्च करे और ज्यादा से ज्यादा कैश कंपनी बचा सके.

7- क्या अडानी को अपने कुछ रिसोर्स बेचने पड़ेंगे? ऐसी बात रिपोर्ट में कही तो गई है. हांगकांग के Natixis SA के सीनियर एकोनिमिस्ट ट्रिन गुएन ने कहा है कि अडानी समूह के पास कुछ बहुमूल्य ऐसेट मौजूद हैं, सवाल ये है कि अडानी समूह क्या उन ऐसेट को बेचना चाहेगा और बेचेगा ताकि और निवेशक जुटाए जा सकें?

ऐसेट बेचने का मतलब ये कतई नहीं होता है कि कंपनी की स्थिति बहुत खराब है, बेचकर खाने-कमाने की कीमत पर काम करना पड़ रहा है. लेकिन कमाई की ख्वाहिश रखने वाली कंपनियां समय-समय पर भरोसा जीतने और जताने के लिए ऐसे कदम उठाती रहती हैं.

8- अडानी समूह के खर्चों का हिसाब कौन करेगा? हर जगह बात हो रही है कि अडानी समूह के खर्चों का हिसाब किया जाए, आरोपों की जांच हो रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी कुछ इंडिपेंडेंट फर्म को हायर करेगी, जो उसका कामधाम देखेंगी, नियम-कानून का पालन हो रहा है या नहीं, ये देखेंगी. हिसाब-किताब देखेंगी, लेकिन अभी तक किसी फर्म की घोषणा नहीं हुई है. होगी तो वो भी आपको बताएंगे. जानकार मानते हैं कि अगर कंपनी का ऑडिट एक बड़ी फर्म करती है, तो लोगों की निगाह में मामला सही होगा. थोड़ी साख बढ़ेगी-जमेगी.

गौतम अडानी और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती के चर्चे होते रहे हैं. इसे ही लेकर बीते दिनों देश की संसद में बवाल हुआ. भाषण काटा गया. नरेंद्र मोदी पर विपक्ष ने अपने हिस्से के सवाल दागे. नरेंद्र मोदी ने सवाल के सीधे मुद्दे पर जवाब देने की जगह विपक्ष के कथित भ्रष्टाचारों का ज़िक्र किया, उनके विवादों का ज़िक्र किया. ये विवाद अब भी जारी है.

खबर एक और है. बैंक ऑफ बड़ौदा के CEO संजीव चड्ढा ने कहा है कि वो अडानी को मुंबई के धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए और धनराशि मुहैया कराने के बारे में सोच रहे हैं. बैंक ऑफ बड़ौदा सरकारी बैंक है. वो सोच रहा है कि अडानी को और पैसा दिया जाए. सारी बुरी खबरों के बीच एक ये भी खबर है. 

वीडियो: खर्चा पानी: अडानी पावर और डीबी पावर की डील फेल!