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द वॉशिंगटन पोस्ट से लेकर अल जज़ीरा तक, CAA पर क्या है विदेशी मीडिया का रुख

CAA कानून लागू होने पर Washington Post ने लिखा, "भारत ने मुसलमानों को बाहर करने वाले नागरिकता कानून को लागू करने की घोषणा की."

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विदेशी मीडिया ने केंद्र सरकार के CAA कानून लागू करने के फ़ैसले पर क्या कहा? (फोटो - आजतक)

भारत सरकार ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के नियमों की अधिसूचना जारी कर दी. इसके तहत देश में रह रहे गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. CAA के नियमों की अधिसूचना जारी होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष की बयानबाजी शुरू हो गई. इस ख़बर पर भारत ही नहीं विदेशी मीडिया में भी सुर्खियां बनने लगीं. दुनिया भर की मीडिया इसे प्रमुखता से कवर कर रही है. विदेशी मीडिया ने CAA के नियमों को लागू करने पर क्या-क्या लिखा है, यही जानेंगे.

पाकिस्तानी अखबार डॉन ने सुर्खी लगाई, "भारत ने विवादास्पद नागरिकता कानून लागू करने का कदम उठाया."

अखबार ने लिखा,

"विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) पारित होने के चार साल बाद, नरेंद्र मोदी सरकार ने CAA लागू किया. सरकार ने कहा है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में जिन अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न हो रहा है उनको CAA के तहत आसानी से भारत की नागरिकता मिलेगी."

क़तर के मीडिया संस्थान Aj-Jazeera ने सुर्खी लगाई, “भारत ने चुनाव से कुछ हफ्ते पहले 'मुस्लिम विरोधी' 2019 नागरिकता कानून लागू किया”. अल जज़ीरा लिखता है,

"भारत सरकार ने CAA लागू करने के नियमों की घोषणा कर दी है. सरकार ने ये फैसला चुनाव के कुछ हफ्ते पहले लिया है. पीएम नरेंद्र मोदी अपनी हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार का तीसरा टर्म चाहते हैं. मोदी सरकार ने 2019 में ये कानून पारित किया था. इसमें भारत के पड़ोसी देश में रहने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है."

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ब्रिटिश अखबार The Guardian ने भी इस खबर को कवर किया है. गार्डियन अखबार ने भी कानून के धार्मिक आधार पर नागरिकता देने की बात को प्रमुखता से छापा है. अखबार ने सुर्खी लगाई, “भारत ने नागरिकता कानून बनाया, जिसकी मुसलमानों के प्रति 'भेदभावपूर्ण' कहकर आलोचना हुई.”

अमेरिकी अखबार The Washington Post ने हेडिंग लगाई- "भारत ने मुसलमानों को बाहर करने वाले नागरिकता कानून को लागू करने की घोषणा की."

बता दें, मोदी सरकार ने दिसंबर 2019 में CAA संसद में पारित कराया था. इस कानून के तहत सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देगी. हालांकि, ये फायदा केवल उन्हीं प्रवासियों या शरणार्थियों को मिलेगा जो 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ चुके हैं.

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