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किसान आंदोलन स्थगित, 11 दिसंबर से घर लौटेंगे किसान

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा- सरकार ने बात नहीं मानी तो फिर शुरू हो सकता है आंदोलन.

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संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया है.
पिछले एक साल से भी अधिक समय से चल रहा किसान आंदोलन खत्म हो गया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने इसका ऐलान किया है. किसान मोर्चा ने लंबी बैठक के बाद ये फैसला किया. वापसी के ऐलान के बाद किसान 11 दिसंबर से दिल्ली बॉर्डर से लौटना शुरू हो जाएंगे. किसान नेता बलवीर राजेवाल ने कहा कि हम सरकार को झुकाकर वापस जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि 15 जनवरी को किसान मोर्चा की फिर बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को स्थगित किया जा रहा है, लेकिन इसके साथ हर महीने एक बैठक की जाएगी. अगर सरकार अपने कहे से दाएं-बाएं होती है तो फिर से आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया जा सकता है. संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि दिल्ली बॉर्डर से किसान 11 दिसंबर से हटना शुरू होंगे. उसके बाद 13 दिसंबर को अमृतसर में हरमंदिर साहब पर मत्था टेकेंगे. वहीं, 15 दिसंबर से पंजाब के टोल प्लाजा पर डटे हुए किसान भी हट जाएंगे. पंजाब के 32 किसान संगठनों ने भी वापस जाने का प्रस्ताव रखा है. प्रस्ताव के मुताबिक, किसान 11 दिसंबर को बॉर्डर से निकलेंगे और 13 दिसंबर को अमृतसर के हरमंदिर साहब पहुंचेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलबीर राजेवाल ने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में कहा
26 नवंबर को पिछले साल किसान आंदोलन शुरू हुआ. आज हम यहां से एक बड़ी जीत लेकर जा रहे हैं. और एक अहंकारी सरकार को झुकाकर जा रहे हैं. यह मोर्चे का अंत नहीं है. आज आंदोलन को बस सस्पेंड किया है. आगे की लड़ाई के लिए 15 जनवरी को हम फिर बैठेंगे और आगे की रणनीति की समीक्षा करेंगे. जिन किसानों ने इस आंदोलन में अपनी  क़ुर्बानी दी है, उन्ही की बदौलत ये आंदोलन खड़ा रहा.
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेता हन्नान मुला ने कहा
किसान आंदोलन आज़ादी के बाद देश का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण आंदोलन है. आने वाले समय में सब जनवादी आंदोलन मिलकर लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे. 15 जनवरी को हम सरकार के कामों को निगरानी में रखते हुए फिर आगे की नीति बनाएंगे.
सरकार की ओर से जो नया प्रस्ताव भेजा गया है उसमें सरकार की तरफ से MSP पर समिति बनाई जाएगी, उस समिति में संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों को भी शामिल करने की बात मान ली है. इसके साथ ही सरकार ने प्रस्ताव में ये भी लिखा है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा की सरकारें किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को तुरंत वापस लेने पर सहमत हो गई हैं. दिल्ली में भी किसानों के ऊपर जो मामले दर्ज हैं, उन्हें वापस लिया जाएगा.