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EC को इन सीटों पर मिले EVM चिप जांचने के एप्लिकेशन, पता है BJP वालों ने कितने भेजे हैं?

EVM Tampering Verification: ECI को जिन 11 सीटों के लिए ये आवेदन मिले हैं, उनमें से 8 सीटें लोकसभा की हैं और बाकी की 3 विधानसभा की हैं.

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ECI को मिले EVM Tampering Verification के लिए आवेदन. (फाइल फोटो)

चुनाव आयोग ने 20 जून को जानकारी दी कि हाल ही में हुए चुनावों के संबंध में उसे 11 सीटों पर यूज हुईं EVM मशीनों के माइक्रोचिप्स का वेरिफिकेशन (EVM Tampering Verification) करने के आवेदन मिले हैं. इन 11 सीटों में से 8 सीटें लोकसभा चुनाव से जुड़ी हैं और बाकी की 3 विधानसभा चुनावों से.

लोकसभा सीटों की अगर बात करें तो इनमें आंध्र प्रदेश की विजयनगरम, छत्तीसगढ़ की कांकेड़, हरियाणा की करनाल और फरीदाबाद, महाराष्ट्र की अहमदनगर, तेलंगाना की जहीराबाद और तमिलनाडु की वेल्लोर और विरुधनगर सीटें शामिल हैं.

आंध्र प्रदेश की विजयनगरम सीट के लिए YSRCP के उम्मीदवार ने आवेदन दायर किया है. छत्तीसगढ़ और हरियाणा की सीटों के लिए आवेदन कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों की तरफ से डाले गए हैं. वहीं BJP के उम्मीदवारों ने महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना की सीटों के लिए आवेदन डाले हैं. तमिलनाडु की विरुधनगर सीट के लिए एक आवेदन DMDK उम्मीदवार की तरफ से डाला गया है.

वहीं अगर विधानसभा सीटों की बात करें तो आंध्र प्रदेश की दो और ओडिशा की एक सीट के लिए आवेदन डाले गए हैं. आंध्र प्रदेश की दोनों सीटों के लिए आवेदन YSRCP उम्मीदवारों की तरफ से आए हैं और ओडिशा की एक विधानसभा सीट के लिए आवेदन BJD उम्मीदवार ने डाला है.

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चुनाव आयोग की तरफ से ये जानकारी तब आई है जब कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने EVM की जगह बैलट पेपर से चुनाव कराने की याचिकाएं खारिज कर दी थीं. हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने चुनाव में दूसरे या तीसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवारों को एक तय संख्या में EVM वेरिफिकेशन के लिए आवेदन करने की मंजूरी दी थी.

इससे पहले चुनाव आयोग ने 1 जून को EVM माइक्रोचिप्स  वेरिफिकेशन के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर जारी किया था. इसके तहत उम्मीदवारों को कुछ पैसे देने होते हैं. चुनाव आयोग ने प्रति EVM सेट ये रकम 40 हजार रुपये निर्धारित की. इसमें 18 प्रतिशत GST लगाने पर यह रकम 47,200 रुपये प्रति EVM सेट हो जाती है. EVM को लाने- ले जाने, CCTV कवरेज, इलेक्ट्रिसिटी और वीडियोग्राफी का खर्च भी इसी रकम में शामिल होता है. वहीं प्रशासनिक कामकाज का खर्च राज्य सरकार या केंद्र सरकार उठाती है.

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