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कश्मीर में सेना की पूछताछ के दौरान 3 नागरिकों की टॉर्चर से मौत का आरोप 'सही' निकला, रिपोर्ट में दावा

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सेना की आंतरिक जांच में ही ये सामने आया कि पूछताछ के दौरान तीनों नागरिकों की यातनाएं दी गई थीं. उन्हें टॉर्चर किया गया गया जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई.

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21 दिसंबर, 2023 को राजौरी में आतंकी हमला हुआ था, उसके बाद 8 नागरिकों को हिरासत में लिया गया था. (India Today)

जम्मू-कश्मीर में कुछ समय पहले सेना की पूछताछ के दौरान तीन आम नागरिकों की मौत हो गई थी. आरोप लगे थे कि पूछताछ करने वाले जवानों ने उन लोगों को टॉर्चर किया था. इस मामले ने इतना तूल पकड़ा था कि केंद्र सरकार को दखल देना पड़ा. खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कश्मीर पहुंचे और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने का वादा किया था. अब सेना की आंतरिक जांच में आरोप सही पाए गए हैं.

जांच के दौरान हुई पूछताछ में पता चला कि नागरिकों को गिरफ्तार करने से लेकर उनसे पूछताछ करने तक की पूरी प्रक्रिया में कई खामियां थीं. उनकी मौत के लिए सेना के सात से आठ जवानों पर आरोप लगे. इनमें कुछ अधिकारी भी शामिल हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि जांच के दौरान सामने आया है कि पूछताछ के दौरान तीनों नागरिकों को ‘यातनाएं’ दी गईं, उन्हें ‘टॉर्चर’ किया गया गया जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई.

बीते साल 21 दिसंबर को राजौरी जिले में मुगल रोड पर एक आतंकी हमला हुआ था. इसमें सेना के जवानों की मौत हुई थी. इसके अगली सुबह, आठ नागरिकों को पुंछ जिले के टोपा पीर से और पांच को राजौरी जिले से हिसारत में लिया गया. टोपा पीर से ले जाए गए आठ लोगों में से तीन की मौत कथित तौर पर टॉर्चर की वजह से हुई. अब जांच में सामने आया है कि पूरी प्रक्रिया में तो खामियां थी हीं, कुछ सैनिकों का व्यवहार भी सही नहीं था. इस मामले में आरोपी दो अधिकारियों और अन्य सैनिकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी की गई है.

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि जांच में 13 सेक्टर राष्ट्रीय रायफल के ब्रिगेड कमांडर और 48 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर की ओर से प्रशासनिक चूक समेत कमांड और नियंत्रण की कमी के साफ संकेत दिखाई देते हैं.

यह भी पढ़ें: कश्मीर में मारे गए तीन नागरिकों का 'आतंकी कनेक्शन' सामने आया, कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में क्या निकला?

रिपोर्ट के मुताबिक घटना के वक्त ब्रिगेड कमांडर साइट पर मौजूद नहीं थे. जबकि सीओ छुट्टी पर थे. यानी वे सीधे तौर पर किसी भी गलत गतिविधि में शामिल नहीं थे. लेकिन उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की सिफारिश की गई है. कहा गया है कि जरूरी नहीं कि ज्यादातर समय वे मौके पर ही हों, मगर ये अधिकारी नियमों और कायदों का पालन किया जाए, इसके लिए जिम्मेदार जरूर हैं.

दो अधिकारियों, जूनियर कमीशंड अधिकारियों (जेसीओ) और अन्य रैंकों के खिलाफ भी उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है. ये सभी हिरासत में लिए गए नागरिकों से पूछताछ के दौरान मौजूद थे. इसके अलावा सीओ की अनुपस्थिति में उनकी भूमिका के लिए एक अधिकारी जिम्मेदार था.

जिन दो अधिकारियों पर आरोप लगे हैं वो सीधे तौर पर दुर्व्यवहार में शामिल नहीं थे, लेकिन वे यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार थे कि पूछताछ नियमों के मुताबिक ही हो. इसलिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है.

इस पूरे मसले पर इंडियन आर्मी का बयान भी सामने आया है. सेना ने इंडियन एक्सप्रेस के सवाल पर जवाब देते हुए कहा,

भारतीय सेना इस घटना से जुड़े तथ्यों का पता लगाने के लिए गहन और निष्पक्ष जांच करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं कि जांच निष्पक्ष, व्यापक और निर्णायक हो. जांच के नतीजे के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी.

पिछले साल दिंसबर में घटी इस घटना के बाद सेना पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे. इसके बाद सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भी मृतकों के घर जाकर उन्हें सांत्वना दी और न्याय का भरोसा दिलाया था.

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