सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी में गायों के लिए कई योजनाएं चला रखी हैं. (सांकेतिक फोटो)
यूपी के मुख्यमंत्री हैं योगी आदित्यनाथ. गाय, गौशाला, गौरक्षा आदि को सरकार की प्राथमिकताओं में रखते हैं. कई योजनाएं भी चला रखी हैं. लेकिन एक तरफ जहां ठंड से गायों की मौत हो रही है, वहीं कुछ पंचायत प्रमुख और गौशाला संचालक सरकारी फंड न मिलने की शिकायत कर रहे हैं. पहले बात करेंगे बांदा की. अंग्रेजी अखबार 'द टेलीग्राफ' की खबर के मुताबिक, एक दर्जन से अधिक पंचायत प्रमुखों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. इसमें कहा है कि अप्रैल 2020 के बाद उन्हें गायों के लिए कोई सरकारी पैसा नहीं मिला है. हम अपने खर्चे पर गौशाला चला रहे हैं. अगर 25 दिसंबर तक हमें बकाया राशि नहीं मिलेगी, तो मजबूरी में पशुओं को छोड़ने पर विवश हो जाएंगे. बता दें कि सरकार की ओर से हर गाय के लिए 30 रुपये रोजाना दिए जाते हैं. पंचायत प्रमुखों का कहना है कि वे साल 2018 से 43 गौशाला चला रहे हैं. अप्रैल 2020 से कोई फंड नहीं मिला है. जिला ग्राम प्रधान संघ के नेता ज्ञान सिंह का कहना था कि 43 गौशालाओं में 15 हजार गायें हैं, जिन्हें वे खाना खिला रहे हैं. सरकारी फंड ना मिलने से अब मुश्किलें होने लगी हैं. इस खबर पर हमने बात की बांदा के जिलाधिकारी आनंद कुमार सिंह से. उन्होंने बताया कि ऐसा कोई मामला उनकी जानकारी में नहीं है. कुछ वक्त पहले ही रुका हुआ पैसा रिलीज किया गया था. हालांकि ये पैसा कितने दिन पहले जारी हुआ था, जिलाधिकारी को याद नहीं. पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक विद्या भूषण सिंह ने 'द लल्लनटॉप' को बताया,
"हमारे पास 200 करोड़ का बजट था, जिसमें से 132 करोड़ हम बांट चुके हैं. 34 करोड़ हमारे पास और आ गया है. लेकिन हमारे डायरेक्टर नवंबर में ही रिटायर हुए हैं. नए कोई आए नहीं हैं. जैसे ही नए डारेक्टर आएंगे, पैसा भेज दिया जाएगा. ये पैसा डीएम साहब के खाते में जाता है, वही पैसा गौशालाओं को दिया जाता है."
प्रियंका गांधी ने सरकार को घेरा ललितपुर में कुछ गायों की ठंड और भूख से मौत के आरोप सामने आए हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस बारे में यूपी सरकार को पत्र लिखा है और छत्तीसगढ़ मॉडल अपनाने का सुझाव दिया है. https://twitter.com/priyankagandhi/status/1340882951098122240 दरअसल ललितपुर जिले में सौजना गौ आश्रय स्थल और अमझरा गौ आश्रय स्थल पर कुछ गायों की मौत हुई है. इसका वीडियो भी वायरल है. जिलाधिकारी ए. दिनेश कुमार ने कुछ कर्मचारियों पर कार्रवाई भी की है. इस पर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक विद्या भूषण सिंह ने कहा,
"इस मामले में रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी हैं. डीएम और कमिश्नर स्तर से जांच हुई है. हमारे यहां से भी अधिकारी गए थे. जैसे आदमी मरते हैं, वैसे ही पशु भी तो मरते हैं. गौशाला में एक हजार से ऊपर जानवर हैं, चार-पांच मरे थे शायद थे. उनको जंगल में ले जाकर दफनाया गया था. किसी ने इसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया."
गौशालाओं में जरूरत से अधिक पशुओं के बारे में सवाल पर उन्होंने कहा कि ललितपुर में नई गौशाला बनकर तैयार है. उद्घाटन भी किया जा चुका है. व्यवस्थाएं बनने में वक्त लगता है.
अन्य जगहों पर क्या हालात हैं? ये खबरें थीं बुंदेलखंड के दो जिले बांदा और ललितपुर की. लेकिन समृद्ध इलाका माने जाने वाले पश्चिमी यूपी में क्या स्थिति है, ये जानने के लिए हमने बात की राष्ट्र चेतना मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमंत सिंह से. हेमंत बुलंदशहर में रहते हैं, और गायों के लिए काम करते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार जो पैसा देती है, कई बार उसमें कुछ देर हो जाती है. ऐसे में NGO मदद करती हैं लेकिन उनकी भी अपनी सीमाएं हैं. पशुपालन विभाग मेरठ मंडल के सहायक निदेशक डॉक्टर उजमा ने दावा किया कि सभी पेमेंट वक्त पर जिलों तक पहुंच रहे हैं. कहीं से कोई शिकायत नहीं है. मेरठ के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. राजेश सैनी ने बताया कि मंडल के सभी जनपदों तक पैसा पहुंचा दिया गया है. जहां से और डिमांड आई है, उसके बारे में शासन को बता दिया गया है. सबसे अधिक डिमांड बुलंदशहर से है. इस पर बात करने के लिए प्रदेश के पशुपालन मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी को कई बार फोन किया गया लेकिन बात नहीं हो सकी.
विपक्षी दल क्या कहते हैं? प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी आरोप लगाते हैं कि प्रदेश में गायों और गौशालाओं की स्थिति दयनीय है. जमीनी हकीकत ये है कि गायों के लिए पानी तक नहीं है. सरकार 30 रुपये देती है, उसमें पूरा चारा हो ही नहीं सकता. गायें गौशालाओं से गायब हो जाती हैं, मर जाती हैं. हालात बेहद बुरे हैं. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी ने भी आरोप लगाते हुए कहा,
"ये गाय का भी सम्मान नहीं कर पाए, कैसी सरकार है ये. हवा हवाई बातें करते हैं. बुंदेलखंड में कई गायें मर गईं. सड़कों पर घूम रही हैं. पूज्यनीय बोलते हैं, नारा लगाते हैं लेकिन सेवा नहीं करना चाहते. इसके लिए सरकार को अलग से फंड बनाना चाहिए था, बड़ी गौशालाएं बनानी चाहिए थीं. जितना हल्ला मचाया, उतना काम नहीं किया. यूपी का किसान परेशान है. उसका अनाज पशु चर रहे हैं. सरकार और उसकी व्यवस्थाएं विफल हैं."