The Lallantop

वकील को पीठ दर्द था, सुप्रीम कोर्ट ने 'लगान' फिल्म का हवाला देकर हड़काया, फिर याचिका भी रद्द कर दी

Supreme Court में औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम वापस बदलने की मांग को लेकर सुनवाई हो रही थी. 2 अगस्त को भी एडवोकेट पुलकित अग्रवाल की ये याचिका खारिज की जा चुकी थी.

post-main-image
औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने की मांग को लेकर सुनवाई हो रही थी (सांकेतिक फोटो- आजतक)

सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई चल रही थी. तभी एक वकील ने पीठ दर्द की समस्या बताई और कोर्ट से सुनवाई स्थगित करने की मांग कर दी (Supreme Court Lagaan Film). इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वकील को फटकार लगाते हुए लगान फिल्म की मिसाल दे दी. कोर्ट ने वो किस्सा सुनाया जब फिल्म के डायरेक्टर बीमार हालत में स्ट्रेचर पर काम करने चले गए थे.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, एडवोकेट फुजैल अहमद अय्यूबी ने स्थगन की मांग करते हुए बताया कि उन्हें स्पॉन्डिलाइटिस और पीठ दर्द है. इस पर जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने कहा,

आप लगान फिल्म के बारे में जानते हैं? इसकी शूटिंग गुजरात के कच्छ में हुई थी. वहां विदेशी अभिनेता भी गए थे. तभी डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर बीमार हो गए. हर कोई सोच रहा था कि क्या शूटिंग कैंसिल करनी पड़ेगी और अभिनेताओं को वापस भेजना पड़ेगा. लेकिन डायरेक्टर स्ट्रेचर पर आए और सीन्स को डायरेक्ट किया. कमर दर्द में आप वीडियो कॉल पर भी जुड़ सकते हैं. आपकी आवाज तो नहीं गई है ना?

इसके बाद याचिका खारिज कर दी गई. 

किस मामले में सुनवाई हो रही थी? 

सुप्रीम कोर्ट में औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम वापस बदलने की मांग को लेकर सुनवाई हो रही थी. 2 अगस्त को भी एडवोकेट पुलकित अग्रवाल की ये याचिका खारिज की जा चुकी थी. दरअसल, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार ने जून 2021 की अपनी कैबिनेट बैठक में औरंगाबाद और उस्मानाबाद दोनों का नाम बदलने का फैसला किया था. औरंगाबाद शहर और राजस्व प्रभाग का नाम बदलकर 'छत्रपति संभाजीनगर' कर दिया गया. उस्मानाबाद का नाम बदलकर 'धाराशिव' कर दिया गया. इसी फैसले के खिलाफ याचिका दायर की गई थी.

पिछली सुनवाई में जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की बेंच ने इस संबंध में बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि हाई कोर्ट का फैसला तर्कसंगत था. कोर्ट ने पूछा था,

किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए जगह के नाम को लेकर सहमति और असहमति हमेशा बनी रहेगी. क्या अदालतों को इसे न्यायिक समीक्षा से हल करना चाहिए? अगर उनके पास नाम रखने की शक्ति है तो वो नाम भी बदल सकते हैं. राज्य ने दोनों शहरों के नाम बदलने से पहले कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का व्यापक रूप से पालन किया था.

ये भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट में आज मूवी चलेगी, CJI चंद्रचूड़ समेत सारे जज देखेंगे, आमिर खान भी होंगे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले पर फैसला राज्य को ही लेना है. कहा गया- सभी तर्कों को हाई कोर्ट ने उचित ढंग से निपटाया है. हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे.

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने ORN कोचिंग मामले में कोचिंग मालिकों पर कितने का जुर्माना ठोका?