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भारत में मिला कोरोनावायरस का नया वेरिएंट, जानिए सरकार ने क्या कहा है?

एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि भारत के 10 राज्यों में इस सब-वेरिएंट के 69 मामले पाए गए हैं.

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कोविड टेस्ट की सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

ढाई साल बाद भी पूरी दुनिया कोविड-19 से उबर नहीं पाया है. अब देश में कोरोना वायरस के एक और नए सब-वेरिएंट की पुष्टि हुई है. नाम रखा गया है BA.2.75. यह कोविड-19 के ओमिक्रॉन वेरिएंट का ही एक सब-वेरिएंट है. एक्सपर्ट्स की माने तो इस नए सब-वेरिएंट से देश में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं. हालांकि सरकार ने अब तक इस नए सब-वेरिएंट की पुष्टि नहीं की है.

देश में 69 केस मिलने का दावा

एक इजरायली वैज्ञानिक ने दावा किया है कि भारत के 10 राज्यों में इस सब-वेरिएंट के 69 मामले पाए गए हैं. इसके अलावा 7 और देशों में भी केस मिले हैं. शाय फ्लेशॉन इजरायल के शीबा मेडिकल सेंटर के सेंट्रल वायरोलॉजी लैब में वैज्ञानिक हैं. उन्होंने 3 जुलाई को BA.2.75 वेरिएंट को लेकर कई ट्वीट किए. फ्लेशॉन ने बताया कि सीक्वेंसिंग के आधार पर अब तक भारत से बाहर संक्रमण फैलने को ट्रैक नहीं किया जा सका है.

शाय ने अपने ट्वीट में बताया, 

"जीनोम सीक्वेंसिंग के आधार पर BA.2.75 सब-वेरिएंट के 85 केस का पता चला है. इनमें ज्यादातर भारत के 10 राज्यों से मिले हैं. इनमें दिल्ली में एक, हरियाणा में 6, हिमाचल प्रदेश में 3, जम्मू में एक, कर्नाटक में 10, मध्य प्रदेश में 5, महाराष्ट्र में 27, तेलंगाना में 2, उत्तर प्रदेश में एक, पश्चिम बंगाल में 13 केस मिले हैं. इसके अलावा 7 और देश में इसके मामले मिले हैं."

इस सब-वेरिएंट के कारण कोविड की कोई अगली लहर आएगी? इजरायली वैज्ञानिक ने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी. हालांकि उन्होंने कहा कि यह अलार्मिंग जरूर है.

एक्सपर्ट्स क्या कह रहे?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय या INSACOG ने अब तक इस नए सब-वेरिएंट को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है. ICMR के सीनियर वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा ने आजतक से कहा, 

"अभी पैनिक बटन दबाना जल्दबाजी होगी. नए वेरिएंट का मिलना असामान्य नहीं है. जैसे-जैसे वायरस का असर कम होगा तो बदलाव भी संभव है. म्यूटेशन होता रहेगा, इसे लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए."

इकनॉमिक्स टाइम्स ने इस पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील से बात की. डॉ जमील भारत में कोविड पर रिसर्च और जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए गठित INSACOG के भी सदस्य थे. उन्होंने बताया, 

"हमें इसके बारे में अभी काफी जानकारी नहीं है. BA.2.75 में कई सारे म्यूटेशन हैं. इसके पैरेंट स्ट्रेन BA.2 की तुलना में दो म्यूटेशन अलग हैं. ये अलग म्यूटेशन G446S और R493Q हैं. G446S म्यूटेशन में एंटीबॉडीज को मात देने की क्षमता है. इसलिए लोगों में संक्रमण की संभावना बढ़ाती है."

अब तक यह साबित नहीं हुआ है कि BA.2.75 सब-वेरिएंट से संक्रमण का खतरा गंभीर हो सकता है. 8 जुलाई को INSACOG के एक्सपर्ट्स डेटा की समीक्षा करने वाले हैं. इसके बाद ही इस नए सब-वेरिएंट पर आधिकारिक जानकारी मिल सकती है. भारत में फिलहाल ओमिक्रॉन का BA.2 सब-वेरिएंट हावी है. जीनोम सीक्वेंसिंग में करीब 85 फीसदी सैंपल में इस सब-वेरिएंट की पुष्टि हो चुकी है. देश में कोरोना वायरस संक्रमण के फिलहाल एक लाख 14 हजार से ज्यादा एक्टिव मामले हैं. पिछले कुछ दिनों में कोविड केस में बढ़ोतरी देखी गई है.

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