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क्या छत्तीसगढ़ पुलिस ने नक्सली समझ कर अपने ही एक जवान के भाई को मार दिया?

भाई को नक्सली बताने पर जवान ने अधिकारियों को क्या जवाब दिया? जानिए

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DRG की ओर से कहा गया कि मारा गया नक्सली सेक्शन कमांडर रैंक का था (फोटो: ट्विटर/अनुराग द्वारी )
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में रविवार देर रात पुलिस की एक टीम ने एक नक्सली को मार गिराने का दावा किया. पुलिस की ओर से कहा गया कि मारा गया नक्सली सेक्शन कमांडर रैंक का था और अपने साथियों के भरंडा इलाके में मौजूद बीएसएफ कैंप को निशाना बनाने की फिराक में था. सोमवार 24 जनवरी को मुठभेड़ के कुछ घंटे बाद नारायणपुर के एसपी गिरिजाशंकर जायसवाल ने बताया कि भरंडा थाना क्षेत्र में दो दिन पहले बम विस्फोट की एक घटना हुई थी. पुलिस को सूचना मिली थी कि गणतंत्र दिवस पर नक्सली किसी घटना को अंजाम दे सकते हैं. इसलिए सर्च ऑपरेशन चल रहा था. जायसवाल ने आगे कहा,
"रविवार देर रात पुलिस, जिला रिजर्व गार्ड (DRG) और BSF के जवान भरंडा इलाके में सर्चिंग पर निकले थे, तभी करीब 1.30 बजे BSF कैंप के पास ही उनकी नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई. पहले से घात लगाए बैठे नक्सलियों ने जवानों के ऊपर फायरिंग कर दी, जिसके बाद जवानों ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया. मुठभेड़ के बाद नक्सली भाग गए. (घटना स्थल की) सर्चिंग के दौरान जवानों ने एक नक्सली का शव बरामद किया. साथ में बंदूक, कुकर बम और अन्य विस्फोटक भी मिले."
घरवालों ने कहा मुठभेड़ फर्जी कथित तौर पर पुलिस मुठभेड़ में मारे गए 26 साल के नक्सली मानूराम नुरेटी के घरवालों ने एसपी गिरिजाशंकर की कहानी को गलत बताया है. उनके मुताबिक पुलिस, DRG और BSF ने फर्जी मुठभेड़ की है. मानूराम नक्सली नहीं था, उसके दूर-दूर तक नक्सलियों से कोई संबंध नहीं थे. मृतक मानूराम की पत्नी का कहना है,
"मेरे पति एक किसान थे. उनके पास कभी कोई हथियार नहीं था. रविवार रात करीब 10 बजे मेरे पति पक्षियों के शिकार के लिए एक गुलेल के साथ घर से बाहर गए थे. उन्होंने मेरा स्वेटर और चप्पल भी पहना हुआ था, लेकिन पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में उन्हें मार दिया."
मानूराम के बड़े भाई रेणु राम नुरेटी नारायणपुर पुलिस की स्थानीय यूनिट- DRG -के जवान हैं. उन्होंने भी दावा किया कि उनका भाई नक्सली नहीं था. उनके मुताबिक मानूराम तो नक्सलियों के खिलाफ लड़ रही 'बस्तर फाइटर बटालियन' में भर्ती होने की तैयारी कर रहा था. हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक रेणु राम ने नारायणपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा,
"मेरा भाई नक्सली नहीं था. उसने हाल ही में पुलिस बल में भर्ती के लिए आवेदन भी किया था. वह उसकी तैयारी में लगा था. मैं अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बात करूंगा कि वे मेरे भाई को नक्सली क्यों बना रहे हैं."
आरोपों पर पुलिस ने क्या कहा? जब पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ के आरोप लगे तो नारायणपुर पुलिस ने इस पर जवाब दिया. अधिकारियों ने मृतक मानूराम नुरेटी के परिजनों के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीरज चंद्राकर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मुठभेड़ के फर्जी होने का आरोप पूरी तरह निराधार है. चंद्राकर ने कहा,
"मारे गए नक्सली का भाई डीआरजी का जवान है. वह पहले एक नक्सली संगठन में था, बाद में पुलिस बल में शामिल हो गया था. मृतक मानूराम ने शायद अपने भाई को यह नहीं बताया था कि वह नक्सली है. मुठभेड़ के दौरान वहां मानूराम अन्य नक्सलियों के साथ मौजूद था."