The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

PM मोदी को पंजाब से लौटने पर मजबूर करने वाले BKU-क्रांतिकारी और उसके मुखिया के बारे में क्या जानते हैं?

BKU-क्रांतिकारी के प्रमुख सुरजीत सिंह फूल पर UAPA क्यों लगा था?

post-main-image
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रास्ता रोकने की जिम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी के नेता सुरजीत सिंह फूल (दाएं) ने ली है(फोटो: आजतक)
भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी). या BKU-क्रांतिकारी. वही किसान संगठन जिसने पंजाब में फिरोजपुर-मोंगा हाईवे पर PM Modi का रास्ता ब्लॉक करने की जिम्मेदारी ली है. BKU-क्रांतिकारी ने कहा है कि उसके कार्यकर्ताओं ने ही पीएम के काफिले का रास्ता रोका था, जिसे उनकी सुरक्षा में . इसके मुखिया सुरजीत सिंह फूल ने पीएम मोदी का रास्ता रोके जाने पर अपने कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा,
“आज 5 जनवरी को फिरोजपुर-मोंगा हाईवे पर रत्ताखेड़ा गांव में BKU क्रांतिकारी संगठन के सदस्यों ने मोदी की रैली से सिर्फ 10 -11 किलोमीटर पहले सड़क को जाम करके, हर तरह की मुश्किल का सामना करके, भाजपा के नेताओं की धमकियां सहकर, भाजपा के लोगों को पानी के बीच से निकलवाया. इसके लिए सभी कार्यकर्ता बधाई के पात्र हैं. क्योंकि इसी बीजेपी ने दिल्ली में हमारे ऊपर पानी की बौछार की थी और सड़क खोद दी थी. वैसा ही दिन आपने उनको देखने के लिए मजबूर कर दिया.”
हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम को लेकर BKU-क्रांतिकारी की ओर से एक सफाई भी आई है. इसमें कहा गया है कि कार्यकर्ताओं को ये नहीं पता था कि पीएम मोदी भी उसी रूट से आ रहे हैं, जहां वे धरना दे रहे थे. संगठन के महासचिव बलदेव सिंह जीरा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके कार्यकर्ता केवल भाजपा समर्थकों को मोदी की रैली तक जाने से रोकने के लिए फिरोजपुर हाईवे पर बैठे थे. जीरा ने कहा,
"हमें पीएम मोदी की रोड ट्रिप के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी. हम वहां (हाईवे) पर भाजपा समर्थकों को रोकने के लिए गए थे, न कि प्रधानमंत्री को. हमें तो ये पता था कि वे हेलीकॉप्टर से रैली में पहुंचेंगे."

UAPA लग चुका है

नाम से ही जाहिर है कि भारतीय किसान यूनियन-क्रांतिकारी किसानों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है. इसके संस्थापक सुरजीत सिंह फूल हैं. इस संगठन की 2004 में स्थापना हुई थी. तब से ही सुरजीत सिंह इसके प्रेजिडेंट हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पंजाब में इस संगठन से 25 से 30 हजार लोग जुड़े हुए हैं. बीकेयूृ-क्रांतिकारी का पंजाब के बठिंडा, संगरूर, फाजिल्का, फरीदकोट, फिरोजपुर, मोगा और पटियाला सहित 11 जिलों पर अच्छा असर माना जाता है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस किसान संगठन के नेताओं का राजनीतिक झुकाव मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की तरफ बताया जाता है. इसके सर्वेसर्वा सुरजीत सिंह पर कई बार पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. 2009 में पंजाब सरकार ने इन पर अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट यानी UAPA के तहत भी मामला दर्ज किया था. तब इन पर नक्सलियों से संबंध रखने के आरोप लगे थे. मामले में गहन पूछताछ के लिए कुछ दिनों तक सुरजीत को अमृतसर की जेल में भी रखा गया था. अमित शाह का प्रस्ताव ठुकराया था मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चले किसान आंदोलन में बीकेयू क्रांतिकारी भी शामिल था. नवंबर 2020 में जब आंदोलन को कुछ ही हफ्ते हुए थे, तब गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को दिल्ली के बुराड़ी में आंदोलन शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया था. तब सुरजीत सिंह ही पहले किसान नेता थे, जिन्होंने शाह की इस बात का विरोध किया था. उन्होंने कहा था,
"हमने फैसला किया है कि हम बुराड़ी नहीं जाएंगे. हमें इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि बुराड़ी ओपन जेल है. बुराड़ी जेल जाने की बजाए हम दिल्ली में एंट्री के पांच रास्तों को घेर कर बैठेंगे. हमारे पास कई महीने का राशन है तो हमारे लिए चिंता की कोई बात ही नहीं है."
जब किसान आंदोलन से निलंबित किया गया कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 जनवरी 2021 को दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च का आयोजन किया था. इस दौरान मार्च का रूट पहले से निर्धारित था. लेकिन कुछ किसान संगठन दूसरे रास्तों पर निकल गए. इसके बाद दिल्ली के लाल किला पर जमकर हंगामा हुआ और हिंसा हुई. मामले में तय रूट पर न जाने को लेकर कई लोगों को किसान मोर्चा ने निलंबित कर दिया. उनमें सुरजीत सिंह फूल भी शामिल थे. हालांकि, उनके गलती मानने और मामले की जांच के बाद निलंबन रद्द कर दिया गया. किसान नेताओं के चुनाव लड़ने का किया विरोध बीते दिसंबर में जब किसान आंदोलन में शामिल कुछ संगठनों ने पंजाब में चुनाव लड़ने की घोषणा की, तो बीकेयू क्रांतिकारी ने इसका तीखा विरोध किया. संगठन के मुखिया सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि वे किसान नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के खिलाफ हैं. और वो पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए किसी भी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे. उन्होंने राजनीति में उतर रहे किसान नेताओं को चेतावनी दी कि वे चुनावी फायदे के लिए संयुक्‍त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नाम का इस्‍तेमाल न करें.