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EWS कोटे से असिस्टेंट प्रोफेसर बने बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई का इस्तीफा

इस्तीफे के बाद अरुण द्विवेदी ने क्या कहा है?

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यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी (बाएं)के भाई अरुण द्विवेदी ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद से इस्तीफा दे दिया है. उनकी ओ से जारी प्रेस नोट (दाएं)
यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर पद से इस्तीफा दे दिया है. उनकी नियुक्ति EWS कोटे (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी) से हुई थी. इसके बाद काफी विवाद हुआ था. जानकारी के मुताबिक, अरुण द्विवेदी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया है. कुलपति सुरेंद्र दुबे ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है.
मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी का ये इस्तीफा उस दिन आया है, जब गुरुवार को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सिद्धार्थनगर पहुंच रहे हैं. यूपी के सीएम इन दिनों कोरोना संकट के बीच प्रदेश के अलग-अलग इलाकों का दौरा कर रहे हैं, इसी कड़ी में उन्हें गुरुवार को सिद्धार्थनगर पहुंचना है. अरुण द्विवेदी ने अपने इस्तीफे के बाद एक प्रेस नोट जारी किया है. इसमें लिखा है कि उनका चयन निर्धारित प्रक्रिया के तहत हुआ था. लेकिन दुर्भाग्य से उनके कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद ही विवाद हो गया. उनके बड़े भाई सतीश द्विवेदी की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया. अरुण ने कहा कि वह नहीं चाहते हैं कि उनके कारण भाई पर बेबुनियाद आरोप लगे. मंत्री के भाई ने कहा कि वह मानसिक संत्रास की स्थिति से गुजर रहे हैं. उनके लिए परिवार और उनके बड़े भाई सतीश त्रिवेदी कि सामाजिक और राजनीतिक सम्मान से ज्यादा अहमियत किसी भी चीज की नहीं है.
अरुण द्विवेदी ने दावा किया कि नवंबर 2019 में आवेदन के समय उन्होंने अपनी आर्थिक आर्थिक स्थिति के अनुसारEWS का प्रमाण पत्र बनवाकर आवेदन दिया था. बाद में उच्च शिक्षा में सेवारत लड़की का शादी का प्रस्ताव आने पर अपने जीवन की बेहतरी का प्रयास किया. उन्होंने कहा कि इस भर्ती के लिए उन्होंने सारी प्रक्रियाएं पूरी की थी और सतीश द्विवेदी की इसमें कोई भूमिका नहीं थी.
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EWS कोटे से भाई की नियुक्ति पर विवाद के बाद मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा था कि उनके भाई की अलग पहचान है,उसके पास अपना पहचान पत्र है. लेकिन उसके बाद भी किसी को आपत्ति हो तो वह जांच करवा ले.
डॉक्टर सतीश द्विवेदी, खुद भी PHD हैं. वे सिद्धार्थनगर जिले की इटवा विधानसभा सीट से विधायक हैं. राज्य के बेसिक शिक्षा मंत्री हैं. उनके भाई डॉक्टर अरुण द्विवेदी भी PHD डिग्री धारक हैं. सरकारी नौकरी में EWS वालों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाता है. सवर्ण गरीबों को आरक्षण इसी के तहत मिलता है. इसी कोटे के तहत मंत्री के भाई की नियुक्ति हुई थी.
वही खबर सामने आने के बाद सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने कहा था कि मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के 2 पद खाली थे. इनमें से एक पद ओबीसी कैटेगिरी में था और दूसरा आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य श्रेणी के लिए था. इसके लिए करीब 150 लोगों ने आवेदन किया था. मेरिट के आधार पर 10 लोगों को इंटरव्यू के लिए चुना गया था. इन 10 में अरुण कुमार पुत्र अयोध्या प्रसाद भी शामिल थे. इंटरव्यू में अरुण दूसरे नंबर पर थे, लेकिन इंटरव्यू, एकेडमिक और अन्य अंकों को जोड़ने पर वह पहले स्थान पर आए गए. इसी वजह से अरुण को पात्र माना गया. कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने कहा था कि अरुण के पास शैक्षणिक प्रमाणपत्र थे, उनके इंटरव्यू की वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है. EWS प्रमाणपत्र प्रशासन जारी करता है. मुझे भी नहीं पता था कि वह मंत्री के भाई हैं और मेरे पास इस संबंध में कोई सिफारिश नहीं आई.

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