करीब 1200 साल पहले, केरल में पेरियार नदी के तट पर बसा एक गांव, कालाडी. मान्यताओं के मुताबिक, यहां शिवगुरु और अर्याम्बा के घर शंकराचार्य का जन्म हुआ. 8 साल की उम्र में उन्हें संन्यास की ज़िद चढ़ी. माता ने इस बात को तूल नहीं दी. ऐसी मान्यता है कि माता से आज्ञा न मिलने पर शंकराचार्य ने एक प्लान बनाया. नदी में नहाते वक़्त. वो जोर से चिल्लाए. बोले, मां! मगरमच्छ ने पैर पकड़ लिया। लेकिन मैं इसे रोकूंगा नहीं. वैसे भी मुझे आप संन्यास की आज्ञा दे नहीं रहीं, उसके बिना मेरा जीवन व्यर्थ है. थक हार कर माँ ने कहा, बेटा तू बाहर आ जा भले संन्यास ले लेना. संन्यास के बाद शंकराचार्य ने जो रचना कि वो आज भी लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती है. क्या है शंकराचार्य का सिद्धांत, जानने के लिए देखें पूरा वीडियो.
आसान भाषा में: क्या है शंकराचार्य का सिद्धांत जो आपका नजरिया बदल देगा?
करीब 1200 साल पहले, केरल में पेरियार नदी के तट पर बसा एक गांव, कालाडी. मान्यताओं के मुताबिक, यहां शिवगुरु और अर्याम्बा के घर शंकराचार्य का जन्म हुआ.
Advertisement
Add Lallantop as a Trusted Source

Advertisement
Advertisement