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तारीख़: जब पांच सल्तनतें मिलकर भी न रोक पाई पुर्तगालियों को!

वास्को डी गामा की यात्रा से पुर्तगाल को एक बड़ा फायदा हुआ.

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कहानी शुरू होती है वास्को डी गामा के भारत आगमन से. वास्को डी गामा कैसे भारत पहुंचा, ये कहानी हम तारीख़ में आपको पहले बता चुके हैं. तो वो आप डिस्क्रिप्शन में दिए लिंक में जाकर देख सकते हैं. वास्को डी गामा की यात्रा से पुर्तगाल को एक बड़ा फायदा हुआ. उन्हें भारत से व्यापार का एक सीधा रास्ता मिल गया. भारत से उन्हें क्या चाहिए था- मसाले 10 वीं शताब्दी से 16 वीं शताब्दी तक भारत से यूरोप तक मसाले पहुंचाने का एक ही रास्ता था. फारस की खाड़ी और लाल सागर से होते हुए यमन तक, वहां से मिश्र और आगे यूरोप तक. इस पूरे रास्ते पर इस्लामिक शासकों का कंट्रोल था. और उन्हें इस व्यापार में खूब मुनाफा होता था. उदाहरण के लिए, कालीकट से मसाले ख़रीदे जाते थे- 4.64 डकेट में. डकेट यानी सोने के सिक्के जो तब पूरे यूरोप में मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किए जाते थे. इनकी शुरुआत इटली के एक राज्य वेनिस से हुई थी. वेनिस तब अपने आप में एक शक्तिशाली साम्राज्य हुआ करता था. और उनका मसालों के इस व्यापार में एक बड़ा हिस्सा था. 4.64 डकेट में ख़रीदे गए मसाले मिस्त्र ले जाकर 25 डकेट में बेचे जाते. वेनिस जाते-जाते इनकी कीमत हो जाती थी 56 डकेट. और जब तक ये पुर्तगाल पहुंचते, इन्हें 80 डकेट में खरीदा जाता. यानी भारत से पुर्तगाल पहुंचते- पहुंचते मसालों की कीमत 20 गुना हो जाती थी. ये सौदा पुर्तगाल को काफी महंगा पड़ता था. इसलिए 1498 में जब वास्को डी गामा ने भारत तक समुद्री रास्ता ढूंढ लिया तो पुर्तगाल को व्यापार का सीधा रास्ता मिल गया. देखिए वीडियो.

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