मुम्बई का नागपाड़ा इलाका. यहां हुजरा मोहल्ले में बने एक घर में एक औरत टीवी के सामने बैठी हुई है. साल 1991 की बात है. टीवी पर भारत-पाकिस्तान का मैच चल रहा है. शारजाह क्रिकेट ग्राउंड में खेला जा रहा ये मैच विल्स ट्रॉफी का फ़ाइनल था. पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 262 रन बनाए थे. और बाद में खेलते हुए भारत 47 रन पर चार विकेट गंवा चुका था. आकिब जावेद ने अपनी पहली ही बॉल पर सचिन को LBW कर दिया था. पूरे भारत के टीवी बंद होने को थे. हालांकि मुम्बई की उस औरत को इससे कोई फर्क न पड़ता था कि कौन जीता, कौन हारा. क्रिकेट से उसका दूर दूर तक नाता नहीं था. फिर भी पूरे मैच के दौरान उसने टीवी पर निगाहें गढ़ाए रखीं. उसे मतलब था उस शख्स से, जो उस रोज़ शारजाह में ऑडियंस के बीच VIP सीट पर बैठा हुआ था. जितनी बार वो शख्स टीवी पर आता, टीवी के इस पार दो भौहें तन जाती थीं. उन आंखों को इंतज़ार था एक बदले का. बदला जो क्रिकेट के मैदान पर लिया जाना था. और पूरी दुनिया के सामने. पूरा किस्सा जानने के लिए देखें वीडियो.
तारीख: भारत-पाक क्रिकेट मैच के बीच कौन मारने वाला था दाऊद को?
मुम्बई की उस औरत को इससे कोई फर्क न पड़ता था कि कौन जीता, कौन हारा. क्रिकेट से उसका दूर दूर तक नाता नहीं था. फिर भी पूरे मैच के दौरान उसने टीवी पर निगाहें गढ़ाए रखीं. उसे मतलब था उस शख्स से, जो उस रोज़ शारजाह में ऑडियंस के बीच VIP सीट पर बैठा हुआ था.
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