1934 की बात है. Germany जर्मनी में जून अक्सर उमस भरी होती थी. Daylight ऐसी ही एक शाम एडॉल्फ हिटलर बवेरिया के रिहायशी इलाके में दाख़िल हुए. Bavaria हिटलर को जर्मनी का चांसलर बने साल भर से ज़्यादा हो चुका था. Hitlers becomes chancellor चेहरे पर गुस्से को साफ़ समझा जा सकता था. हमेशा की तरह, उनके साथ शुट्सश्टाफ़ेल यानी उनके निज़ी गार्ड्स भी थे. कमरे में घुसते ही एक गरजती आवाज़ आई-"सबको गिरफ्तार कर लो!" रात घटी. सुबह हुई. फर्श पर खून के धब्बे और हवा में बारूद की गंध बची रह गयी. अगली सुबह मानो किसी ने नरसंहार मचाया हो. ये नरसंहार जैसा ही कुछ था. जिसमें मारने वाले भी हिटलर के अपने थे और जिन्हें मौत के घात उतारा जा रहा था वो भी हिटलर की सत्ता के साथी थे. एक, दो, दस, पचास नहीं सैकड़ों लोगों को तीन रातों में बड़े ही प्रायोजित तरीके से हिटलर ने अपने रास्ते से हमेशा के लिए किनारे करवाया था. मरने वाले कौन? मारने वाले कौन? क्या थी इस पूरे षड्यंत्र की वजह? आगे क्या अंजाम हुआ? जानने के लिए देेखें तारीख का ये एपिसोड.
तारीख: कहानी ‘नाईट ऑफ़ द लॉन्ग नाइव्ज़’ की, वो रात जब हिटलर ने सैकड़ों लोगों को मरवा डाला
शाम होने तक चुन-चुन कर लोगों उठाया गया. बर्लिन में, हिटलर के निज़ी दस्ते के एक और अफ़सर गोएरिंग ने हमले शुरू किए. पूर्व चांसलर कर्ट वॉन श्लाइशर और उनकी पत्नी को उनके विला में मार डाला गया.
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