ये जंग का मैदान है. दिल्ली की सरहद पर खड़ी है एक फौज. जिसके बारे मशहूर था कि वे जिस शहर पर धावा बोलते वहां के कुत्ते बिल्लियों को तक ज़िंदा नहीं छोड़ते थे. जिसके सैनिक बिना लगाम थामे घोड़े पर सवार होते थे. घोड़ा दौड़ता रहता. और घुड़सवार धनुष से तीर चलाते रहते. इस फौज ने मध्य एशिया की एक ताकतवर सल्तनत को नेस्तोनाबूत कर डाला था. जिसने चीन को तक नहीं छोड़ा. और तीन साल में कुल 60 लाख लोग मार डाले थे. जलजले जैसी ये फौज अब हिंदुस्तान पर कब्ज़ा करना चाहती थी. और इनके आगे खड़ा था सिर्फ एक शख्स. दिल्ली सल्तनत का एक जनरल. जो अपने सुल्तान की नाफ़रमानी करते हुए जंग में कूद गया. और दुश्मन का वो हाल किया कि जंग के बाद के दिनों में जब घोड़े पानी नहीं पीते तो उनका सरदार पूछता, "कहीं इन्होने ज़फर खान को तो नहीं देख लिया?" तारीख के आज के एपिसोड में जानेंगे किली की जंग की पूरी कहानी. देखें आज का एपिसोड.
तारीख: अलाउद्दीन खिलजी और मंगोलों के बीच युद्ध में क्या हुआ?
आज हम सुनाएंगे कहानी एक जंग की. दिल्ली की सरहद पर हुई एक जंग जिसमें एक तरफ थी मंगोल फौज. और दूसरी तरफ थी दिल्ली सल्तनत.
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