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तारीख: कहानी 'गोरखा' की जो न मौत से नहीं डरते, जिन्हें हिटलर अपनी फौज में चाहता था

ये सवाल अब भी बना हुआ है. खस ठकुरी, नेवार, गुरुंग, मागर, राय, लिम्बु, सुनवार, तमांग और कुछ छोटे समूह - ये मिलकर गोरखा पहचान का हिस्सा बनते हैं. ज्यादातर किताबों में, गोरखा शब्द का शुरुआती इस्तेमाल ‘गोरखनाथ’ के शार्ट फॉर्म के तौर पर मिलता है.

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अगर कोई कहता है कि उसे मौत से डर नहीं लगता, या तो वो झूठ बोल रहा है या फ़िर वो गोरखा है. ये शब्द गोरखा फ़ौज़ के साहस के बारे में आपने अक्सर सुने होंगे. हमारे फ़ील्ड मार्शल रहे सैम बहादुर मानेक शॉ भी यही कहते थे. तो समझते हैं कि कैसे होते है गोरखा फौज़ी? क्यों इन्हें दुनिया की सबसे जांबाज़ कौम माना जाता है?  कहां से शुरु हुई ये शौर्य गाथा?  कितने अध्याय इसके हिस्से दर्ज़ हुए? और किन देशों की फ़ौज़ में आज भी क़ायम है गोरखाली? जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.

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