The Lallantop

देसी शेक्सपियर: कहानी रोम के राजा जूलियस सीजर की

नाटक पढ़े-देखे होंगे शेक्सपियर के. लेकिन कभी किस्से की तरह सुने हैं? वो भी देसी अंदाज में?

post-main-image
Flavius
फजलू Murellus
महमूद Caesar
सीज़र Cassius
कमलेश्वर aka कमलू Brutus
बटुकेश्वर aka बटुक Calpurnia
कलावती Antony
अनंतनाथ
आज से लगभग 2060 साल पहले. सीज़र और पॉम्पे नाम के दो राजा थे. पार्टनरशिप में प्रजा की देख-रेख करते थे. किसी बात को लेकर दोनों के बीच हो गयी कहा-सुनी. इतिहास गवाह है, जब भी पार्टनरशिप का सीन आता है लड़ाई होना आम बात है.
रोम में भी लड़ाई छिड़ गई. सीज़र और पॉम्पे के बीच. उस लड़ाई में सीज़र जीत गया. उसका भौकाल टाइट था. वो जब जीत कर वापस आया तो लोग गाजे बाजे के साथ उसके वेलकम के लिए खड़े थे. और इसी समय शुरू होती है जूलिअस सीज़र की कहानी.
फजलू और महमूद इस बात से झल्लाए हुए हैं कि रोम के सारे लोग अपना काम-धाम छोड़ कर पार्टी करने में लगे हुए हैं. वो रोम के लोगों को खूब पेलते हैं. सीज़र सेना के साथ लौटता है. उसका जबरदस्त स्वागत होता है. इसी बीच एक फ़कीर सीज़र से कहता है कि वो आने वाली मार्च की पंद्रह तारीख़ से बच कर रहे. सीज़र फ़कीर को इग्नोर कर देता है.
पोम्पे से जीत कर लौटा सीज़र
पॉम्पे से जीत कर लौटा सीज़र


कहानी का असली विलेन है कमलू. वो सीज़र से खूब जलता है. बटुक सीज़र का दोस्त है. कमलू को पता है कि बटुक का देश प्रेम, दोस्ती से ज्यादा बड़ा है. इसलिए उसे सीज़र के खिलाफ भड़काना आसान है. कमलू बटुक को याद दिलाता है कि वो कितना कमाल का आदमी है. और रोम के सिंहासन पर सीज़र से ज्यादा बटुक का हक है. कमलू बटुक को प्रजा और देश की दुहाई देता है. जिससे बटुक, सीज़र को मारने की साजिश के लिए मान जाता है.
कमलू
कमलू


उसी रात रोम में भयंकर तूफ़ान आता है. और इसी के साथ आता है सीज़र की पत्नी कलावती को एक बुरा सपना. उधर बटुक को मिलते हैं कुछ ख़त जो रोम की जनता ने लिखे थे. उन खतों में सीज़र को जम के गरियाया गया था. असल में, सभी ख़त फर्जी थे और इन्हें खुद कमलू ने लिखा था. ताकि बटुक को ये विश्वास हो जाए कि सीज़र एक अच्छा राजा नहीं है. बस फिर क्या था, बटुक ने तय किया कि सीज़र को मरना ही होगा. कमलू सीज़र के ख़ास मंत्री अनंतनाथ को भी मार डालना चाहता है. पर बटुक दिल का अच्छा इंसान है. वो कहता  है कि खून उतना ही बहेगा जितना ज़रूरी होगा.
बटुक
बटुक


और आ जाती है मार्च की 15 तारीख़. पिछली रात के सपने से कलावती परेशान है. और सीज़र से कहती है कि वो आज महल से बाहर न निकले. सीज़र नहीं मानता. वो तैयार हो कर रोम की सड़कों से होकर जाता है संसद की ओर. वहां उसे कमलू और बटुक के साथ कुछ और मंत्री मिलते हैं. एक-एक करके सारे सीज़र को छुरा भोंक देते हैं.
caesar 4
सीज़र को छुरा भोंकने जाता बटुक


अनंतनाथ इन सब घटनाओं से बेखबर होता है. और रोम में वापस लौटता है. सीज़र की लाश देखकर वो उसके कातिलों को तबाह करने की कसम खाता है. वो सीज़र की लाश लेकर जनता के बीच जाता है. और उन्हें दिखता है कि किस तरह सीज़र ने अपनी वसीयत में सारी पर्सनल प्रॉपर्टी जनता के नाम कर दी है.
caesar 5
जनता को सीज़र की वसीयत सुनाता अनंत


जनता गुस्से में कमलू और बटुक को धक्के मार कर रोम के बाहर खदेड़ देती है. बटुक और कमलू अपनी सेना बना कर रोम पर अटैक करते हैं. पर अनंत की सेना से हार जाते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं.
(सभी स्क्रीनशॉट BBC शेक्सपियर से)