पेट्रोल पंप से राजनीति तक
1980 के आस-पास की बात है. तब तक विजय मिश्रा राजनीति से दूर थे. पेट्रोल पंप चलवाते थे, ट्रक चलवाते थे. धंधा अच्छे से चलता रहे, इस नाते पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी की सलाह पर राजनीति में आए. 90 के दशक में पहली बार ब्लॉक प्रमुख बने. पैसे और धमकदारी के दम पर भदोही में जिला पंचायत के चुनावों में विजय मिश्र की अच्छी पैठ बनी. लेकिन यहीं से नाम के आगे आपराधिक मुकदमे भी दर्ज़ होने लगे.सपा के संपर्क में आकर चमकी राजनीति
अब तक विजय मिश्रा का प्रभाव जिला स्तर पर ही था. लेकिन 2001 में वे तत्कालीन सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आए. यहां से विजय मिश्रा की राजनीतिक चमक गई. 2002 में ही उन्हें ज्ञानपुर से टिकट मिल गया. चुनाव जीत गए और पहली बार विधायक बने. इसके बाद दबंग विजय मिश्रा के लिए ज्ञानपुर उनका गढ़ ही बन गया. 2007 और 2012 में भी सपा के ही टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते.अखिलेश ने टिकट काटा
फिर समीकरण बदले 2017 में, जब अखिलेश यादव ने विजय मिश्रा का टिकट काट दिया. नाराज विजय ने निषाद पार्टी से चुनाव लड़ा और जीता भी. इस बीच उनकी पत्नी रामलली मिश्रा भी भदोही से जिला पंचायत अध्यक्ष और एमएलसी बनीं.जेल से चुनाव लड़कर जीता
पुलिस विजय मिश्रा को ढूंढ रही थी, क्योंकि उनके नाम पर केस दर्ज हैं. ज़्यादा नहीं, यही कुछ 70 से ऊपर केस होंगे. 2011 में विजय मिश्रा ने दिल्ली में सरेंडर भी किया था. इसके बाद 2012 का चुनाव सपा के टिकट पर जेल में ही रहकर लड़ा. जीता भी.जब मायावती ने दिया विजय मिश्रा को पकड़ने का आदेश
Live Hindustan के मुताबिक विकास मिश्रा ने एक बार अपना एक किस्सा सुनाया था.“फरवरी-2009 की बात है. भदोही में विधानसभा उपचुनाव होने थे. बसपा के 40 मंत्री भदोही में कैंप किए हुए थे. उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के कहने के बाद भी बसपा प्रत्याशी की मदद करने से इनकार कर दिया. मायावती नाराज हो गईं. उन्होंने तुरंत पुलिस भेज दी. हमें पकड़ने के लिए. उसी दौरान नेताजी (मुलायम सिंह यादव) भदोही में सभा कर रहे थे. नेताजी ने कहा कि जिसकी हिम्मत हो पकड़कर दिखाए. वे हमें हेलिकॉप्टर में लेकर चले गए. पुलिस देखती रह गई.”इससे आप विजय मिश्रा के रुतबे का अंदाजा लगा सकते हैं. बसपा से विजय मिश्रा की कभी नहीं बनी. जुलाई 2010 में बसपा सरकार के मंत्री नंद कुमार नंदी पर प्रयागराज में हुए हमले में भी विजय मिश्रा का नाम आया था.
फिलहाल संपत्ति के मामले में ढुंढाई चल रही
अभी विजय मिश्रा की किस मामले में ढुंढाई चल रही है? दरअसल सात अगस्त को विजय मिश्रा के रिश्तेदार कृष्णमोहन तिवारी ने उनके ख़िलाफ एक मुकदमा दर्ज कराया. जबरन घर में रहने और वसीयत बनाकर उनकी संपत्ति अपने बेटे के नाम कराने का दबाव बनाने के आरोप में. विधायक, उनकी पत्नी एमएलसी रामलली मिश्रा और पुत्र विष्णु मिश्र पर गोपीगंज थाने में मुकदमा दर्ज हुआ. तीनों की छानबीन शुरू हुई. इसी के बाद जब विधायक के एमपी में होने की सूचना मिली तो वहां की पुलिस ने उन्हें पकड़ा और यूपी पुलिस के हवाले किया.ब्राह्मण हूं, एनकाउंटर हो जाएगा
इस बीच विजय मिश्रा का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें वो कह रहे थे कि वो ब्राह्मण हैं, इसलिए निशाने पर लिए जा रहे हैं. और उनका कहना था कि जल्द ही उनका एनकाउंटर भी किया जा सकता है. इसी के बाद अब जब उन्हें यूपी पुलिस लेकर प्रदेश वापस आ रही है तो विजय मिश्रा की बेटी रीमा ने कहा है कि पुलिस मेरे पिता को सही सलामत कोर्ट तक लाए. मेरे पिता के साथ कुछ भी हो सकता है. (विकास दुबे केस की तरफ इशारा करते हुए) इस बार गाड़ी नहीं पलटनी चाहिए.बेटियां हैं बैक बोन
विजय मिश्रा की पांच बेटियां हैं, एक बेटा है. बेटियां मौके-बेमौके पिता के लिए जमकर सपोर्ट करती हैं. 2012 में जब विजय मिश्रा ने जेल से चुनाव लड़ा था तो बेटी सीमा मिश्रा ने ही प्रचार की पूरी ज़िम्मेदारी संभाली थी. पिता के जीतने के बाद सीमा खुद भी राजनीति में उतरीं. भदोही लोकसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं. हालांकि राजनीति में पिता के साथ सक्रिय बनी हैं. अब रीमा भी पिता के सपोर्ट में उतर आई हैं. ख़ैर अब विजय मिश्रा हिरासत में हैं. वे तमाम मामलों में आरोपी हैं. और इसके साथ ही एक बार फिर ये सवाल ताजा हो गया है कि क्या उत्तर प्रदेश में पुलिस-प्रशासन की शह पर बड़े से बड़े केस के आरोपी ऊंचे से ऊंचा रसूख़ हासिल करते रहते हैं. विकास दुबे का उदाहरण भी अभी पुराना नहीं हुआ है.कानपुर में एक और कांड, युवक का पहले अपहरण हुआ फिर कुएं में लाश मिली