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थलसेना अध्यक्ष मनोज नरवणे इटली में जिस आर्मी मेमोरियल का उद्घाटन करने गए हैं, उसका इतिहास क्या है?

सेकंड वर्ल्ड वॉर में भारतीय सैनिकों का इटली कनेक्शन जान लीजिए.

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थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे इटली की राजधानी रोम से करीब 140 किलोमाटर दूर कैसिनो में इंडियन आर्मी मेमोरियल का उद्घाटन करेंगे. (तस्वीर: पीटीआई)
थलसेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ब्रिटेन और इटली के दौर पर हैं. इस दौरान वह इटली की राजधानी रोम से करीब 140 किलोमाटर दूर कैसिनो में इंडियन आर्मी मेमोरियल का उद्घाटन करेंगे. यह स्मारक उन 3100 से अधिक राष्ट्रमंडल सैनिकों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने दूसरे वर्ल्ड वॉर में इटली की लड़ाई में साथ दिया था. वर्ल्ड वॉर 2 के दौरान इटली में क्या हो रहा था? 1936 में बेनिटो मुसोलिनी के राज में इटली नाजी जर्मनी के साथ था. दूसरे वर्ल्ड वॉर में 1940 में वह अलाइड फोर्सेस खिलाफ़ चला गया. इस दौरान 1943 में मुसोलिनी को सत्ता से उखाड़ फेंका गया, तो इटली ने जर्मनी से युद्ध की घोषणा कर दी. इसके बाद मोंटे कैसिनो की लड़ाई में हज़ार से अधिक भारतीय सैनिक इटली को फासीवादी ताकतों से बचाने के लिए शहीद हो गए. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, सितंबर 1943 से अप्रैल 1945 के बीच करीब 50 हज़ार भारतीय सैनिक इटली के लिए लड़े थे.
1940 के दशक में भारत ब्रिटेन के अधीन था, और भारतीय सेना ने दोनों वर्ल्ड वॉर में लड़ाइयां लड़ी थीं. इसमें भारतीय और यूरोपियन सैनिक शामिल थे. इसके साथ ही ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना थी, जिसने भारतीय और यूरोपियन सैनिकों की भर्ती की थी. वर्ल्ड वॉर 2 में भारतीय सेना इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 'इंडियन आर्मी इन वर्ल्ड वॉर 2' किताब में कौशिक रॉय के लिखते हैं कि वर्ल्ड वॉर 2 में भारतीय सेना सबसे बड़ी वॉलंटियर फ़ोर्स थी. 20 लाख से अधिक सैनिक भाग ले रहे थे. 1945 तक अलाइड फोर्सेज की जीत हो चुकी थी. हिटलर की मौत हो गई थी. भारत आज़ादी के करीब पहुंच रहा था. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि वर्ल्ड वॉर में लाखों भारतीयों ने भाग लिया लेकिन उनके प्रयासों को कमतर ही आंका गया. भारतीयों के योगदान की अनदेखी की गई.
दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान हज़ारों भारतीय सैनिक इटली के लिए लड़े थे. (तस्वीर: ट्विटर | CWGC)
दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान हज़ारों भारतीय सैनिक इटली के लिए लड़े थे. (तस्वीर: ट्विटर | CWGC)

कौन सी डिविजन इटली पहुंची थी? ब्रिटिश मिलिट्री हिस्ट्री नाम की वेबसाइट बताती है कि भारतीय सेना की तीन इन्फैंट्री डिविजन के सैनिकों ने इटली के इस कैम्पेन में भाग लिया था. ये चौथी, आठवीं और दसवीं भारतीय डिवीजन से थे. आठवीं इंडियन इन्फैंट्री डिविजन सबसे पहले इटली पहुंची थी. उसने 1941 में इराक और ईरान में कारवाई देखी थी, जब अंग्रेजों ने इन देशों पर आक्रमण किया था. चौथी भारतीय डिविजन दिसंबर 1943 में उत्तरी अफ्रीका से इटली आई थी. 1944 में, इसे कैसीनो में तैनात किया गया था. दसवीं भारतीय डिविजन अहमदनगर में 1941 में बनी थी, जो 1944 में इटली गई थी.
वेबसाइट बताती है कि पंजाब और भारतीय मैदानी क्षेत्रों के सैनिकों ने भयंकर प्रतिकूल हालातों का सामना किया. नेपाल के गोरखा सैनिकों ने भी लगातार बारिश और जमे हुए पहाड़ों के बीच रातें बिताई थीं. वेबसाइट के अनुसार, तीनों भारतीय डिविजन के सैनिकों ने इटली में बेहद अच्छा प्रदर्शन किया. इन सैनिकों को अलाइड और एक्सिस कमांडर्स द्वारा सम्मान की नज़रों से देखा जाता था. 900 से अधिक भारतीय सैनिकों की यादें कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स की वेबसाइट बताती है कि कैसिनो युद्ध कब्रिस्तान के लिए साइट को जनवरी 1944 में चुना गया था. कैसिनो युद्ध कब्रिस्तान में अब वर्ल्ड वॉर 2 के 4,266 राष्ट्रमंडल सैनिक दफन हैं, या उनकी यादें हैं. दफनाए गए सैनिकों में से 284 अज्ञात हैं. वेबसाइट बताती है कि 900 से अधिक भारतीय सैनिकों को यहां याद किया जाता है, जिनके अंतिम संस्कार यहां हुए थे. स्मारक को लुई डी सोइसन्स द्वारा डिजाइन किया गया था. और फील्ड मार्शल द आरटी द्वारा इसका अनावरण किया गया था.

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