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दिल्ली में नागरिक से मारपीट करने वाले सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स का काम क्या है?

कौन हैं सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स?

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तस्वीरें- ट्विटर, पीटीआई
दिल्ली में कोविड-19 की एक और लहर को कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है. इस दौरान एक घटना देखने को मिली. बीती 5 अप्रैल को दिल्ली के हौजखास इलाके में मास्क पहनने को लेकर एक सिविल डिफेंस वॉलेंटियर और एक राहगीर आपस में भिड़ गए. बात बढ़ गई तो वॉलेंटियर ने राहगीर पर बेल्ट से वार कर दिया. ये देख आसपास के लोग राहगीर के समर्थन में आ गए. फिर उन्होंने भी वॉलेंटियर्स के साथ मारपीट की. सोशल मीडिया पर घटना के दो वीडियो वायरल हो गए. आप भी देखें.
कइयों ने इस घटना के दोनों पक्षों की निंदा की तो कुछ लोगों ने ये सवाल किया कि आखिर ये सिविल डिफेंस वॉलेंटियर कौन होते हैं? इनका काम क्या होता है? वगैरा-वगैरा. तो चलिए हम आपको बताते हैं. क्या है सिविल डिफेंस? भारत में सिविल डिफेंस यानी नागरिक सुरक्षा की शुरुआत साल 1962 में हुई थी. ये भारत-चीन युद्ध का समय था. युद्ध के दौरान देशी की आंतरिक व्यवस्था में कोई परेशानी पैदा ना हो, इसके लिए सिविल डिफेंस की स्थापना की गई थी. आगे चलकर मई 1968 में The Civil Defence Act, 1968 (Act 27 of 1968) लागू किया गया था.
सिविल डिफेंस का उद्देश्य है देश के लोगों की सुरक्षा करना. भारतीय फौज बाहरी खतरों से देश को बचाती है. पुलिस कानून-व्यवस्था के तहत नागरिकों की रक्षा करती है. वहीं, सिविल डिफेंस का काम है लोगों की जान बचाना. संपत्ति के नुकसान को रोकना. और जनता का मनोबल ऊंचा रखना.
Volunteer
ड्यूटी पर दिल्ली का एक सिविल डिफेंस वॉलंटियर. (तस्वीर- पीटीआई)
क्या करते हैं वॉलेंटियर्स? सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स कई तरह के काम करते हैं. इनमें से कुछ हैं-
#सफाई अभियानों में हिस्सा लेना #पल्स पोलियो अभियान में हिस्सा लेना #प्रदूषण मुक्ति अभियान चलाना #आग लगने के दौरान बचाव कार्य में मदद करना #रक्तदान शिविरों का आयोजन करना #गम्भीर दुर्घटनाओं/आपदाओं में मदद करना #अन्य स्थानीय मामलों में किसी प्रकार की भूमिका निभाना
दिल्ली की बात करें तो यहां सिविल डिफेंस वॉलेंटियर बसों में महिला सुरक्षा के लिए मार्शल के रूप में भी काम करते हैं. पहले इस काम के लिए वॉलेंटियर्स को केवल भत्ते आदि दिए जाते थे. लेकिन अब दिल्ली सरकार ने इन लोगों को पैसे देने भी शुरू कर दिए हैं. अब जिस दिन वॉलेंटियर की ड्यूटी लगाई जाती है, उस दिन के उसे 723 रुपये दिए जाते हैं. साथ ही, दैनिक भत्ते के रूप में 40 रुपये रोजाना दिए जाते हैं. कैसे बनते हैं सिविल डिफेंस वॉलेंटियर? इसके लिए पहली शर्त ये है कि आवेदन करने वाला भारत का नागरिक हो. इसके अलावा नेपाली और भूटानी मूल के नागरिक भी सिविल डिफेंस वॉलेंटियर बन सकते हैं. वॉलेंटियर बनने के लिए आवेदक की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए. महिला या पुरुष कोई भी वॉलेंटियर बन सकता है. साथ ही ये शर्त भी है कि आवेदन करने वाले ने प्राइमरी तक की पढ़ाई की हो. इसके अलावा,
#आवेदक का शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होना जरूरी है. #वो जहां नौकरी करता हो वहां से NOC लेनी जरूरी है.
किन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है?
- आइडेंटिटी प्रूफ - वर्तमान और स्थायी एड्रेस प्रूफ - डेट ऑफ बर्थ प्रूफ - एजुकेशनल सर्टिफिकेट - पासपोर्ट साइज फोटो
वॉलेंटियर्स को ट्रेनिंग भी दी जाती है. इनको ट्रेनिंग और लीड करने वाले स्टाफ को सैलरी व अन्य भत्ते आदि दिए जाते हैं. ये डिप्टी कंट्रोलर्स, मेडिकल ऑफिसर्स और सीडी कंट्रोलर्स फुल टाइम नौकरी पर होते हैं. देश के हर जिले में सिविल डिफेंस मौजूद है और कई प्रकार के आदेशों को लागू करने में शासन-प्रशासन की मदद करता है. देशभर में 5 लाख 38 हजार वॉलेंटियर्स हैं. अकेले दिल्ली में ही 55 हजार से अधिक सिविल डिफेंस वॉलेंटियर काम कर रहे हैं.
सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स क्या कर सकते हैं और क्या नहीं, इसे लेकर स्पष्ट गाइडलाइंस नहीं हैं. उनकी वर्दी को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं. इस मामले में ताजा खबर ये है कि बीजेपी ने दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल से मांग की है कि राजधानी में तैनात वॉलेंटियर्स की वर्दी का रंग बदला जाए, जो देखने में पुलिस यूनिफॉर्म जैसी लगती है. पार्टी का कहना है कि इसका फायदा उठाकर कई सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स लोगों को प्रताड़ित करते हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीजेपी ने एलजी से कहा है कि कोविड-19 की रोकथाम से जुड़ी सावधानियां लागू करने के नाम पर इन वॉलेंटियर्स द्वारा लोगों को परेशान किया जा रहा है. पार्टी के इस कदम को 5 अप्रैल की घटना से जोड़कर देखा जा रहा है.

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