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क्या होता है दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री? उत्तराखंड के जिला पंचायत अध्यक्षों की इससे कितनी ताकत बढ़ेगी?

उत्तराखंड सरकार जिला पंचायत अध्यक्षों को राज्य मंत्री का दर्जा दे रही है

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सांकेतिक फोटो.
उत्तराखंड. यहां अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कई तरह के ऐलान किए हैं. इनमें एक ऐलान जिला पंचायत अध्यक्षों को राज्य मंत्री का दर्जा देने का भी है. हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि पंचायत अध्यक्षों को राज्य मंत्री का दर्जा मिलने के क्या मायने हैं? किसे ये दर्जा दिया जा सकता है? और दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री को क्या सुविधाएं मिलती हैं? इस घोषणा के सियासी मायने इस समय उत्तराखंड सरकार के इस फैसले के क्या सियासी मायने हैं? ये समझने के लिए हमने उत्तराखंड के सीनियर पत्रकार योगेश भट्ट से बात की. उन्होंने बताया कि पहले जिला पंचायत अध्यक्षों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाता था. लेकिन, उत्तराखंड बनने के बाद इसे खत्म कर दिया गया. इस व्यवस्था को खत्म करने का कारण बताते हुए योगेश भट्ट कहते हैं,
"खत्म करने के पीछे कई वजहें थीं. उनमें से एक वजह ये रही कि मान लीजिए कि राज्य में सरकार कांग्रेस की है, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष बीजेपी के हैं. या इसका उल्टा कर लीजिए. तो सरकारों को यह व्यवस्था अखरती थी. ऐसे में इस पावर को ही खत्म कर दिया गया. हालांकि काफी लंबे समय से ये मांग उठती रही है कि जिला पंचायत अध्यक्षों को फिर से राज्यमंत्री का दर्जा मिले. चूंकि चुनाव का मौसम है तो सरकार ने कर दिया. हालांकि, मुझे लगता नहीं है कि बहुत ज्यादा फर्क पड़ने वाला है."
कैबिनेट मंत्रियों के बारे में जानिए कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री और दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री क्या होते हैं? इसे केंद्र सरकार के मंत्रियों से शुरू करते हैं. भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीन तरह के मंत्री होते हैं. कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री. कैबिनेट मंत्री पहले नंबर पर आते हैं. उनके पास एक या एक से अधिक मंत्रालय हो सकते हैं. सरकार के बड़े फैसले कैबिनेट में ही तय होते हैं. सरकार के फैसलों में कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं.
Modi Cabinet Meets कैबिनेट बैठक की फाइल फोटो

दूसरे नंबर पर आते हैं राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार. स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों के पास आवंटित मंत्रालय और विभाग की पूरी जवाबदेही होती है. लेकिन आमतौर पर वो कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं होते. हालांकि, कैबिनेट इनको उनके मंत्रालय या विभाग से संबंधित मसलों पर चर्चा और फैसलों के लिए खास मौकों पर बुला सकता है.
राज्यमंत्री कैबिनेट मिनिस्टर के अंडर काम करते हैं. एक कैबिनेट मिनिस्टर के अंडर, एक या एक से ज्यादा राज्यमंत्री हो सकते हैं. एक मंत्रालय में भी कई विभाग होते हैं, जो राज्यमंत्रियों में बंटे होते हैं. दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री क्या होता है? यही बातें राज्य सरकारों के स्तर पर भी लागू होती हैं. अब उस सवाल पर लौटते हैं कि दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री क्या होते हैं? दर्जा प्राप्त राज्य मंत्रियों के बारे में जानने के लिए हमने बात की UP कैडर के रिटायर्ड IAS अधिकारी केएम पांडेय से. हमने उनसे पूछा कि दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री क्या होते हैं? उन्होंने बताया,
"दर्जा प्राप्त मंत्री कोई संवैधानिक पद नहीं है. सरकारें ये स्टेटस देती हैं. लेकिन स्टेटस देने का मतलब ये नहीं है कि वो ऑफिस होल्ड करते हैं, या उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली है, जैसे बाकी कैबिनेट या राज्यमंत्री शपथ लेते हैं. दर्जा प्राप्त मंत्री का स्टेटस देने का मतलब केवल एडमिनिस्ट्रेटिव नॉमिनेटड है. संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. सरकारें किसी को सुविधाएं देने के लिए उसे राज्यमंत्री का दर्जा दे देती हैं. इसके लिए राइटिंग में कोई ऑर्डर नहीं होता. बस ये कह दिया जाता है कि इन्हें राज्य मंत्री या मंत्री पद के अनुरूप सुविधाएं दी जाएंगी."
राज्यमंत्री का दर्जा किसे दिया जा सकता है? इस सवाल के जवाब में रिटायर्ड IAS अधिकारी केएम पांडेय का कहना है,
"इसे लेकर कोई नियम नहीं है. यह पूरी तरह से सरकारों की अपनी समझ पर है. ना ही केंद्र सरकार में ना ही राज्य सरकार में इस तरह के किसी नियम या कानून का जिक्र है." 
क्या सुविधाएं मिलती हैं? एक दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री को क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं. हमने रिटायर्ड IAS अधिकारी केएम पांडेय से इस पर भी चर्चा की. उन्होंने बताया,
"दर्जा प्राप्त मंत्री को क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी। ये राज्य सरकारें तय करती हैं. सुविधा के नाम पर सरकार ने स्टाफ दे दिया, गाड़ी दे दी. प्रशासनिक सुविधा के लिए एक आदेश हो जाता है. जो चीजें देनी हैं, दे दी जाती हैं, जो नहीं देना है नहीं दिया जाता है. ये पूरी तरह से सरकार के ऊपर है. यह प्रैक्टिस में शामिल है. इसका कोई लीगल बैकिंग नहीं है."
इस दौरान केएम पांडेय ने एक और जरूरी बात भी बताई. उनके मुताबिक, "कैबिनेट और राज्यमंत्रियों को दी जाने वाली सभी सुविधाएं भी पहले से फिक्स नहीं हैं? सैलरी, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और कुछ अन्य सुविधाएं विधानसभा से अप्रूव हैं. बंगला, गाड़ी या अन्य कौन-सी सुविधाएं उन्हें दी जाएंगी, इसका (कानून में) जिक्र नहीं है, ये सुविधाएं तो राज्य सरकारें ही देती हैं." केंद्रीय मंत्रियों को कितना वेतन मिलता है? आइये चलते-चलते ये भी जान लेते हैं कि हमारे केंद्रीय मंत्रियों को कितना वेतन और भत्ता मिलता है. आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक कैबिनेट मंत्री को हर महीने एक लाख रुपए मूल वेतन मिलता है. इसके साथ ही निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 70,000 रुपए, कार्यालय भत्ता 60,000 और सत्कार भत्ता 2000 रुपए मिलता है. राज्य मंत्रियों को 1,000 रुपए प्रतिदिन सत्कार भत्ता मिलता है. इसके अलावा उन्हें बतौर संसद सदस्य यात्रा भत्ता, स्टीमर पास, आवास, टेलीफोन सुविधाएं और गाड़ी खरीदने के लिए अग्रिम राशि मिलती है.

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