मार्च, 2017. यूपी में विधानसभा के चुनाव होने थे. चुनाव प्रचार के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के रोहनिया में मौजूद थे. इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से पीसीएस मेन्स 2015 की परीक्षा की कॉपी में हेराफेरी का मुद्दा उठाया. और पीएम मोदी ने बाकायदा नाम लेकर कहा कि आयोग की ओर से रायबरेली की एक लड़की सुहासिनी वाजपेयी की कॉपी बदल दी गई थी. सुहासिनी को आयोग ने फेल कर दिया था. जब सुहासिनी ने पीएमओ को चिट्ठी लिखी और प्रधानमंत्री मोदी ने ये मुद्दा अपनी चुनावी रैली में उठाया तो आयोग हरकत में आ गया. दोबारा कॉपी चेक हुई तो पता चला कि कोड बदलने की वजह से सुहासिनी की कॉपी पर रवींद्र तिवारी का नाम दर्ज हो गया था. इसकी वजह से रवींद्र तिवारी पास हो गए और सुहासिनी फेल. आयोग ने फिर से कॉपी चेक करवाई और फिर सुहासिनी को पास घोषित कर दिया गया. ये वो दौर था जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने चुनाव प्रचार में कहते थे काम बोलता है और प्रधानमंत्री मोदी कहते थे कि आपका काम नहीं, कारनामा बोलता है.

पीएम मोदी ने यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान यूपी लोकसेवा आयोग में हुए भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए एक संकल्प पत्र भी जारी किया था. इसके संकल्प पत्र के पेज नंबर सात पर बीजेपी ने एक वादा किया था. हर युवा को मिलेगा रोजगार शीर्षक वाले इस पेज पर लिखा था-
‘सपा के शासनकाल में उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन के पक्षपात पर स्वयं उच्च न्यायालय ने संज्ञान लेकर चेयरमैन को पद से हटाया. प्रदेश सरकार की हर भर्ती एक घोटाला बनकर सामने आई. भारतीय जनता पार्टी भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता को सख्ती से लागू करेगी.’

बीजेपी का संकल्प पत्र, जो 2017 विधानसभा के लिए पार्टी की ओर से जारी किया गया था.
चुनाव हुए और सत्ता बदल गई. अखिलेश यादव की जगह पर योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने. लेकिन आयोग का कारनामा जारी रहा. बीजेपी की ओर से पहली बड़ी भर्ती शिक्षकों के लिए निकाली गई. 68,500 पदों पर भर्ती के लिए हुई परीक्षा में भी भ्रष्टाचार के आरोप, गड़बड़ियों के आरोप और नकल के आरोप लगे. फिर ये भर्ती भी सपा सरकार की भर्तियों की तरह हाई कोर्ट में पहुंच गई. हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश देते हुए कहा-
पिछले 20 साल से राज्य सरकार, चयन बोर्ड या कमिशन की लगभग हर भर्ती में गड़बड़ी देखने को मिल रही है. लेकिन दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय जांच कमिटियां बनती रहीं, जिन्होंने कुछ नहीं किया. इसलिए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच ज़रूरी है. सरकार सीबीआई जांच के लिए तैयार नहीं है, इसलिए हमें आदेश देना पड़ रहा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछली शिक्षक भर्ती की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.
अभी इस मामले की सीबीआई जांच चल ही रही है और अब आयोग का एक और नया कारनामा सामने आ गया है. और इस बार का कारनामा इतना बड़ा है कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में हुए कारनामे भी इसके पीछे छोटे पड़ गए हैं.
अभी क्या हुआ है उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग में?
उत्तर प्रदेश में लोक सेवा आयोग को पहली बार प्रदेश में सरकारी हाई स्कूल और इंटरमीडिएट में शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा करवानी थी. इसे एलटी ग्रेड की परीक्षा कहा जाता है. परीक्षा के लिए 15 मार्च, 2018 को आयोग की ओर से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए. 29 जुलाई, 2018 को परीक्षा भी हो गई. इस परीक्षा के तुरंत बाद ही सामाजिक विज्ञान और हिंदी के पेपर लीक होने की बात सामने आने लगी. दावा किया जाने लगा कि परीक्षा से पहले ही पेपर वॉट्सऐप पर वायरल हो गए थे. लेकिन आयोग ने इन दावों को खारिज कर दिया था. इसके बावजूद सभी 15 विषयों के रिजल्ट जारी नहीं हो पाए थे. रिजल्ट जारी करने को लेकर प्रतियोगी छात्रों ने आयोग के सामने कई बार अर्ध नग्न प्रदर्शन किया था. इसके बाद आयोग के अनु सचिव और मीडिया प्रभारी सुरेंद्र उपाध्याय ने 31 मई, 2019 से रिजल्ट जारी करन को कहा था. आयोग ने 28 मई, 2019 को ही कहा था कि दस्तावेज के सत्यापन के लिए 11 जून से चार जुलाई 2019 के बीच की तारीख तय की गई है. लेकिन उससे पहले ही आयोग का कारनामा उजागर हो गया.
परीक्षा से पहले ही आउट हो गया था पेपर, 2.80 करोड़ रुपये में हुई थी खरीद

शिक्षक भर्ती के पेपर की डील 2.80 करोड़ रुपये में हुई थी.
उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने 28 मई की रात को वाराणसी के चोलापुर में छापेमारी करके एक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक कौशिक कुमार को गिरफ्तार कर लिया. पता चला कि उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के पेपर जिस प्रिंटिंग प्रेस में छपते हैं, कौशिक उसका मालिक है. एसटीएफ को कौशिक के पास से लैपटॉप, कुछ पेपर और कई लोगों के नाम का पता चला. पुलिस के मुताबिक उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार और कौशिक के बीच 2.80 करोड़ रुपये में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के पेपर का सौदा हुआ था. पुलिस के मुताबिक कौशिक ने बताया है कि पेपर लीक करने में उसके साथ रंजीत प्रसाद, गणेश प्रसाद शाह और संजय शाह थे. इन लोगों ने परीक्षा से एक दिन पहले 28 जुलाई, 2018 को 50 लड़कों को पेपर दिया था. इस पेपर के एवज में इन लड़कों से 2.5 लाख से लेकर 5 लाख रुपये तक लिए गए थे. कई लड़कों के हाई स्कूल, इंटरमीडिएट और ग्रैजुएशन की ओरिजिनल मार्कशीट भी जमा करवा ली गई थी.
बनारस से कोलकाता पहुंचाया गया था पेपर, पढ़ने के बाद जला दिया गया
परीक्षा से एक दिन पहले ही 28 जुलाई, 2018 को ही वाराणसी से पेपर लेकर कौशिक का एक साथी अशोक चौधरी कोलकाता गया. अशोक के साथ गणेश और रंजीत भी थे. कोलकाता में एक होटल में संजय, अजीत चौहान, अजय, शैलेंद्र और प्रभु दयाल से मुलाकात हुई. वहां से सभी लोग शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर एक खाली जगह पर इकट्ठा हुए, जहां पहले से ही कुछ लड़के मौजूद थे. वहां उन लड़कों को पेपर दिया गया. दो घंटे तक पेपर रटवाया गया और फिर पेपर जला दिए गए.
परीक्षा नियंत्रक समेत 9 लोगों पर दर्ज हुआ केस, अंजू कटियार गिरफ्तार

पहले कौशिक (बाएं) गिरफ्तार हुआ. उसके बाद 30 मई को अंजू लता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.
एसटीएफ ने पेपर लीक मामले में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार के साथ ही प्रिंटिंग प्रेस के मालिक कौशिक कुमार और उसके साथियों रंजीत, संजय, अजीत, अजय चौहान, प्रभु दयाल, गणेश और शैलेंद्र के खिलाफ वाराणसी के चोलापुर में केस दर्ज करवाया गया है. मामले की जांच कर रहे अनिल राय ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर अंजू लता के खिलाफ सर्च वॉरंट जारी करने को कहा. कोर्ट ने सर्च वॉरंट जारी भी कर दिया, जिसके बाद 28 मई की देर रात ही लोकसेवा आयोग में एसटीएफ और पीएसी की टीमों ने जांच शुरू कर दी. इस दौरान परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार के ऑफिस और घर में भी छापेमारी हुई. अंजू कटियार के घर से उनका मोबाइल और लैपटॉप जब्त किया गया है. एसटीएफ का कहना है कि अंजू कटियार ने कौशिक के साथ फोन पर वॉट्सऐप चैटिंग भी की थी. एसटीएफ के मुताबिक कौशिक पेपर छापने के लिए मिले पैसे का 5 फीसदी अंजू लता कटियार को देता था. पुलिस के मुताबिक अंजू लता कटियार ने वॉट्सऐप पर कौशिक से कहा है कि पुलिस कौशिक की कंपनी के खिलाफ केस दर्ज करना चाहती है, फिर भी अंजू पेपर छापने का काम कौशिक की कंपनी को ही दे रही है. पुलिस ने बताया कि कौशिक के मोबाइल में अंजू लता का वॉट्सऐप नंबर भी मिला है. नए पेपर छापने के एवज में ही कौशिक ने अंजू लता को 10 लाख रुपये दिए थे. हालांकि जांच के दौरान अंजू लता के पास से पैसे बरामद नहीं हुए हैं, इसलिए 29 मई तक उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई थी. लेकिन 30 मई की शाम होते-होते क्राइम ब्रांच ने अंजू लता कटियार को गिरफ्तार कर लिया था.
मौसी की कंपनी में काम करते-करते आउट कर दिया पेपर

एसटीएफ के मुताबिक एलटीग्रेड का पेपर आउट करने में सबसे अहम किरदार है कौशिक. ये रहने वाला पश्चिम बंगाल के चौबीस परगना का रहने वाला है. उसकी मौसी का नाम है आरती मिश्रा. आरती मिश्रा की छपाई की एक कंपनी है जिसका नाम है ब्लेसिंग सिक्योर्ड प्लेस प्राइवेट लिमिटेड. ये कंपनी ओल्ड कोलकाता, गंगानगर में है. कौशिक इसी कंपनी में काम करता था. काम करते-करते कौशिक इस कंपनी का पूरा काम देखने लगा. उसकी मदद कर रहा था अशोक चौधरी. कौशिक और अशोक चौधरी ने मिलकर कंपनी में मानकों से अधिक पेपर छापे और फिर उन्हें 2.5 लाख से पांच लाख रुपये लेकर लड़कों को बांट दिया. परीक्षा बीत गई तो अशोक चौधरी ने एक दिन कोलकाता सीआईडी को एक लेटर लिखा और उसमें कौशिक की कंपनी और पेपर लीक के बारे में लिखा. अशोक ने सीआईडी को लिखे पेपर में कहा कि हिंदी और सामाजिक विज्ञान का पेपर लीक किया गया है. कोलकाता सीआईडी ने इस लेटर को यूपी एसटीएफ को सौंप दिया. यूपी एसटीएफ जांच में जुट गई. जांच के दौरान ही 25 मई, 2019 को एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को पत्र भेजकर कहा कि कौशिक की कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया जाए और उसे पेपर छापने का ठेका न दिया जाए. लेकिन अंजू लता कटियार ने फिर से कौशिक को ही पीसीएस मेंस के पेपर छापने का ठेका दे दिया. एसटीएफ की माने तो इसी पेपर को लीक करने और इसे बेचने के लिए नए अभ्यर्थियों की तलाश के लिए कौशिक बनारस आया था. एसटीएफ को सूचना मिली तो 28 मई की रात को एसटीएफ ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उसकी गिरफ्तारी के बाद पूरे रैकेट का खुलासा हो गया.
पीसीएस मेन्स का पेपर भी टला

यूपीपीएससी ने नोटिफिकेशन जारी कर पीसीएस मेन्स की परीक्षा टाल दी है.
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस मेन्स की परीक्षा जून में होनी है. इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो चुका है. कहा गया है कि 17 जून से 21 जून के बीच परीक्षा होगी. लेकिन एलटी ग्रेड का पेपर लीक होने और इसकी जांच के दौरान एसटीएफ को कौशिक के पास से परीक्षा के 53 और सेट बरामद किए गए हैं. बताया जा रहा है कि ये पेपर पीसीएस मेन्स के हैं. इन पेपरों को छापने का ठेका भी कौशिक के ही पास था. अब जब इस प्रिंटिंग प्रेस से एलटी ग्रेड के पेपर लीक का खुलासा हो गया तो उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 17 जून से शुरू होने वाली परीक्षा भी टाल दी है. आयोग ने परीक्षा टालने की वजह नहीं बताई है, लेकिन उसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.
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