बागेश्वरधाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) लगातार चर्चा में बने हुए हैं. वो लगातार इंटरव्यू दे रहे हैं. विवाद की स्थिति बनी हुई है. इस बीच कुछ मेंटलिस्ट्स की भी बात हो रही है. यानी ऐसे लोग, जो दिमाग पढ़ने का दावा करते हैं. ऐसी ही एक मेंटलिस्ट हैं सुहानी शाह (Suhani Shah). उनकी भी खूब चर्चा हो रही है.
सुहानी शाह की पूरी कहानी क्या है, जो एक ट्रिक से सामने वाले का 'दिमाग' पढ़ लेती हैं?
सुहानी ने सात साल की उम्र में की थी पहली परफॉर्मेंस. पांच किताबें लिख चुकी हैं.
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सुहानी शाह पॉपुलर यूट्यूबर हैं. कमेडियन और ‘जादूगरनी’ हैं. लोगों का दिमाग़ पढ़ लेती हैं. ऐसा दावा है. असल में दिमाग़ नहीं पढ़ती हैं. ये जो मेंटलिस्ट लोग होते हैं, वो लोगों के हाव-भाव, हरक़तों और देह-भाषा से कुछ चीज़ें पता लगा लेते हैं. जैसे, आपके फोन का पासवर्ड. वो आपसे ही सवाल पूछेंगे और बिना पासवर्ड बुलवाए, निकलवा लेंगे.
फ़र्ज़ करिए कि आपको कोई मेंटलिस्ट मिल जाए. अब क्योंकि टेक्नॉलजी बहुत आगे बढ़ चुकी है, तो वो मेंटलिस्ट आपसे आपका फोन मांगेगा. कहेगा लॉक कर के दीजिए. आप भी इस बात का ख़्याल रखेंगे. फिर वो आपसे कहेगा कि आप अपने चार डिजिट के पासवर्ड का पहला डिजिट अपने मन में सोचिए. अब जैसे पहला डिजिट है 4, तो आपको चार के बारे में सोचना है. क्या सोचना है, पता नहीं. लेकिन जैसे ही आपने सोचा चार, मेंटलिस्ट समझ जाएगा.
ये जादू नहीं है. मनुष्यों की कंडिशनिंग के बाद उनके ज़ेहन में हर रंग, नंबर या लेटर से कुछ न कुछ जुड़ा होता है. वो उसी हिसाब से हरक़त करते हैं. और, ये हरक़त बहुत हल्की होती है. मसलन: पलक झपकाना, उंगली हिलाना, चेहरे पर कोई शिकन. बारीक़ से बारीक़ हरक़त से नंबर का पता लगाते हैं और अंत में आपका फ़ोन उनके हाथों में खुल जाता है!
7 साल में पहला परफ़ॉर्मेंसयही करती हैं सुहानी शाह. कॉमेडी करने का भी प्रयास रहता है. ‘जादू’ और कॉमेडी को मिलाकर अपना परफ़ॉरमेंस तैयार करती हैं. उनकी अच्छी-खासी फॉलोइंग है. बीस-एक साल से देश-दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में परफ़ॉर्म कर रही हैं. पहली परफ़ॉर्मेस उन्होंने सात साल की उम्र में की थी. तब वो केवल अपने ‘मैजिक ऐक्ट्स’ करती थीं. अपने बर्थडे के दिन ही पहली बार परफ़ॉर्म किया और उस सभा में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला भी मौजूद थे.
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सुहानी राजस्थान के उदयपुर की रहने वाली हैं. 29 जनवरी 1990 को उनका जन्म हुआ. बचपन से ही 'जादू' और ट्रिक्स ने उन्हें बहुत आकर्षित किया. डांसर, सिंगर, डॉक्टर या टीचर जैसे पारंपरिक पेशों में दिलचस्पी न जागी, तो पिता से कहा कि इस फ़ील्ड में आगे बढ़ना चाहती हैं. पिता ने सपोर्ट किया. पहली क्लास में ही स्कूल छोड़ दिया कि फ़ुल-टाइम इसी फ़ील्ड को समय दे सकें. अपने एक वीडियो में सुहानी ने ख़ुद बताया है कि 14 साल तक उन्हें अंग्रेज़ी बोलनी-लिखनी नहीं आती थी. क्योंकि ये फ़ील्ड बहुत कॉमन नहीं है, तो 'मैजिक' के नाम पर लोगों को लगता था कि उन्हें सिद्धि प्राप्त है. इसके बाद उन्होंने साइकोलॉजिकल असेसमेंट शुरू किया.
बाद में उन्होंने 'सुहानी माइंडकेयर' नाम से एक संस्था भी शुरू की, जो लोगों को थेरपीज़ देती हैं. जिन लोगों को शराब या सिगरेट की लत होती है, वो उन्हें ट्रीट करते हैं. सुहानी ने इसी क्षेत्र से संबंधित पांच किताबें भी लिखी हैं और वो एक पेशेवर हिपनो-थेरेपिस्ट हैं. वो जो पेंडुलम-नुमा चीज़ से लोगों को 'वश' में कर लेते हैं.
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आजकल सुहानी अलग-अलग टीवी चैनलों पर जा रही हैं और वहां अपनी स्किल्स दिखा रही हैं. उनका कहना है कि ये सब बस एक ट्रिक है.
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