1. मटियाना
ये एक ऐसा शब्द है, जिसे हर एक पल कोई न कोई कॉलेज में बोल ही रहा होता है. मटियाना एक भोजपुरी शब्द है, जिसका मतलब मटियामेट करना या इग्नोर मारना है. प्रयोग की विविधता और कहीं भी मटियाना शब्द घुसेड़ देने या फिट हो पाने की प्रवृत्ति के आधार पर केवल अंग्रेजी का 'F' वर्ड ही इसे टक्कर देता दिखता है.
'क्लास है?' 'सब मटियाओ बे.'
'पेपर खराब हो गया यार!' 'मटियाओ बे मिड सेम ही तो है.'
'ये इवेंट कोई नही मटियाएगा.'
तेलुगू, हिन्दी, अंग्रेजी, बंगाली या भोजपुरी... भाषा कोई भी हो. मटियाना सबमें यूज हो जाता है.
'मटियाओ आन्ट्रे' भी. थोड़ी देर तक अंग्रेजी में बात करते दो लोग भी थोड़ी देर में एक बार तो मटिया ही देते हैं.
2. माल
पूरे भारत में इस शब्द का प्रयोग सुंदर लड़कियों को मटेरियलाइज करने के तौर पर किया जाता है, लेकिन यहां इसका बड़ा व्यापक अर्थ और मतलब है. वो भी है. यहां उसका यही मतलब है, जो कानपुर में फोड़ू का है. मतलब बिरिलियंट.
जैसे 'माल बन्दा है.' 'आज का खाना माल है.'
3. मटका, मटकी
किसी भी M.Tech स्टूडेंट या रिसर्च स्कॉलर यहां इसी नाम से बुलाते हैं. 4 साल तक उन्हें मटका बुलाते हैं. हालत ये हो जाती है कि कुछ भी कर कर लेंगे, पर M.Tech नहीं करेंगे.
4. मग्गू
'थ्री इडियट्स' का चतुर. वहां एक था, यहां अनेक हैं. ये एक ऐसा जीव है, जिसके जीवन का ध्येय येन केन प्रकारेण CGPA को 9 के ऊपर रखना होता है. इसके लिए ये क्रन्दन, इमोसनल अत्याचार, कुछ भी कर सकते हैं. ये प्रायः हॉस्टल में एक ही विंग में रहना पसन्द करते हैं. ये विंग मग्गू विंग कहलाती है. लक्षण यही है कि इन्हें लाइब्रेरी की किताबी सुगंध में ही ऑर्गेजम की प्राप्ति होती है.
5. बॉन्ड
ये शब्द जेम्स बॉन्ड के लिए नहीं, बल्कि इंट्रोवर्ट्स या झेंपू जूनियर्स के लिए है, जिसे सीनियर्स बड़े हक के साथ यूज करते हैं. BOND का फुल फॉर्म पूछा जाता है. 'B ऑफ Nth Degree' नहीं बता पाए, तब तो आपकी खबर ले ली जाती है. बताने पर और मुसीबत.
'पितातुल्य सीनियर्स के सामने गाली देता है? इतनी हिम्मत?'
'सारी भैया'.
'भैया कौन बे... सर बोल @#$%!'
ये एक ऐसा वार्तालाप है, जो हर कोई कम से कम एक बार तो जरूर करता है.
6. RD: राम धनी की दुकान
फर्स्ट इयर के लिए इसे रैगिंग डिपार्टमेंट बोला जाता है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के एंटी रैगिंग वाले ऑर्डर निषिद्ध हैं. ये दुकान पच्चास साल से भी पुरानी है. RD पैसों से ज्यादा भरोसे पर चलती है. फर्स्ट इयर में कुछ लौंडे गड़बड़ करते हैं पैसे देने में, लेकिन RD जी की शकल इतनी प्यारी और मासूम है कि पैसे देना कोई नहीं मटियाता. मिनी कैंटीन होने के साथ ही RD मिनी कोर्ट भी है. कितनी ही दोस्तियों के बनने-टूटने का साक्षी है RD.
'RD पे आजा.'
'चल, RD चलते हैं.'
7. पोथा और पॉली
पोथे पिलाना मतलब मोटिवेशनल टाइप बोलने की कला. कहीं भी शुरू. शुरुआती दिनों में इनकी खूब चलती है. ये कोई भी वाक्य 'One who is…' या 'One who has…' से ही शुरू करते हैं. कॉलेज के फेस्ट यही ऑर्गनाइज कराते हैं. पॉली मतलब पॉलिटिक्स. पोथेबाज लौंडे ही पॉली में जाते हैं.
'भाई प्लीज, पोथे ना दे.'
'इंटरव्यू कैसा गया बे?'
'माल गया. पोथे दे आया. पता नहीं होगा की नइं होगा?'
'हो जाएगा बे. मटियाओ मत. चल RD पर चाय पिला.'
8. भौकाल और रौला
कनपुरिए इसे 'पउआ होना' बोलते हैं. उसी तरह यहां लौडों का रौला होता है. भौकाल तो थोड़ा सा वासेपुर कनेक्शन की वजह से भी है. भौकाल तो हमारा है ही. हो भी क्यों न. फजलू भइया और सरदार खान पड़ोसी हैं हमारे शहर के. इसके अलावा 'जय मां काली ISM भौकाली' नारे का भी एक अलग ही इतिहास है. कुछ भूतपूर्व सीनियर्स द्वारा नशे में धुत्त होकर स्पोर्ट्स फेस्टिवल में हारने के बाद भी IIT कानपुर के कैंपस में जोर-जोर से यही नारा चिल्लाने पर सदैव के लिए ब्लैकलिस्ट होने के अलावा संभवतः कोई और कड़वी याद नहीं है.
9. तुमसे न हो पाएगा
GOW (गॉड ऑफ वार नहीं, गैंग्स ऑफ वासेपुर) रिलीज होने के बाद से ही इस डायलॉग पर हमारा हक बन गया था. नया-नया ही जुड़ा है हमारी डिक्सनरी में, पर फ्रिक्वेंटली यूज होता है. कैंपस प्लेसमेंट के समय का एक प्रसिद्ध डायलॉग 'कंपनी और भगवान का कउनो भरोसा नहीं. किसी को भी उठा सकते हैं.'
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