आगे दी 16 मिनट की एक कमाल स्पीच. जिसे लोग आज भी यूट्यूब पर खोजकर देखते हैं. और खोजेंगे भी क्यूं ना. उस समय से ज़्यादा अब रेलेवेंट महसूस होती है. पूरी स्पीच यहां बता पाना मुनासिब नहीं. लेकिन उस एक्टर की जागरूकता के पैमाने कहां तक फैले हैं, उस बात की एक झलक देने की लिए उसी स्पीच से कुछ खास पॉइंट्स बताते हैं. सबसे पहले अपनी स्पीच में उस एक्टर ने आपत्ति जताई. उस जनरेशन के अटेंशन स्पैन पर. और जनरेशन के दायरे में केवल किसी ख़ास उम्र के लोगों को नहीं रखा. सभी को बराबर दोषी ठहराया. हमारी निपुणता गिनाई कि कैसे हमें सिर्फ 10 सेकेंड लगते हैं, किसी भी चीज़ पर से अपना अटेंशन खोने में. थिएटर में फिल्म देख रहे हैं. किसी सीन में अगर 10 सेकेंड के लिए भी सन्नाटा हुआ तो बस हो गया निहाल. हम अपना फोन चेक करने लगेंगे. बगल वाली सीट पर बैठे दोस्त से क्रिकेट पर बात करने लगेंगे. लेकिन इस क्षीण होते अटेंशन स्पैन का नुकसान सिर्फ थिएटर्स तक ही सीमित नहीं. एक्टर के मुताबिक लोगों ने जरूरत की चीज़ों को भी अपना अटेंशन बख्शना बंद कर दिया है. व्यवस्थाएं बदले. चाहे आसपास की दुनिया बदले. लोगों को ऐसी सभी जरूरी चीज़ों से फ़र्क पड़ना बंद हो गया है.
फिर बात की लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की. यानी प्रेस की. जरूरत बताई कि जनता को तो मीडिया का कान पकड़कर उससे सवाल करने चाहिए. इस स्पीच से ठीक एक साल पहले ही मुंबई में दिल दहला देने वाला आतंकी हमला हुआ था. उस समय हमलों की रिपोर्टिंग पर मीडिया की खूब आलोचना हुई थी. एक्टर ने मीडिया को उनकी असंवेदनशील पत्रकारिता याद दिलाई. खबरें बनाने से बेहतर उन्हें खोजने की नसीहत दी. मीडिया के साथ-साथ आम आदमी से भी अपील की. कि जागरूक बनो, तभी सशक्त बन पाओगे.
समाज से सही सवाल करने वाले, मीडिया को उसकी ज़िम्मेदारी बताने वाले, अपने इको सिस्टम के प्रति जागरूकता रख उसे समझने वाले, पॉलिटिक्स को लेकर वोकल रहने वाले, ये एक्टर हैं सिद्धार्थ. यानी रंग दे बसंती के करण सिंघानिया. इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में इनके जैसे कलाकार दुर्लभ ही हैं. जो अपनी बात रखने के लिए किसी मौके का इंतज़ार नहीं करते. अपना नागरिक धर्म समझते हैं.

अपनी इसी स्पीच को लेकर कुछ दिन पहले सुर्खियों में भी थे सिद्धार्थ.
तो आज बात करेंगे इन्हीं सिद्धार्थ की. जानेंगे ज़बान से तमिल और दिल से दिल्ली वाले इस एक्टर की कहानी. साथ ही बात करेंगे उनके करियर की कुछ बेहतरीन परफॉरमेंसेज़ की. चलिए, शुरू करते हैं.
