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कौन है 'ब्लैक टाइगर', जिसका रोल सलमान खान करने जा रहे हैं?

फर्जी टाइगर बनते रहे सलमान को राजकुमार गुप्ता रियल टाइगर बनाने जा रहे हैं.

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राज कुमार गुप्ता. उनकी फिल्म का विषय. और उनकी फिल्म का हीरो.
सलमान खान की पिछली कुछ फिल्में वैसी सफल नहीं हो पाई हैं, जिसकी उनसे उम्मीद की जाती है. इसलिए अब सलमान अपनी आने वाली फिल्मों के लाइन-अप पर दोबारा विचार कर रहे हैं. कुछ नई फिल्में जोड़ी जा रही हैं. कुछ घटाई भी जा रही हैं. इन दिनों सलमान, राजकुमार गुप्ता के डायरेक्शन में बनने वाली फिल्म को लेकर चर्चा में है. हालांकि ये प्रोजेक्ट अभी बिलकुल शुरुआती स्टेज में है.
# कौन बना रहा है ये फिल्म?
'आमिर', 'नो वन किल्ड जेसिका' और 'रेड' जैसी फिल्में बनाने वाले राजकुमार गुप्ता पिछले काफी समय से एक स्पाई थ्रिलर फिल्म पर काम कर रहे हैं. असल घटनाओं से प्रेरित ये कहानी है भारतीय जासूस रविंद्र कौशिक की. रविंद्र को इंडिया में 'ब्लैक टाइगर' के नाम से भी जाना जाता है. राज पिछले पांच साल से इस प्रोजेक्ट के लिए रिसर्च कर रहे हैं. पिंकविला में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक
उन्होंने कुछ समय पहले ये स्क्रिप्ट सलमान को सुनाई. जिसके तुरंत बाद सलमान ने इस फिल्म में काम करने के लिए अपनी रज़ामंदी दे दी है.
फिल्म 'रेड' की शूटिंग के दौरान अपने लीडिंग मैन अजय देवगन के साथ डिस्कशन करते फिल्ममेकर राज कुमार गुप्ता.
फिल्म 'रेड' की शूटिंग के दौरान अपने लीडिंग मैन अजय देवगन के साथ डिस्कशन करते फिल्ममेकर राज कुमार गुप्ता.


# पहली बार सलमान निभाएंगे असल व्यक्ति से प्रेरित किरदार
सलमान अपने 30 साल से ज़्यादा लंबे करियर में पहली बार किसी असल व्यक्ति से प्रेरित किरदार निभाने जा रहे हैं. दिलचस्प बात ये कि सलमान ऑलरेडी यशराज की 'टाइगर' सीरीज़ का हिस्सा हैं. 2012 में जब कबीर खान के डायरेक्शन में बनी 'एक था टाइगर' रिलीज़ हुई, तब लोगों को लगा कि ये फिल्म रविंद्र कौशिक की कहानी पर बनी है. मगर वो एक फिक्शन स्पाई थ्रिलर फिल्म थी. मगर अब वो फाइनली रियल 'टाइगर' का रोल करने जा रहे हैं. हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक सलमान की नई फिल्म के लिए नाम की तलाश जारी है. वो लोग टाइगर के इर्द-गिर्द कोई नाम नहीं चाहते.
सलमान अपने करियर में एक था टाइगर और टाइगर ज़िंदा है के अलावा भी एक फिल्म में स्पाई का रोल कर चुके हैं. वो फिल्म थी मुकुल आनंद डायरेक्टेड 'दस' जो कभी बनकर पूरी नहीं हो पाई.
सलमान अपने करियर में 'एक था टाइगर' और 'टाइगर ज़िंदा है' के अलावा भी एक फिल्म में स्पाई का रोल कर चुके हैं. वो फिल्म थी मुकुल आनंद डायरेक्टेड 'दस' जो कभी बनकर पूरी नहीं हो पाई.


# आगे कौन-कौन सी फिल्में करने वाले हैं सलमान खान?
चर्चा ये है कि 'टाइगर 3' की शूटिंग से निपटने के बाद सलमान साजिद नाडियाडवाला की 'कभी ईद कभी दीवाली' का काम शुरू करेंगे. अगर सबकुछ प्लैन के मुताबिक रहता है, तो 'कभी ईद कभी दीवाली' के बाद सलमान राजकुमार गुप्ता की फिल्म की शूटिंग शुरू करेंगे. इन फिल्मों के अलावा सलमान तमिल फिल्म 'मास्टर' के रीमेक में भी काम करने वाले हैं. मगर उस फिल्म की स्क्रिप्टिंग हो रही है. तमिल फिल्म के स्क्रिप्ट को हिंदी ऑडियंस की सेंसिबिलिटी के हिसाब से चेंज किया जा रहा है. अगर सलमान को वो स्क्रिप्ट पसंद आई तो उस पर भी काम शुरू हो सकता है. इसके अलावा वो रवि तेजा की तेलुगु फिल्म 'खिलाड़ी' के रीमेक में भी काम कर सकते हैं.
# कौन थे रविंद्र कौशिक उर्फ ब्लैक टाइगर?
रविंद्र कौशिक को इंडिया का बेस्ट जासूस माना जाता है. खबरों के मुताबिक रविंद्र ने जो इनफॉरमेशन मुहैया करवाई, उसकी मदद से हज़ारों भारतीयों की जान बचाई जा सकी. रविंद्र के भाई राजेश्वरनाथ एक इंटरव्यू में बताते हैं कि लखनऊ के एक कॉलेज में उन्हें रॉ के कुछ अफसरों ने देखा. उस दिन रविंद्र एक इंटर-कॉलेज नाटक में हिस्सा ले रहे थे. उनका रोल एक इंडिया आर्मी ऑफिसर का था, जो चीनी सेना की गिरफ्त में होने के बावजूद भारत से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दे रहा था.
रविंद्र कौशिक उर्फ ब्लैक टाइगर. बताया जाता है कि रविंद्र के अंदाज़ में एक किस्म की फ्लैमबॉयंस थी. और वो भरपूर मात्रा में स्वैगर कैरी करते थे.
रविंद्र कौशिक उर्फ ब्लैक टाइगर. बताया जाता है कि रविंद्र के अंदाज़ में एक किस्म की फ्लैमबॉयंस थी. और वो भरपूर मात्रा में स्वैगर कैरी करते थे.


उनके इस एक्ट से इंप्रेस होकर उन अफसरों ने रविंद्र को दिल्ली बुलाया. वहां उन्हें दो साल की कड़ी ट्रेनिंग दी गई. खतना करवाया गया, ताकि उन्हें खुद को मुस्लिम साबित करने में कोई दिक्कत न आए. इसके बाद उन्हें और उर्दू और धार्मिक इस्लामिक तालीम दी गई. 1975 में उन्हें 23 साल की उम्र में बॉर्डर पार करा पाकिस्तान भेज दिया गया. रविंद्र पाकिस्तान में नबी अहमद शाकिर के नाम से रहने लगे. कराची यूनिवर्सिटी से LLB की डिग्री हासिल की और पाकिस्तानी आर्मी में भर्ती हो गए. अगले कुछ सालों में प्रमोशन पाकर वो मेजर के रैंक तक पहुंच गए. इंडिया का एक जासूस, जो पाकिस्तानी सेना में मेजर की रैंकिग तक पहुंच गया. सुनने में ही ये बात कितनी थ्रिलिंग लग रही है.
रविंद्र ने वहां काम करते हुए भारत को कई ज़रूरी इंटेल दिए, जिससे हज़ारों लोगों की जान बचाई जा सकी. मगर 1983 में उनकी सच्चाई सामने आ गई. उन्हें गिरफ्तार कर लंबे अरसे तक टॉर्चर किया गया. 1985 में पाकिस्तानी कोर्ट ने उन्हें सज़ा-ए-मौत दे दी. मगर पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने इस सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया. 16 साल पाकिस्तान के अलग-अलग हाई सिक्योरिटी जेल में गुज़ारने के बाद 2001 में रविंद्र की डेथ हो गई.