मौत की गंध. मानो गन्ने की तरह मीठी, मगर ताड़ से बनी शराब की तरह सड़ी हुई.एक देश, जहां बच्चों को आतंकी बनाया जा रहा है इस फ़िल्म का नाम था- बीस्ट्स ऑफ नो नेशन. 2015 में बनी ये फ़िल्म यूजोदिनमा इवेअला के लिखे इसी नाम के एक उपन्यास पर आधारित थी. यूजोदिनमा जिस देश के रहने वाले हैं, वही देश हमारे आज के एपिसोड का प्लॉट है. जहां आगू जैसे हज़ारों बच्चे जिहादी बना दिए जा रहे हैं. आप यक़ीन नहीं करेंगे, मगर वहां चार-पांच साल के बच्चों को अगवा करके उन्हें जिहाद के लिए तैयार किया जा रहा है. पांच साल के बच्चे असॉल्ट रायफ़ल चलाना सीख रहे हैं.

बीस्ट्स ऑफ नो नेशन फ़िल्म का एक दृश्य (स्क्रीनशॉट: यूट्यूब)
बोको हराम: एक हफ़्ते में तीन आतंकी हमले जिस देश की ये आपबीती है, उसका नाम है- नाइजीरिया. पश्चिमी अफ्रीका में बसा घने जंगलों और कच्चे तेल के भंडार वाला एक देश. ये देश दुनिया के सबसे क्रूर आतंकवादी संगठनों में से एक 'बोको हराम ' का गढ़ है. यूं तो 'बोको हराम ' की कहानी 18 साल पुरानी है. मगर इसका हालिया ज़िक्र 13 जून को हुए दो आतंकी हमलों से जुड़ा है. क्या हुआ 13 जून को? इस दिन 'इस्लामिक स्टेट इन वेस्ट अफ्रीका' नाम के एक आतंकी संगठन ने नाइजीरिया के उत्तरपूर्वी हिस्से में स्थित बोरनो स्टेट में दो हमले किए. इन हमलों में 60 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हुए. ये 'इस्लामिक स्टेट इन वेस्ट अफ्रीका' बोको हराम का ही एक धड़ा है. अभी पिछले हफ़्ते ही इसने नाइजीरिया के एक गुबियो नाम के गांव पर भी हमला किया था. उस हमले में कम-से-कम 69 लोग मारे गए थे. इन्हीं हमलों के संदर्भ में आज हम आपको बता रहे हैं बोको हराम की प्रोफाइल. ये कौन लोग हैं, क्या करते हैं, कितनी ताकत है इनकी, क्या चाहते हैं ये, कौन करता है इनकी मदद, ऐसे तमाम सवालों का जवाब देंगे हम आपको.

लाल घेरे में नाइजीरिया (फोटो: गूगल मैप्स)
ब्रिंग बैक आवर गर्ल्स ये बात है 2014 की. तारीख़ थी, 14 अप्रैल. रात का समय था. नाइजीरिया के चिबूक गांव स्थित एक गर्ल्स हॉस्टल में ज़्यादातर लड़कियां सोई हुई थीं कि एकाएक आतंकियों ने यहां हमला कर दिया. बंदूक की नोंक पर करीब 300 लड़कियां ट्रकों में ठूंस दी गईं. पता चला कि 'बोको हराम ' नाम के एक आतंकी संगठन ने स्कूली बच्चियों को किडनैप कर लिया है. वो इन बच्चियों के बदले अपने साथियों की रिहाई चाहते हैं. जब इस वारदात की ख़बर नाइजीरिया के बाहर पहुंची, तो लोग सन्न रह गए. दुनिया में हैशटैग ब्रिंग बैक आवर गर्ल्स की अपील चल निकली. अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, भारत, हर कहीं ये अपील वायरल हो गई. नाइजीरिया में हिंसा और संघर्ष का बहुत लंबा अतीत रहा है. मगर ये घटना उन गिने-चुने मौकों में से एक थी, जब बाहर की दुनिया ने इस तरह नाइजीरिया को नोटिस किया. ये उन इक्का-दुक्का मौकों में से था, जब बाहर की दुनिया ने नाइजीरिया के साथ सॉलिडेरिटी दिखाई. 2014 की इस घटना ने भले 'बोको हराम ' को ग्लोबल पहचान दिलाई हो, मगर वो नया पैदा हुआ संगठन नहीं था.

बोको हरम के आतंकी (फोटो: एएफपी)
कब हुई थी इसकी शुरुआत? ये अध्याय जुड़ा है नाइजीरिया के एक इस्लामिक धर्मगुरु से. जिसका नाम था- मुहम्मद यूसुफ. वो इस्लाम के सबसे कट्टर धड़े- सलफ़ी विंग को मानता था. क्या है ये सलफ़ी विंग? मुस्लिमों का ये धड़ा मानता है कि दुनियाभर के मुसलमान सच्चे इस्लाम से भटक गए हैं. पश्चिमी प्रभाव ने उनको दूषित कर दिया है. ऐसे में ज़रूरत है कि इस्लाम की सफ़ाई की जाए. उसे उसके तथाकथित सच्चे स्वरूप में वापस ले जाया जाए.
बोको हराम माने क्या? इसी आइडिया के साथ 2002 में युसूफ ने नींव रखी एक संगठन की. नाम- जमातु अहलिस सुन्ना लिद्दाअवाती वल-जिहाद. अरबी भाषा में रखे गए इस संगठन के नाम का मतलब था- पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं और जिहाद के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित लोग. इसी संगठन का छोटा और ज़्यादा प्रचलित नाम है- बोको हराम . 'बोको हराम ' का मतलब होता है- पश्चिमी शिक्षा वर्जित है, हराम है.
बिफ़ोर 2009 इस आतंकी संगठन ने अपना पहला हमला किया एक साल बाद- 24 दिसंबर, 2003 को. 2004 आते-आते बोको हराम और कुख़्यात होने लगा. पता चला कि बोरनो और योबे स्टेट के सैकड़ों स्कूली बच्चे पढ़ाई-लिखाई छोड़कर बोको हराम जॉइन कर रहे हैं. इन रिक्रूट्स के सहारे 2003 से 2008 तक बोको हराम छिटपुट हमले करता. पुलिसवालों से हथियार लूटता. उनका ये स्टाइल बदला 2010 में. और स्टाइल बदलने का ज़रिया बनीं 2009 में हुई कुछ घटनाएं.

आतंकी संगठन बोको हरम के जन्मदाता मुहम्मद यूसुफ (फोटो: एएफपी)
क्या हुआ था 2009 में? हुआ ये कि 10 जून, 2009 को बोको हराम के किसी सदस्य की मैयत निकली. इसमें कई लोग बिना हेलमेट लगाए मोटरसाइकिल से चल रहे थे. पुलिस ने सख़्ती दिखाई. बोको हराम के सदस्यों और पुलिस के बीच ख़ूब झड़प हुई. पुलिस ने गोलीबारी भी की. इस घटना का बदला लेने के लिए 26 जुलाई, 2009 को बोको हराम ने एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया. इसके बाद कई जगहों पर हमले हुए. ख़ूब हिंसा हुई. जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने बोको हराम के कई ठिकानों पर छापेमारी की. 30 जुलाई को ऐसी ही एक छापेमारी में मुहम्मद यूसुफ पकड़ा गया. पुलिस ने कुछ देर तक हिरासत में रखकर उससे पूछताछ की और फिर उसे गोली मार दी. पुलिस का कहना था कि भागने की कोशिश करते हुए यूसुफ मारा गया. पुलिस अक्सर एनकाउंटर करने के बाद इसी तरीके की दलीलें देती हैं. यूसुफ को मारने के बाद उसके संगठन के 800 से भी ज़्यादा लोगों को मारा पुलिस ने. सैकड़ों लोग गिरफ़्तार भी किए गए. इसके बाद कुछ महीनों तक बोको हराम की गतिविधियां शांत रहीं. उसके बचे हुए सदस्य अंडरग्राउंड हो गए. और फिर जब वो लौटे, तो पहले से ज़्यादा हिंसक, ज़्यादा ख़तरनाक होकर लौटे.
आफ़्टर 2009: ज़्यादा कट्टर, ज़्यादा हिंसक, ज़्यादा क्रूर यूसुफ के मारे जाने के बाद इस संगठन की कमान संभाली उसके टॉप-डेप्युटी अबूबकर शिकाऊ ने. शिकाऊ यूसुफ से भी ज़्यादा कट्टर और क्रूर था. बमबारी, टारगेटेड हत्याएं, चलती गाड़ियों से गोलियां चलाते हुए लोगों को मारना, फिदायीन हमले, लोगों को लाइन से खड़ा करके उनका गला काटना, ये सब बोको हराम के लिए रेगुलर हो गया. ये हिंसा केवल सरकारी लोगों तक सीमित नहीं रही. बोको हराम आम मुसलमानों और विदेशी संगठनों को भी निशाना बनाने लगा. उसके इस बदले स्टाइल की पहली बड़ी धमक मिली 26 अगस्त, 2011 को. इस दिन बोको हराम का एक फिदायीन हमलावर विस्फोटकों से भरी एक गाड़ी लेकर नाइजीरिया की राजधानी अबुजा स्थित संयुक्त राष्ट्र के कंपाउंड में घुस गया. इस धमाके में करीब 23 लोग मारे गए और 80 से भी ज़्यादा लोग घायल हुए. UN के इतिहास की सबसे बड़ी वारदातों में से थी ये घटना. इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए बोको हराम ने कहा-
पूरी दुनिया की बुराइयों का एक मंच है UN. उसपर हमला करके हमने अमेरिका और उसके जैसे बाकी काफ़िरों को संदेसा भेजा है.

2011 में संयुक्त राष्ट्र के कैंपस में बोको हरम ने आतंकी घटना को अंजाम दिया. इस धमाके में करीब 23 लोग मारे गए और 80 से भी ज़्यादा लोग घायल हुए थे. (फोटो: एएफपी)
किससे मिल रही थी मदद? अब इस बात की पड़ताल शुरू हुई कि बोको हराम को मदद किससे मिल रही है? पता चला कि इस्लामिक स्टेट इसके आतंकियों को ट्रेनिंग दे रहा है. ये भी पता चला कि सोमालिया स्थित आतंकी संगठन अल-शबाब के भी तार जुड़े हैं बोको हराम के साथ. दिसंबर 2011 में अमेरिका के हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव्स में पेश हुए होमलैंड सिक्यॉरिटी की एक रिपोर्ट ने बोको हराम को अमेरिका के लिए ख़तरा बताया. इस रिपोर्ट के रेकमेंडेशन्स की एक लाइन यूं थी-
अमेरिका पर हमला करने के बोको हराम के इरादों और उसकी क्षमता को कतई कम करके नहीं आंका जाना चाहिए.2015 की शुरुआत में बोको हराम ने इस्लामिक स्टेट से हाथ मिला लिया. इस वक़्त तक नाइजीरिया के अलावा चाड रिपब्लिक और कैमेरून तक फैल चुका था ये संगठन. ये लोग आम मुसलमानों को भी निशाना बनाने लगे. इनका अजेंडा था कि मुसलमान हो कि ग़ैर-मुसलमान, जो अपनी बात नहीं मानता वो हमारा दुश्मन है. शिकाऊ और उसके लोग स्कूली बच्चियों को अगवा करते. बच्चों और महिलाओं का गला काटकर उसका विडियो इंटरनेट पर डालते.
इतना क्रूर था शिकाऊ कि ISIS को भी अख़रने लगा अबू-बकर शिकाऊ के तौर-तरीके इतने क्रूर थे कि ISIS जैसे जघन्य संगठन को भी वो अखरने लगा. ISIS ने शिकाऊ का तख़्तापलट कर दिया. शिकाऊ की जगह यूसुफ के बेटे अबू मुसाब अल-बरनवी को बोको हराम का नया कमांडर बनाया ISIS ने. मगर शिकाऊ ने बरनवी को अपना लीडर मानने से इनकार कर दिया. नतीजा ये हुआ कि बोको हराम में दो फाड़ हो गए. एक हिस्सा, जिसका लीडर था शिकाऊ. और दूसरा धड़ा, जिसका सरगना था बरनवी. बरनवी वाले गुट ने अपना नाम रख लिया- अंसारु. ये दोनों अमेरिका के मोस्ट-वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल थे. 2016 में बरनवी गिरफ़्तार कर लिया गया. मगर शिकाऊ अब भी आज़ाद है. कई बार उसके मारे जाने की ख़बर आई. मगर हर बार वो अपने ज़िंदा होने की मुनादी करने के लिए किसी विडियो में फिर से प्रकट हो जाता है.

यूसुफ के मारे जाने के बाद संगठन की कमान अबूबकर शिकाऊ ने संभाली. (फोटो: एएफपी)
कितना क्रूर है ये शिकाऊ? क्यों वो दुनिया के सबसे वीभत्स आतंकियों में गिना जाता है? इसके जवाब में हम आपको कुछ न्यूज़ रिपोर्ट्स के हिस्से सुनाते हैं.
12 अगस्त, 2016 को छपी वॉल स्ट्रीट जरनल की एक रिपोर्ट में 16 नाइजीरियाई लड़कों की आपबीती छपी थी. ये 16 लड़के बोको हराम के चंगुल से भाग निकले थे. इनमें से एक इदरिस नाम के लड़के ने बताया-
मुझे बोको हराम ने किडनैप कर लिया था. वो हमें हथियार चलाना सिखाते थे. हम इनकार करते, तो हमें मार दिया जाता. पांच-पांच साल के बच्चों से असॉल्ट रायफल चलवाई जाती थी. हमें जिहाद के लिए तैयार किया जाता था. हमें नशीली चीजें खिलाई जातीं और कई बार तो निहत्थे ही लड़ने के लिए भेज दिया जाता. वो हमसे कहते कि हत्या करो. कहते कि ज़रूरत पड़े, तो अपने मां-बाप का भी गला काट दो. अगर जन्नत जाना है, तो यही सब करना पड़ेगा.

न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट. (फोटो: न्यू यॉर्क टाइम्स)
अक्टूबर 2015 में छपी न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में बोको हराम की कैद से भाग आई 15 लड़कियों की कहानी छपी. बोको हराम ने इन लड़कियों के शरीर में विस्फोटकर बांधकर उन्हें एक सूइसाइड मिशन पर भेजा था. मगर ये लड़कियां किसी तरह जान बचाकर भाग निकलीं. इनमें से एक 13 साल की लड़की ने अपनी आपबीती कुछ यूं सुनाई-
उन्होंने मुझे दो विकल्प दिए. कहा, या तो हमारे साथ सेक्स करो. या फिर मिशन पर जाओ. मैं नहीं चाहती थी कि मेरी वजह से किसी की जान जाए. मगर मेरे पास कोई रास्ता नहीं था. वो विस्फोटकों से लैस एक बेल्ट लाए और उसे मेरी कमर से बांध दिया. फिर मुझसे कहा कि टारगेट के पास पहुंचकर बटन दबाना होगा. मैंने नहीं सोचा था कि मैं बचूंगी. मुझे लगा, मेरे पास कुछ ही मिनट बचे हैं.सैकड़ों बच्चों को आतंकी बना चुका है ये रिपोर्ट्स बोको हराम की क्रूरताओं की चंद मिसालें है. 2010 से अब तक ये संगठन हज़ारों बच्चों को जिहादी बना चुका है. सैकड़ों लड़कियों और महिलाओं को किडनैप करके उनसे फिदायीन अटैक करवा चुका है. यूनिसेफ के मुताबिक, अकेले 2017 में ही 100 से भी ज़्यादा ऐसे फिदायीन अटैक करवाए बोको हराम ने, जिन्हें अंजाम देने वाले 15 साल से कम उम्र के बच्चे थे. इनमें से ज़्यादातर छोटी बच्चियां थीं. 2017 में एक वाकया तो ऐसा हुआ, जब एक छोटी बच्ची के पीठ पर एक-दो साल का एक बच्चा बंधा था. और उस नन्हे बच्चे समेत उस बच्ची ने ख़ुद को उड़ा लिया.

बोको हरम के आतंकी लगातार हमले करते रहते हैं (फोटो: एएफपी)
नाइजीरियाई सेना पर भी है इल्ज़ाम ऐसी-ऐसी मार्मिक कहानियां हैं बच्चों की कि आप शायद सुनने की हिम्मत न जुटा सकें. ख़ुद को सच्चे इस्लाम का सिपाही कहने वाले ये गलीच लोग पांच-छह साल की बच्चियों तक से बलात्कार करते हैं. कई-कई बार उनका रेप करके फिर उन्हें सुइसाइड मिशन पर भेज देते हैं. कुछ ही बच्चियां लौटकर आ पाती हैं. उनमें से भी सबकी किस्मत अच्छी नहीं होती कि उन्हें अपना लिया जाए. कइयों का हश्र 14 साल की फलमाता जैसा भी होता है.
क्या हुआ था फलमाता के साथ? छठी में पढ़ने वाली फलमाता को एक दिन बोको हराम ने किडनैप कर लिया. फिर तीन साल तक बोको हराम के लोग उसका बलात्कार करते रहे. एक दिन फलमाता को मौका मिला और वो भाग आई. उसने युद्ध पीड़ितों के लिए बने एक सरकारी कैंप में शरण ली. यहां भी एक रात कई सैनिकों ने मिलकर उसके साथ गैंगरेप किया. ऐमनेस्टी इंटरनैशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई ऐसे वाकये हैं जब बोको हराम के चंगुल से भागकर आई लड़कियों का नाइजीरियाई सेना के लोगों ने रेप किया. ये सैनिक सेक्स की शर्त पर लड़कियों को खाना देते. सेना पर और भी कई तरह के आरोप लगते हैं. मसलन ये कि बोको हराम पर कार्रवाई करने के नाम पर सेना गांव के गांव जला देती है. सेना और आतंकियों के बीच में निर्दोष नागरिक भी पिस जाते हैं. एक तरफ जहां बोको हराम उन्हें प्रजा बताकर उनसे टैक्स लेता है. सेना से मुख़बिरी करने के आरोप में उनकी हत्या करता है. वहीं सरकारी पक्ष बोको हराम के साथ मिले होने के शक़ में उन्हें निशाना बनाता है.
पिछले 10 सालों में बोको हराम 35 हज़ार से भी ज़्यादा हत्याएं कर चुका है. 20 लाख से भी ज़्यादा नाइजीरियाई नागरिक अपना घर छोड़ चुके हैं. नाइजीरिया की सरकार की लाख कोशिशों और दावों के बावजूद ये संगठन अब तक नहीं हराया जा सका है. बल्कि सरकार और बोको हराम की इस लड़ाई में आतंकियों के पास बेहतर संसाधन और उन्नत हथियार हैं. इतनी लंबी लड़ाई में जहां सैनिकों का मनोबल गिरता जा रहा है, वहीं हफ़्तेभर में तीन बड़े आतंकी हमले करने वाला बोको हराम और ख़ूनी होता जा रहा है. ये लड़ाई जीतना अकेले नाइजीरिया सरकार के बस की बात नहीं लगती.
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