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आर्यन खान की वेब सीरीज में रणबीर कपूर के ई-सिगरेट सीन पर हंगामा, कानून क्या कहता है?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने बताया कि लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी नाम के एक संगठन से रणबीर कपूर के खिलाफ एक शिकायत मिली थी.

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इस सीन के लिए रणबीर को मानवाधिकार आयोग का नोटिस मिल गया है (India Today)

आर्यन खान की वेब सीरीज ‘बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ (The Ba***ds of Bollywood) का एक सीन है. अन्या सिंह की किरदार सान्या और करण जौहर धर्मा प्रोडक्शंस के दफ्तर में बैठे हैं. तभी वहां रणबीर कपूर की एंट्री होती है. रणबीर कुछ बात करते हुए अन्या सिंह की ओर हाथ बढ़ाते हैं. जब अन्या भी हाथ आगे करती हैं तो रणबीर उनसे ‘वेप’ मांगते हैं. अन्या उन्हें एक डिवाइस थमाती हैं. थोड़ी देर बाद वह उसे मुंह से लगाकर धुआं उड़ाते दिखते हैं. वेब सीरीज के इस सीन में पहली नजर में कुछ ‘विवादित’ नहीं लगता. ये कोई नॉर्मल स्मोकिंग का सीन लगता है. लेकिन हल्ला तब मचता है जब इसी सीन के लिए रणबीर कपूर को मानवाधिकार आयोग से नोटिस मिल जाता है.

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क्यों मिला नोटिस?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने बताया कि लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी नाम के एक संगठन से रणबीर कपूर के खिलाफ एक शिकायत मिली थी. शिकायतकर्ता का कहना था कि नेटफ्लिक्स पर 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' नाम की सीरीज में रणबीर कपूर बिना किसी चेतावनी या अस्वीकरण के स्क्रीन पर प्रतिबंधित ई-सिगरेट का प्रयोग कर रहे हैं. ये न सिर्फ युवा दर्शकों को गुमराह करना है बल्कि इस सीन से उन पर बुरा असर पड़ेगा. 

मानवाधिकार आयोग ने मामले को तुरंत संज्ञान में लिया और मुंबई पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर कानूनी कार्रवाई करने को कहा.

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अब सवाल ये है कि फिल्मों में तो धूम्रपान के कितने सीन होते हैं. फिर इस खास सीन से क्या दिक्कत हो गई? ई-सिगरेट पीने पर बवाल क्यों मच गया? क्या इसके लिए कानून अलग होते हैं? 

इस सवाल का जवाब है- हां. भारत में ई सिगरेट के लिए कानून अलग हैं. यहां इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. उसे बनाने और बेचने से लेकर प्रचार-प्रसार तक. सब कुछ बैन.

चलिए, आज इसके बारे में विस्तार से जान लेते हैं कि कानून क्या है? ये भी जानेंगे कि ई-सिगरेट क्या होती है? इसके नुकसान क्या हैं? इसे लेकर देश में पहले नियम क्या थे? और इस नए अध्यादेश में क्या कहा गया है?

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ई-सिगरेट क्या है?

ई-सिगरेट (Electronic cigarettes) बैटरी से चलने वाली एक डिवाइस है. इसमें कोई ‘चीज’ गर्म करके स्मोक बनाया जाता है, जिसे लोग खींचते हैं. ये 'चीज' निकोटिन भी हो सकता है और नहीं भी. हालांकि, आम सिगरेट की तरह ई-सिगरेट को पीने के लिए इसे जलाने की जरूरत नहीं होती. कश लेने पर इसके दूसरी ओर एलईडी बल्ब जलने लगता है. इसके बाद डिवाइस में जो लिक्विड भरा गया होता है, वो कश लेने पर भाप में बदलता है. इसी भाप को लोग अंदर खींचते हैं.

इसकी पूरी बनावट ऐसी होती हैः

– इसमें एक सिरे पर कार्ट्रिज होती है, जिसमें छोटा सा प्लास्टिक का कप होता है. इसमें फोम जैसा कुछ होता है, जो किसी चीज को सोख सकता हो.

– डिवाइस में एटमाइजर (Atomizer) नाम की चीज होती है, जो लिक्विड को गर्म करती है. इससे निकोटिन भाप में बदलता है और लोग कश लेकर इसे ही अंदर खींचते हैं.

– इसमें एक बैटरी भी लगी होती है, जो एटमाइजर को पावर देती है.

– कोई भी व्यक्ति जब कश लेता है तो हीटिंग एलिमेंट लिक्विड सॉल्यूशन को भाप में बदलता है, जिसमें निकोटिन मिला होता है. इसे ही वेप करना कहते हैं.

ई-सिगरेट्स के अलग-अलग फ्लेवर भी मिलते हैं. जैसे- पुदीना, आम, तरबूज और खीरा. ये दिखने में तो आम सिगरेट, सिगार या हुक्के जैसी लगती हैं लेकिन कुछ पेन या यूएसबी जैसी चीजों के रूप में भी बनाई जाती हैं.

सामान्य सिगरेट्स की तरह इनमें तम्बाकू नहीं होता, इसलिए ये भारत के सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 के तहत नहीं आतीं. इस कानून के तहत तम्बाकू वाली सिगरेट और प्रोडक्ट्स की बिक्री, उत्पादन और विज्ञापन को कंट्रोल किया जाता है.

भारत सरकार ने लगाया बैन

सितंबर 2019 में भारत सरकार ने अध्यादेश लाकर ई सिगरेट पर पूरी तरह से बैन लगा दिया. इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अध्यादेश- 2019 में कहा गया 

भारत में ई-सिगरेट और इस तरह के किसी भी डिवाइस का इस्तेमाल प्रतिबंधित होगा. सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों, पुलिस अधिकारियों और केंद्र सरकार के मंत्रालयों-विभागों को इस पर जरूरी कदम उठाना होगा. 

अध्यादेश में और क्या-क्या है?

इस नए अध्यादेश में ई-सिगरेट्स बनाने, उसके इंपोर्ट-एक्सपोर्ट, ट्रांसपोर्टेशन, बिक्री और विज्ञापन सब पर रोक लगा दी गई है.

अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो उसे एक साल तक जेल या 1 लाख रुपये जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.

अगर वही गलती दोबारा करता है तो 3 साल तक जेल और 5 लाख रुपये जुर्माना हो सकता है.

ई-सिगरेट्स स्टोर करने पर 6 महीने तक जेल या 50 हजार रुपये जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.

18 सितंबर 2019 से ये अध्यादेश लागू है.

अध्यादेश लागू होने के बाद सरकार ने आदेश दिया था कि जिन लोगों के पास ई-सिगरेट्स का स्टॉक है, वह उसे नजदीकी पुलिस स्टेशन या सरकार के बताए ऑफिस में जमा कर दें.

पहले क्या नियम थे?

सितंबर 2019 से पहले भारत में ई सिगरेट बैन तो नहीं था लेकिन केंद्र सरकार ने राज्यों से आग्रह किया था कि वह इसकी बिक्री और विज्ञापन पर रोक लगाएं. सरकार की इस सलाह के बाद दिल्ली, महाराष्ट्र, यूपी समेत 15 राज्यों ने अपने यहां ई सिगरेट पर बैन लगा दिया था. 

नुकसान क्या क्या हैं?

ई-सिगरेट में निकोटिन सबसे ज्यादा हानिकारक होता है. यह नशे की लत की सबसे बड़ी वजह है. इसकी वजह से दिमाग पर बुरा असर पड़ता है. खासतौर पर याद रखने और किसी चीज पर फोकस करने की क्षमता प्रभावित होती है. निकोटिन हार्ट बीट और ब्लड प्रेशर बढ़ा देता है, जिससे दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा इसमें जो फ्लेवर मिलाए जाते हैं, वह शरीर में ब्लड फ्लो को प्रभावित करते हैं. ये चीज भी दिल पर घातक असर डालती है.

ई-सिगरेट में फ्लेवेरिंग के लिए महकने वाले केमिकल्स भरे होते हैं. ये जब गर्म होते हैं तो कश खींचने पर सांस के साथ फेफड़ों में प्रवेश करते हैं. इससे फेफड़ों के कैंसर की आशंका बढ़ सकती है.

गर्भवती महिलाओं के लिए ई-सिगरेट ज्यादा ही खतरनाक है. इसके भाप से गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा असर पड़ता है. छोटे बच्चों के आस-पास ई सिगरेट पीना भी ठीक नहीं होता क्योंकि ये बच्चों के दिमाग के विकास पर असर डाल सकते हैं.

दूसरे देशों में क्या हैं नियम

दरअसल, भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (FCTC) का हिस्सा है. WHO ने 2014 में सभी देशों से कहा था कि या तो ई-सिगरेट्स को पूरी तरह बैन करो या उन पर सख्त नियम बनाओ. इसके बाद कई देशों जैसे ब्राजील, मैक्सिको, सिंगापुर और थाईलैंड ने ई-सिगरेट्स की बिक्री और उत्पादन पर रोक लगा दी. अमेरिका के न्यूयॉर्क और मिशिगन समेत कुछ राज्यों ने फ्लेवर्ड ई-सिगरेट्स बेचने पर रोक लगाई है. ब्रिटेन में ई-सिगरेट्स की बिक्री और उत्पादन की इजाजत है, लेकिन शर्तों के साथ. जैसे इसमें निकोटिन की मात्रा कंट्रोल में रहेगी और इसका प्रचार प्रसार नहीं करना है.

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