अल जज़ीरा
की एक रिपोर्ट कहती है कि ये धुआं तब उठना शुरू हुआ, जब वो 15 अप्रैल को अपने दादा और नॉर्थ कोरिया के फाउंडिंग फादर किम इल-संग के जन्मदिन पर नहीं दिखे. कहा गया कि हार्ट सर्जरी हुई है. अमेरिकी मीडिया ने कि हम घटनाक्रम पर नज़र बनाए हुए हैं. लेकिन इन दावों को नॉर्थ कोरिया की तरफ से ख़ारिज कर दिया गया. स्टेट न्यूज़ एजेंसी KCNA ने कहा कि 11 अप्रैल को किम ने कोरोना वायरस को लेकर एक बैठक की अध्यक्षता की थी. पड़ोसी देश साउथ कोरिया ने कहा कि ये अटकलें हैं. फिलहाल चीज़ें साफ नहीं हैं लेकिन इस उठापटक में एक सवाल ने जगह बना ली. किम जोंग के बाद कौन?

मैप पर नॉर्थ कोरिया की लोकेशन. फोटो: गूगल मैप्स
बड़े बेटे को आगे करने की परंपरा
नॉर्थ कोरिया में किम जोंग-उन तीसरी पीढ़ी के शासक हैं. नॉर्थ कोरिया बनने के बाद एक ही वंश का शासन रहा है. आलोचक इसे 'फैमिली बिजनेस' कहते हैं. पहले शासक थे किम जोंग के दादा, किम इल-संग. फिर आए उनके बेटे किम जोंग-इल. मतलब किम जोंग के पिता. वहां बड़े बेटे को उत्तराधिकार में आगे करने की परंपरा है लेकिन किम के पिता ने पहली पत्नी के बेटे किम जोंग-नाम को सत्ता नहीं दी. उसे अयोग्य माना. दूसरी पत्नी से बड़े बेटे किम जोंग-चुल की राजनीति में रुचि नहीं थी. ऐसे में पिता ने छोटे बेटे और किम जोंग-चुल के सगे भाई किम जोंग-उन को बतौर उत्तराधिकारी तैयार किया. जब 2011 में किम जोंग के पिता गुज़रे, तो सत्ता उनके पास आ गई.

किम जोंग-उन के पिता किम जोंग-इल नॉर्थ कोरिया के दूसरे शासक थे. फोटो: विकीमीडिया
लेकिन...
परंपरा के हिसाब से किम के ही किसी बेटे को सत्ता मिलनी चाहिए. मगर मसला ये है कि किम के तीनों बच्चे अभी छोटे हैं. सबसे बड़ा बच्चा 10 साल का है. ऐसे में वयस्क होने से पहले उनको सत्ता देने से नॉर्थ कोरिया में अस्थिरता हो सकती है. सत्ता हाथ से फिसल भी सकती है. नॉर्थ कोरिया की गद्दी ये कभी नहीं चाहेगी. एक मज़बूत विकल्प बचता है, किम का बड़ा भाई, किम जोंग-चुल. लेकिन ऊपर बताया कि उनकी राजनीति में रुचि नहीं है. लोगों के सामने भी कम आते हैं. 2011 में अपने पिता की अंतिम यात्रा में भी नहीं पहुंचे.
तो एक नाम तेजी से फैला:
किम यो-जॉन्ग
किम यो-जॉन्ग, किम जोंग-उन की छोटी बहन हैं. उम्र में उनसे चार साल छोटी. सरकार में अच्छा खासा दखल रखती हैं और 'नंबर दो' हैं. किम की सेक्रेटैरियल असिस्टैंट हैं. इसी साल अप्रैल में उन्हें शक्तिशाली पोलितब्यूरो में फिर से शामिल किया गया है. माना जाता है कि किम जोंग-उन के तमाम फैसलों के पीछे उनकी बहन यो-जॉन्ग ही होती हैं. यो-जॉन्ग काफी लो प्रोफाइल रहती हैं. उनकी सूचनाएं बहुत अंडरकवर रखी जाती हैं लेकिन पिछले कुछ समय से यो-जॉन्ग काफी फ्रंटफुट पर खेलने लगी हैं. घरेलू पॉलिटिक्स, मिलिट्री से लेकर डिप्लोमेसी तक. यो-जॉन्ग के पास एक वाइस मिनिस्टर का पद है लेकिन पोर्टफोलियो के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं मिलती.

किम जोंग काफी समय से यो-जॉन्ग पर भरोसा दिखा रहे हैं. फोटो: Reuters
जब उनकी तरफ कैमरे घूमने शुरू हुए
किम यो-जॉन्ग की पैदाइश 26 सितंबर, 1988 है. भाई-बहन के बीच शुरू से ही अच्छा तालमेल है. 1996 से 2000 के बीच दोनों की प्राइमरी वाली पढ़ाई स्विट्ज़रलैंड में हुई. फुल सिक्योरिटी के साथ. 2001 में यो-जॉन्ग नॉर्थ कोरिया लौटीं. इसके बाद रिपोर्ट बताती हैं कि उन्होंने किम इल-संग यूनिवर्सिटी से उन्होंने 2007 में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई खत्म की. कहते हैं कि 2009 से वो पार्टी में सक्रिय हुईं. पिता किम जोंग-इल के साथ कई बार देखी गईं. लेकिन उनकी पहली सार्वजनिक तस्वीर सितंबर, 2010 में वर्कर्स पार्टी की एक कॉन्फ्रेंस में ली गई. चार्टर में बदलाव के लिए ये कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी. यो-जॉन्ग अपने पिता की पर्सनल सेक्रेटरी किम ओक के बगल खड़ी थीं. इसके बाद बीच-बीच में यो-जॉन्ग की झलकी मिलती रही. सबसे ज़्यादा उनकी चर्चा तब हुई जब दिसंबर, 2011 में वो पिता किम जोंग-इल के अंतिम संस्कार में शामिल हुईं. इस प्रक्रिया के दौरान पार्टी के कई नेताओं को उन्होंने लीड किया. पिता की मौत के बाद यो-जॉन्ग का कद तेजी से पार्टी और सरकार में बढ़ा.

पिता किम जोंग-इल के अंतिम संस्कार की तस्वीरें टीवी पर चलीं. इसमें वो किम जोंग-उन के बगल दिख रही हैं. फोटो: Korea News/Youtube
और तेजी से बढ़े कदम
रिपोर्ट आई कि 2012 की शुरुआत में उन्हें नेशनल डिफेंस कमीशन में किम जोंग-उन की 'टूर मैनेजर' की पोजीशन दी गई. पहले ये संस्था नॉर्थ कोरिया मिलिट्री और डिफेंस लीडरशिप की सबसे बड़ी संस्था थी. 2016 में इसे स्टेट अफेयर्स कमीशन से रिप्लेस कर दिया गया. नवंबर, 2012 में वो किम जोंग के साथ कोरियन सेंट्रल टेलीविजन में मिलिट्री राइडिंग ग्राउंड में घुड़सवारी करती दिखीं. इसके बाद 9 मार्च, 2014 को नॉर्थ कोरिया की संसद सुप्रीम पीपल्स असेंबली के चुनाव में भाई के साथ नज़र आईं. तब पहली बार वर्कर्स पार्टी के अख़बार 'रोदोंग सिनमुन' में उन्हें आधिकारिक रूप से वर्कर्स पार्टी सेंट्रल कमिटी की 'वरिष्ठ अधिकारी' कहा. 2014 में जब किम जोंग बीमार हुए और उनका इलाज चल रहा था तब कहा गया कि यो-जॉन्ग ने ही सारी जिम्मेदारी संभाली.

किम यो-जॉन्ग अधिकतर चुप रहती हैं लेकिन मार्च महीने में उन्होंने साउथ कोरिया को लेकर तीखी बातें कही थीं. फोटो: AP
भाई की इमेज मेकिंग के पीछे उनका दिमाग
नवंबर, 2014 में यो-जॉन्ग वर्कर्स पार्टी के प्रोपैगैंडा एंड एजीटेशन डिपार्टमेंट (PAD) की वाइस डायरेक्टर बनीं. जुलाई 2015 तक उन्होंने डिपार्टमेंट में मजबूत पकड़ बना ली. यहां तक कि डायरेक्टर किम कि-नाम नाममात्र के डायरेक्टर रह गए. भाई की कल्ट पर्सनैलिटी और इमेज मेकिंग के पीछे यो-जॉन्ग का ही हाथ है. 2017 में नॉर्थ कोरिया के पूर्व डिप्लोमैट थाई यॉन्ग-हो ने कहा कि नॉर्थ कोरिया में बड़े पब्लिक इवेंट्स का आयोजन यो-जॉन्ग ने ही करवाया. उन्होंने किम जोंग की छवि 'लोगों के नेता' के तौर पर पेश की. 2017 में यो-जॉन्ग को देश के सबसे शक्तिशाली पोलितब्यूरो का ऑल्टरनेट सदस्य बनाया गया. देश के बड़े फैसले लेने वाले पोलितब्यूरो में वो जगह बनाने वाली वो दूसरी महिला हैं.

अप्रैल, 2018 में पीस हाउस में एक मीटिंग के दौरान यो-जॉन्ग. फोटो: विकीमीडिया
डिप्लोमेसी में भी आगे
पिछले कुछ समय से डिप्लोमेसी के मोर्चे पर वो आगे आई हैं. 9 फरवरी, 2018 को यो-जॉन्ग साउथ कोरिया के प्योंगचांग में विंटर ओलंपिक्स की ओपनिंग सेरेमनी में शामिल हुईं. 1950 को कोरियन वॉर के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि नॉर्थ कोरिया में सत्ताधारी किम परिवार का कोई सदस्य साउथ कोरिया गया हो. यहा वो साउथ कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई-इन से मिलीं. उन्होंन कहा कि उन्हें किम जोंग की विशेष राजदूत के तौर पर भेजा गया है और उन्होंने किम जोंग की चिट्ठी मून जेई को दी. इसके बाद वो किम के साथ कई बड़े मौकों पर दिखीं. जैसे 2018 की नॉर्थ कोरिया-यूनाइटेड स्टेट्स सिंगापुर समिट और 2019 की नॉर्थ कोरिया-यूनाइटेड स्टेट्स हनोई समिट. डिप्लोमैटिक मामलों में उनकी पैठ जारी है लेकिन पिछले साल उन्हें एक झटका भी लगा.

2018 विंटर ओलंपिक्स के दौरान अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस, साउथ कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई-इन के साथ पीछे खड़ीं यो-जॉन्ग. फोटो: विकीमीडिया
2019 के अप्रैल में उन्हें पार्टी के पोलितब्यूरो से हटा दिया गया. KCNA के मुताबिक, उनसे लो प्रोफाइल रहने को कहा गया था क्योंकि डीन्यूक्लराइजेशन या परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर डॉनल्ड ट्रंप और किम जोंग के बीच हनोई में हुई दूसरी मीटिंग असफल हो गई थी. इससे पहले जनवरी, 2017 में अमेरिका ने मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर यो-जॉन्ग को स्पेशली डेजिग्नेटेड नेशनल्स लिस्ट में डाल दिया. इसमें किसी व्यक्ति पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जाते हैं. 2019 में नॉर्थ कोरिया के संसदीय चुनाव में वो सुप्रीम पीपल्स असेंबली के लिए किलिमगिल से चुनी गईं.
जब साउथ कोरिया को 'भौंकने वाला कुत्ता' बोल दिया
इस साल मार्च में नॉर्थ कोरिया ने लाइव फायर मिलिटरी एक्सरसाइज और मिसाइल फायरिंग एक्सरसाइज की थी. साउथ कोरिया ने इसका विरोध किया था. चुप रहने वाली यो-जॉन्ग ने बोल दिया, "नॉर्थ कोरिया के मिसाइल टेस्ट पर दक्षिण कोरिया की शिकायत ऐसी है, मानो कोई डरा हुआ कुत्ता भौंक रहा हो." ये यो-जॉन्ग का पहला आधिकारिक रूप से दर्ज बयान है. 'द गार्डियन' के मुताबिक, सोल की योनसेई यूनिवर्सिटी में रिसर्च फेलो यंगशिक बॉन्ग कहते हैं,
इससे पता चलता है कि किम जोंग-उन ने साउथ कोरिया के बारे में ऐसा बयान देने के लिए हामी भरी. ज़ाहिर है कि वो अपनी बहन को अपना ऑल्टर ईगो बनाने के लिए तैयार हैं.'द गार्डियन' के मुताबिक, सोल की एवहा यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर लीफ-एरिक इस्ले कहते हैं,
उन्होंने (यो-जॉन्ग) शासन के ब्रांड को मॉडर्नाइज करने की स्किल दिखा दी हैं और प्रोपगैंडा में भी उनका बोल-बाला है. भाई के विश्वासपात्र के तौर पर ये उनका सबसे प्रमुख काम है.जानकारों को लगता है कि अगर कभी किम जोंग की असमय मृत्यु होती है, तो उनकी बहन यो-जॉन्ग ही सत्ता संभालें. नॉर्थ कोरिया में अब तक पितृसत्ता ही रही है. मान लीजिए ऐसा होता है तो नॉर्थ कोरिया की पॉलिटिक्स में ये बड़ा शिफ्ट होगा.
पड़ताल: कोरोना वायरस नॉर्थ कोरिया वाले किम जॉन्ग ने क्या दिमाग खराब करने वाला काम किया है?