The Lallantop

क्या अमर सिंह देश के अगले राष्ट्रपति होने वाले हैं?

ये आदमी कुछ भी कर सकता है.

Advertisement
post-main-image
फोटो - thelallantop
दिसंबर 2015. आगरे में ठंड दबा के पड़ रही थी. कोहरे में ताज था. झांक-झांक के देख रहा था कि कौन-कौन आया है. अखबारों में फोटो छपी ठंड से कांपते ताज के आगे बैठे हैं हॉलीवुड के हीरो ऑरलैंडो ब्लूम. और उनकी जांघ पर हाथ रखे अमर सिंह. जो उस वक्त किसी भी पार्टी के नेता नहीं थे. ऑरलैंडों आए थे इंडिया किसी काम से. पर वीजा की दिक्कत हो गई थी. अमर सिंह ने सुषमा स्वराज से बात कर काम करा दिया था.
अमर सिंह ने हमेशा जिंदगी को ऐसे ही जिया है. अभी मुलायम की पार्टी में कांड कराने का ठीकरा अमर के सिर पर ही फूट रहा है. पर ये यहीं तक नहीं रुका है. अमेरिका के प्रेसिडेंशियल चुनाव में भी अमर का नाम आ रहा है. डॉनल्ड ट्रंप ने हिलेरी क्लिंटन पर अमर सिंह से पैसे खाने का आरोप लगाया है. 6 साल तक सपा से बाहर रहने वाले अमर की वापसी हुई राज्यसभा सांसद के रूप में. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश ने रोते-रोते अमर को दलाल कहा तो पिता मुलायम ने गरजकर कहा कि अमर के बारे में एक शब्द नहीं सुनूंगा.
Quote 1
ये सारा कांड होने से पहले अमर सिंह ने जून में ही कहा था कि मैं मुलायमवादी हूं. समाजवादी नहीं. और यही अमर सिंह की पॉलिटिक्स रही है. रिश्तों की. राजनीति का हर इंसान आइडियॉलजी की बात करता है. अमर ने भावनाओं को छुआ. आखिर कितने लोग हैं जिनको अमिताभ बच्चन के घर में पर्सनल कमरा मिलता है सालो भर के लिए. आखिर कितने लोग ऐसे हैं जिनके बारे में अमिताभ कुछ नहीं बोल पाते? कितने लोग ऐसे हैं जिनपर आरोप लगता है कि देश की सबसे बड़ी बिजनेस फैमिली अंबानी, सिनेमा फैमिली बच्चन और पॉलिटिकल फैमिली यादव में दंगा करा दिया? बात सही या गलत की नहीं है. बात है एक साधारण से दिखने वाले शख्स की जो 1996 से लेकर 2010 तक देश की राजनीति में हर जगह मौजूद रहा. और 2016 में जब वापसी की तो उसी अंदाज में.

amar
ऐश्वर्या की इंगेजमेंट में जाते अमर
देख के उलझन बच के निकलना कोई ये चाहे माने ना माने बहुत मुश्किल है गिर के संभलना - अमर सिंह सुनाते हैं ये लाइनें. चाहे आप कुछ भी पूछें.
सहज सीधी राह पर चलना. -आप पूछेंगे,'कैसे?' पर अमर कोई और कविता सुना देंगे.
कहते हैं कि अब मैं भर चुका हूं. कोई इच्छा नहीं रही. बताने लगते हैं कि उदयपुर में कैसे ट्राइबल लड़कियों का पालन-पोषण कर रहे हैं. फिर आगे बताते हैं कि हाउस ऑफ लॉर्ड्स के बैरनेस वर्मा के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट भी चला रहे हैं. इतना वक्त गुजरने के बाद भी अमर राजनीति और बिजनेस में मौजूद हैं. तभी लोगों के मन में जिज्ञासा आती रहती है कि अमर ने आखिर कितना पैसा बनाया होगा.
ये सब करने के दौरान अमर की अपनी बेटियों से नहीं बनती थी. हालांकि अमर कहते हैं कि अब सब ठीक है. इनके जानने वाले कहते हैं कि अमर अपने दोस्तों के लिए इतने लॉयल हैं कि गलतियां भी कर देते हैं. 2011 में इनकी दोस्त जया प्रदा के साथ इनको भी बाहर कर दिया गया था. अखिलेश नाराज थे क्योंकि डिंपल कन्नौज से 2009 का लोकसभा चुनाव हार चुकी थीं और इसमें अमर सिंह का हाथ माना जा रहा था. फिर 2009 से पहले अमर ने भाजपा के बागी नेता कल्याण सिंह को सपा में शामिल करा दिया था. ये बात आजम खान को नहीं पची. क्योंकि यूपी में बाबरी मस्जिद गिरते वक्त मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ही थे. 2011 में ही जेल भी जाना पड़ा. कैश फॉर वोट वाले मामले में. मुलायम को ये सब याद है. तभी तो कहा कि अमर ना होते तो मैं सात साल के लिए जेल चला जाता. 2003 में अमर ने सपा के घोर विपक्षी भाजपा से गठजोड़ कराकर मुलायम की सरकार भी बनवा दी थी.
Quote 1
रिश्तों की बात करें तो अमर ही वो शख्स हैं, जिसने मुलायम को मना लिया था साधना को पब्लिकली बीवी मानने के लिए. यूपी के समाज में दूसरी बीवी को सालों तक छुपा के रखना और फिर मानना वोट कटवा सकता है. फिर अमर ने ही कंजर्वेटिव यादव परिवार में अखिलेश की शादी ठाकुर लड़की डिंपल से कराई. अखिलेश की बात को समझने वाले यही थे. कहते हैं कि अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने का सुझाव भी अमर का ही था. और अब ये कहा जा रहा है कि साधना के बेटे-बहू प्रतीक और अपर्णा को अखिलेश के खिलाफ खड़ा करने का काम भी अमर का ही है.
27 जनवरी 1956 को जन्मे अमर के पिता का ताला बनाने का कारोबार था. 6 साल की उम्र में अमर परिवार के साथ कलकत्ता चले गए. अमर के मुताबिक लोग उनकी काबिलियत पर डाउट करते थे. पिता भी सोचते कि प्रेसिडेंसी कॉलेज में एडमिशन का ख्वाब लिए ये लड़का औकात से बाहर सोच रहा है. पर अमर ये जोड़ देते हैं कि मेरी मेमोरी बहुत शार्प थी. और हेट करने वाले लोग ही मेरी सफलता का राज हैं. केमिस्ट्री के लिए सेलेक्ट हुए जेवियर कॉलेज में, पर मांगा इंगलिश लिटरेचर. सरप्राइज देने का एंगल शुरू से विद्यमान है. कलकत्ता की महंगी जगहों में अमर का आना-जाना लगा रहता था. पर इनके मुताबिक क्लास के एकमात्र ऐसे लड़के थे जिसके पास अपनी गाड़ी नहीं थी. कॉलेज की लड़कियां भाव नहीं देती थीं. हालांकि बाद में अमर के बॉलीवुड हीरोइनों के साथ फोटो खूब आए हैं. खूब दोस्ती बनाई है इन्होंने बालाओं के साथ भी. अगर बालकों के साथ रही है तो.
सीधी सी बात है. अमर को अंपायरिंग अच्छी नहीं लगती. सचिन बनने की ख्वाहिश नहीं है. रिकी पोंटिंग बनना चाहते हैं. मैच जीतना है. हर हाल में. इस बात को स्पोर्ट के नजरिए से देखा जाए. क्योंकि रिकी का कोई रिश्ता नहीं है अमर से. वो भी इसलिए कि अमर का क्रिकेट में कोई वैसा इंटरेस्ट नहीं है. नहीं तो रिश्तों के बैट्समैन अमर को कोई कैच नहीं कर सकता.
अभी कुछ दिन पहले अखिलेश को डांटते हुए मुलायम ने कहा कि मैं जब चाहूं प्रधानमंत्री बन सकता हूं. अगर ऐसा हुआ तो निश्चित ही अमर राष्ट्रपति बन जाएंगे. कोई रोक पाएगा क्या?


वो पॉलिटिक्स कौन सी थी, जिसका मुलायम भुट्टा भूनकर खा गए

सपा की कलह में ‘छोटी बहू’ के पापा का क्या रोल है?

Advertisement
शिवपाल सिंह यादव की पूरी कहानी

भारतीय राजनीति के शापित अश्वत्थामा हैं अमर सिंह!

मेरी इमोशनल हत्या के जिम्मेदार हैं अमिताभ बच्चन: अमर सिंह

Advertisement
Advertisement
Advertisement