संसद की सुरक्षा में चूक के मसले पर विपक्षी पार्टियों ने आज लोकसभा और राज्यसभा में जमकर हंगामा किया और गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग की. साथ ही विपक्ष के एक धड़े ने गृहमंत्री के इस्तीफे की भी मांग की. मांगों पर हुआ हंगामा. और हंगामा करने और चेयर का अपमान करने के आरोप में आज लोकसभा में कांग्रेस के 9 सांसदों समेत कुल 14 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया है. इनमें से दो सांसद DMK, दो CPM और एक सांसद CPI का है. इन सांसदों का निलंबन शीतकालीन सत्र के बचे हुए दिनों के लिए हुआ है. ये सांसद हैं डीन कुरियाकोस, हिबी ईडन, एस ज्योतिमणि, रम्या हरिदास, टीएन प्रतापन, मनिकम टैगौर, बेन्नी बेहनन,मो. जावेद वीके श्रीकंदन. ये नौ सांसद कांग्रेस के हैं.
संसद में घुसने का प्लान कैसे बना ? पूरी कहानी
आज के लल्लनटॉप शो में बात संसद से निलंबित हुए नेताओं की.इसके अलावा बात संसद पर हमला करने वाले आरोपियों की.

इनके अलावा डीएमके से कनिमोझी और एसआर प्रतिबन. सीपीएम से पीआर नटराजन और एस वेकेंटेशन. सीपीआई से के सुब्रमण्यम. इनके पहले राज्यसभा से टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को सस्पेन्ड कर दिया गया था. सभापति जगदीप धनखड़ ने मंत्री पीयूष गोयल के उस प्रस्ताव को पास किया, जिसमें पीयूष गोयल ने हाउस की वेल में उतरकर नारा लगाने के लिए डेरेक ओ ब्रायन को सस्पेन्ड करने की गुज़ारिश की थी. अब डेरेक ओ ब्रायन को जोड़ दें तो सस्पेन्ड हुए सांसदों की संख्या 15 तक पहुँच जाती है.
सांसदों के निलंबन के बाद चलते हैं संसद की सुरक्षा में चूक पर. अब आगे की कहानी. लेकिन राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस घटना में एक और खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि संसद के अंदर तो दो ही लोग कूदे थे, लेकिन दर्शक दीर्घा में 4 लोग और थे, जो उनकी हौसलाफ़ज़ाई कर रहे थे. वो अभी भी पकड़ से बाहर हैं. ध्यान रहे बेनीवाल ही वो सांसद हैं कि जो वायरल वीडियो में दोनों आरोपियों को मारते हुए दिख रहे हैं. हनुमान बेनीवाल के इस दावे की पुष्टि और इस पर और जानकारी आना अभी बाकी है.
सागर शर्मा मैसूर लोक सभा सांसद प्रताप सिम्हा के पास पर संसद में घुसा था. उसके पिता का नाम शंकरलाल शर्मा है. सागर की मां ने बताया कि शंकरलाल कारपेंटर का काम करते हैं. परिवार में चार लोग हैं. सागर की एक बहन भी है. परिवार लखनऊ के आलमबाग में पिछले 15 सालों से रह रहा है. सागर पहले बेंगलुरू में नौकरी करता था. साल 2023 में जब रक्षाबंधन आया, तो वो अपने घर लखनऊ चला आया. उसका ये मन नहीं था कि वो नौकरी करे. लिहाजा उसने किराये पर एक बैट्री रिक्शा लिया और चलाना शुरू कर दिया. और अब तक यही जारी था. 13 दिसंबर को संसद में घटी घटना के दो दिनों पहले घर से ये बोलकर निकल गया कि वो प्रदर्शन में शामिल होने दिल्ली जा रहा है. और फिर वो दुनिया को संसद में प्रदर्शन करते हुए दिखा.
लोकसभा की पब्लिक गैलरी से चैंबर में कूदने वाला दूसरा आरोपी मनोरंजन डी था. मनोरंजन कर्नाटक के मैसूर का रहने वाला है. उसने बेंगलुरु की विवेकानंद यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. मनोरंजन के पिता ने कहा कि उनका बेटा समाज सेवा करना चाहता था. गरीबों की मदद करना चाहता था. वो नहीं जानते कि उसने ऐसा क्यों किया. पिता ने कहा कि ये जानने के लिए मनोरंजन से बात की जानी चाहिए.
हिसार के रामपुरा मोहल्ला में रहती थी नीलम. गाँव है जींद का उचाना. तीन-चार महीने से रामपुरा की एक पीजी में रह रही थी. पहले दिल्ली में तैयारी कर रही थी. बाद में हिसार आई. जब मीडिया के कैमरे रामपुरा मोहल्ले की पीजी में पहुंचे तो बाकी लोगों ने बात करने से मना कर दिया. कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था. जब पुलिस ने नीलम को पकड़ा, तो वो ये कहती हुई सुनी गई कि वो किसी संगठन से नहीं जुड़ी है. वो बस विरोध कर रही थी.
गिरफ्तारी के बाद नीलम आजाद के कुछ पुराने फोटो और वीडियो भी सामने आए हैं. जिससे पता चलता है कि वो पहलवानों के प्रदर्शन में शामिल थी. एक वीडियो में देखा जा सकता है कि वो एक जगह पर किसानों के साथ धरने में बैठी है. 13 नवंबर को वो संसद के बाहर जय भीम के नारे लगाते हुए अरेस्ट की गई.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहलवानों के प्रदर्शन के दौरान नीलम को साक्षी मलिक की मां के साथ हिरासत में लिया गया था. फिर कुछ घंटों बाद उसे रिहा कर दिया गया. रिपोर्ट में बताया गया है कि नीलम ने किसान आंदोलन में भी भाग लिया था और वो BR अंबेडकर और भगत सिंह से प्रभावित रही है.
नीलम के भाई राम निवास के मुताबिक, उसके पास MA, M Ed और M Phil की डिग्री है. दावा है कि नीलम ने नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट भी पास किया है. भाई ने बताया कि नीलम ट्रेन्ड ग्रेजुएट टीचर की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने दिल्ली गई थीं लेकिन सेलेक्ट नहीं हो सकी. कहा कि नीलम बेरोजगारी के खिलाफ आवाज उठाती रहती है. नीलम की मां सरस्वती ने बताया- वो कहती थी कि मैंने बेकार में इतनी पढ़ाई की, नौकरी तो नहीं मिली, इससे अच्छा तो मैं मर जाऊं. नीलम के समर्थन में हरियाणा के कुछ किसान नेता आए हैं. अरेस्ट का विरोध किया है और कहा है कि वो नीलम के समर्थन में प्रोटेस्ट करेंगे.
अमोल शिंदे लातूर की चकूर तहसील के जारी गांव का निवासी है. सेना में भर्ती होना चाहता था. इसके लिए उसने सेना की कई भर्तियों में हिस्सा भी लिया था लेकिन सेलेक्ट नहीं हो पाया. अमोल के माता-पिता ने बताया कि अमोल आगे पढ़ना चाहता था और इसके लिए वह 4000 रुपये प्रति महीना मांग रहा था लेकिन वो दे नहीं सके क्योंकि उनका सारा पैसा उसकी पढ़ाई पर ही खर्च हो गया. परिजनों ने बताया कि अमोल ने दिहाड़ी मजदूर के तौर पर भी काम किया है.
अमोल के बारे में एक और जानकारी सामने आ रही है. पुलिस पूछताछ में अमोल ने बताया कि जो कलर बम फोड़े गए थे, वो उसने ही खरीदे थे. इन बमों की पाँच कैन के लिए उसने 1200 रुपये महाराष्ट्र के कल्याण में एक दुकानदार को दिए थे.
बता दें कि विक्की शर्मा को छोड़कर बाकी नाम कल देर शाम तक आ गए थे. विक्की वो छठवां साथी था, जिसके बारे में सुरक्षा एजेंसियों को बहुत दिनों तक कोई जानकारी नहीं मिल सकी थी. फिर उसके बारे में और भी जानकारियाँ सामने आईं.
चूंकि विक्की गुरुग्राम का रहने वाला था, लिहाजा उसकी खोज के लिए गुरुग्राम पुलिस की क्राइम यूनिट लगी. अपनी पत्नी के साथ उसे 13 दिसंबर की देर रात अरेस्ट कर लिया गया. उसने पूछताछ में खुलासा किया कि सागर शर्मा उसका रिलेटिव है. साथी ही इस केस के एक अन्य आरोपी मनोरंजन को विक्की की बेटी चाचू कहकर पुकारती है. यानी कम से कम तीन आरोपी एक दूसरे किसी न किसी रूप में जुड़े हुए थे.
विक्की की बेटी ने एक और बात का खुलासा किया है. संसद पर स्मॉग क्रैकर्स से अफरातफरी मचाने वाले सभी पांचों आरोपी मंगलवार यानी 12 दिसंबर को ही उनके घर आए थे. सभी आरोपी विक्की शर्मा के घर पर ही रुके थे.
विक्की के बारे में और भी जानकारियाँ सामने आई है. जैसे उसका एक पुराना आपराधिक रिकार्ड भी रहा है. वो 90 के दशक में एक्टिव फौजी गैंग से भी जुड़ा रहा है.
इसके अलावा थोड़ी बात ललित झा पर भी कर लेते हैं. लोकसभा में घुसपैठ और ट्रांसपोर्ट भवन के पास विरोध प्रदर्शन करने वाले 4 आरोपी तुरंत पकड़ लिए गए थे. बाद में पता चला कि पांचवां आरोपी ललित झा उनके साथ ही था. सागर और मनोरंजन ने सदन में घुसपैठ की. बाहर नीलम और अमोल विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और ललित इनका वीडियो बना रहा था. उसी के पास इन चारों आरोपियों के मोबाइल फोन थे. वो बंगाल के कई NGOs से जुड़ा है. ऐसा ही एक NGO है, साम्यवादी सुभाष. इस NGO को ललित और बंगाल में रहने वाले शिक्षक नीलाक्ष आइच मिलकर चलाते हैं. ये NGO ग्रामीण बंगाल में एक्टिव है. खासकर पुरुलिया और झालग्राम के जिलों में.
सूत्रों के हवालों से आई खबरों के मुताबिक, संसद में घटी घटनाओं का ललित ने वीडियो बनाया और उसे नीलाक्ष को भेज दिया. नीलाक्ष ने पूछताछ में बताया है कि जब ये वीडियो उन्हें मिला, तो वो क्लास में थे. तब तक नहीं देख पाए थे. लेकिन उन्होंने वीडियो देखा. और ललित से वीडीओ का बैकग्राउंड पूछा. लेकिन इसके बाद ललित की ओर से कोई जवाब नहीं आया.
पुलिस को ललित की लास्ट लोकेशन राजस्थान के नीमराणा के गंडाला गाँव में मिली थी. पुलिस ने छापा मारा लेकिन तब तक ललित मौके से फरार हो गया था.
दिल्ली पुलिस ने बताया है कि गिरफ्तार हुए 4 आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की ट्रेसपासिंग की धारा 452, आपराधिक साजिश की धारा 120-B, 153, 186, 353 और UAPA की धाराओं 16 और 18 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. इसके साथ ही, अब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल इस मामले की जांच करेगी.
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 13 दिसंबर की रात को ही जांच कमिटी द्वारा मामले की जांच का आदेश जारी किया. गृह मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट कर इसकी जानकारी दी. मंत्रालय ने लिखा,
"लोकसभा सचिवालय के अनुरोध पर गृह मंत्रालय ने संसद में सुरक्षा चूक की घटना के मामले में जांच का आदेश जारी कर दिया है. CRPF के महानिदेशक अनीश दयाल सिंह के नेतृत्व में एक जांच समिति का गठन किया गया है. इसमें बाकी सुरक्षा एजेंसियों के सदस्य और विशेषज्ञ भी शामिल हैं. जांच समिति संसद में सुरक्षा चूक के कारणों की जांच करेगी. इसमें हुई कमियों की पहचान करेगी. इसके साथ, इस पर आगे की जाने वाली कार्रवाई की सिफारिश करेगी. जांच समिति जल्द से जल्द संसद में सुरक्षा में सुधार किए जाने के सुझावों और अपनी सिफारिशों के साथ रिपोर्ट सौंपेगी."
संसद की सुरक्षा से जुड़े 8 लोग सस्पेंडउनके नाम हैं रामपाल, अरविंद, वीरदास, गणेश, अनिल, प्रदीप, विमित, नरेंद्र. इसके अलावा राज्यों के सीएम समेत कैबिनेट सेक्रेटरी, होम सेक्रेटरी और सभी मंत्रालयों के अधिकारियों की एंट्री अब सिर्फ शार्दूल और गरुड़ द्वार से होगी. सुरक्षा में अपग्रेड के तहत संसद की तरफ जाने वाले तमाम रास्तों की सुरक्षा दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ की तरफ से कड़ा कर दिया गया है. ट्रांसपोर्ट भवन की तरफ जाने वाले सभी रास्तों पर लोगों की आवाजाही के साथ-साथ उनके आइडेंटी कार्ड पूरी तरीके से चेक किया जा रहे हैं.
कुछ और डीटेल सामने आती हैं. जैसे सभी आरोपी भगत सिंह फैन पेज नामक फ़ेसबुक पेज से जुड़े हुए थे. और चारों ही भगत सिंह की विचारधारा से प्रेरित बताए जा रहे हैं. चारों आरोपी लगातार पूछताछ में बता रहे हैं कि बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं, मणिपुर की समस्याओं पर सरकार का ध्यान दिलवाना था इसलिए वारदात को अंजाम दिया. आरोपी ये भी कह रहे हैं की पीएम से मिलना था बात रखनी थी. हालांकि जांच एजेंसियां पूरी तरह इस बात पर यकीन नहीं कर रही है.
जांच में ये भी बात सामने आई है कि चारों आरोपियों का मोबाइल फोन ललित के पास है और ललित फरार है. जांच एजेंसियों को शक है कि मोबाइल से सबूत मिटाने के लिए ललित सबके फोन लेकर भाग गया. अभी तक इस वारदात का मास्टरमाइंड ललित को ही माना जा रहा है.
अब बात उन माननीय की, जिन्होंने संसद में एंट्री दिलवाई. प्रताप सिम्हा. कर्नाटक की मैसूर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के 2 बार के सांसद हैं. 2014 में प्रताप सिम्हा ने कांग्रेस के अडागुरू विश्वनाथ को करीब 28 हज़ार वोट से हराया था. फिर 2019 में उन्होंने कांग्रेस के ही CH विजयशंकर को करीब 1 लाख 38 हज़ार वोट के बड़े अंतर से हराया. सांसद बनने से पहले प्रताप सिम्हा पत्रकार थे. 1999 से वो पत्रकारिता कर रहे थे. 2014 में ये पेशा छोड़ा, बीजेपी से टिकट मिला और पहले ही चुनाव में जीतकर संसद पहुंच गए.
सांसद बनने के एक साल बाद ही यानी 2015 में प्रताप सिम्हा पहली बार सुर्ख़ियों में आए, जब उन्होंने टीपू सुल्तान का जन्मोत्सव समारोह मनाने के लिए कर्नाटक की तत्कालीन कांग्रेस सरकार की काफी आलोचना की थी. कहा था कि टीपू सुल्तान केवल इस्लामवादियों के लिए ही आदर्श हो सकता है और उसका जन्मदिन मनाकर मुख्यमंत्री सिद्दारमैया राज्य में जिहादियों को बढ़ावा दे रहे हैं.
2022 में प्रताप सिम्हा एक बार फिर विवादों में आए. नवंबर 2022 में उन्होंने कहा,
"मैंने सोशल मीडिया पर एक बस अड्डे की फोटो देखी. इसके ढांचे में एक बड़े और दो छोटे गुंबद हैं. ये ढांचा मस्जिद से प्रेरित होकर बना है. मैंने इंजीनियर्स और स्थानीय अथॉरिटी से कहा है कि वो जल्द से जल्द इस बस अड्डे की इमारत को गिरा दें वरना मैं ख़ुद JCB लेकर जाऊंगा और इसे गिरा दूंगा."
ये बस अड्डा मैसूर की ही कृष्णराजा विधानसभा सीट में आता है. प्रताप की इस टिप्पणी के बाद इस सीट से तत्कालीन बीजेपी सांसद एसए रामदास ने कहा था कि प्रताप का ऐसा कहना दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि बस अड्डे की डिजाइन मैसूर पैलेस से प्रभावित है.
अब जब घुसपैठियों का पास बनवाने में उनकी भूमिका सामने आई है. तो उन्होंने ओम बिड़ला और प्रह्लाद जोशी के सामने सफाई दी. और कहा कि आरोपी सागर शर्मा के पिता उनके निर्वाचन क्षेत्र मैसूर में रहते हैं और उन्होंने नए संसद भवन का दौरा करने के लिए पास मांगा था. इसलिए उन्होंने पास दिलवाया. बीजेपी सांसद ने कहा कि उन्होंने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि पास मिले, इसके लिए उन्होंने अपने स्टाफ से भी बात की. लेकिन इससे ज्यादा उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
संसद में घुसपैठ मामले के चारों आरोपियों को खालिस्तानी आतंकी समूह सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने लीगल एड देने की पेशकश की है. उसने इस मामले में मैसेज जारी किया कि वो इस केस के आरोपियों को 10 लाख की कानूनी सहायता देगा. हालांकि, पूरे प्रकरण में उसकी संलिप्तता है या नहीं, इस पर पन्नू ने कोई टिप्पणी नहीं की है. उसकी संलिप्तता का सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि उसने पहले ही13 दिसंबर के दिन संसद भवन उड़ाने की धमकी दी थी.
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक संसद में लगी मशीनें आज से लगभग 19 साल पहले यानी साल 2004 में खरीदी गईं थीं. फुल फ्रेम डोर स्कैनर हैं. लेकिन कारगर इतनी ही हैं कि जूते-मोजे में छपी चीजें नहीं पकड़ सके. उम्मीद है कि इन्हें बदला जाएगा. हालांकि बदलने के प्रयास जारी थे. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 12 दिसंबर को ही Central Public Works Department (CPWD) ने टेंडर निकाला था. 35 करोड़ के इस टेंडर का उद्देश्य था कि संसद में अतिरिक्त सुरक्षा बढ़ाई जा सके, नए सिक्युरिटी गैजेट लगाए जा सकें, नए सिक्योरिटी ब्लॉक बनाए जा सकें और बुलेट प्रूफ मोर्चा बनाया जा सके.
एक नज़र इकॉनॉमिक टाइम्स की इस रिपोर्ट पर भी डालिए जो कहती है कि एक महीने से भी अधिक वक्त से संसद के ज्वाइंट सेक्रेटरी सिक्योरिटी का पद खाली है. ध्यान रहे ये वो पद होता है जिस पर बैठने वाले व्यक्ति के पास संसद की सुरक्षा का सारा जिम्मा होता है. इसी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि सांसदों के अतिथियों में इजाफा हुआ है. और उनकी सुरक्षा जांच में कठिनाई होती है. कई बार कुछ सांसद खुद ही अतिथियों को जल्दी-जल्दी अंदर भेजने की कोशिश करते हैं. और ऐसा करने से रोकने पर सांसद विरोध जताते हैं.
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