मितरों... जब हम और आप छोटे बच्चे थे, तो क्या करते थे? बड़ी शरारतें करते थे. लेकिन छह साल के अरहाम ओम तलसानिया ऐसा नहीं करते. वो तो कम्प्यूटर, लैपटॉप में कोडिंग करते हैं. तभी तो वो सबसे कम उम्र के कम्प्यूटर प्रोग्रामर बन गए हैं और इसका गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना लिया है. इसी वजह से खबरों में हैं. रहने वाले हैं अहमदाबाद के. दूसरी क्लास में पढ़ते हैं और अभी से ही माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफिकेशन एग्ज़ाम भी क्लियर कर लिया है.
अगर इस पक्षी का शिकार हो जाता, तो शायद कभी गिनीज़ बुक का जन्म ही न होता!
या यूं कहें कि शराब कंपनी के प्रमोशन के आइडिया ने इतिहास रच दिया.


6 साल के अरहाम. (फोटो- ANI)
गुजरात की ही एक और लड़की है. नाम है निलांशी पटेल. 18-19 बरस की हैं. इनके नाम पर भी गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड है. किसी टीनेजर के सिर पर सबसे लंबे बाल होने का रिकॉर्ड निलांशी ने अपने नाम किया है. और ऐसा उन्होंने तीसरी बार किया है. इसी के चलते चार-पांच दिन पहले निलांशी भी खबरों में थीं.

निलांशी पटेल. (फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट)
ऐसी एक या दो नहीं, बल्कि कई सारी खबरें आए दिन आती हैं कि फलां ने इस मामले में गिनीज़ रिकॉर्ड बनाया, अलां ने उस मामले में. तो हमने सोचा कि क्यों न आपको ये बता दिया जाए कि गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड आखिर किस चिड़िया का नाम है और ये चिड़िया पैदा कैसे हुई? कई सवाल हैं, एक-एक करके जवाब खंगालेंगे.
एक शिकार में चूक हुई और इतिहास रच गया
भारत से करीब आठ हज़ार किलोमीटर दूर यूरोप में एक देश है आयरलैंड. यहां 18वीं सदी में एक ब्रूअर यानी शराब बनाने वाले का जन्म हुआ. नाम था आर्थर गिनीज़. आयरलैंड की राजधानी डबलिन में इन्होंने 1759 के आस-पास गिनीज़ ब्रुअरी यानी शराब की भट्टी खोली. वो मौजूदा समय में ब्रिटिश शराब कंपनी डियाजियो (Diageo) का हिस्सा है. लेकिन 1990 के दशक के पहले तक ये इंडिपेंडेंट कंपनी हुआ करती थी. गिनीज़ ब्रुअरी में एक मैनेजिंग डायरेक्टर हुए. नाम था सर ह्यू बीवर.
'TIME' वेबसाइट के मुताबिक, नवंबर 1951 की बात है. ह्यू अपने दोस्तों के साथ एक हंटिंग ट्रिप पर गए. आयरलैंड के काउंटी वैक्सफोर्ड इलाके में. यहां इन्होंने गोल्डन प्लोवर नाम के पक्षी का शिकार करना चाहा, लेकिन निशाना लग नहीं पाया. इस पर बीवर ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि गोल्डन प्लोवर यूरोप का सबसे तेज़ गेम बर्ड है. (गेम बर्ड यानी वो पक्षी, जिसका खाने के लिए या खेल के तौर पर शिकार किया जाए). इसी बात उनकी और उनके दोस्तों की बहस हो गई. लेकिन कोई भी सटीक नतीजे पर नहीं पहुंच पाया, क्योंकि उन्हें ऐसी कोई किताब नहीं मिली, जहां इस सवाल का जवाब उन्हें मिले.
तभी बीवर के दिमाग में ये आइडिया आया कि इस तरह के सवालों के जवाब के लिए एक किताब का होना ज़रूरी है. साथ ही उन्हें ये आइडिया गिनीज़ के प्रमोशन के लिए भी सही लगा. फिर 1954 में उन्होंने लंदन के दो जुड़वा भाइयों को बुलाया. नॉरिस मैक्विर्टर और रॉस मैक्विर्टर. दोनों फैक्ट-फाइंडिंग रिसर्चर थे. टास्क दिया कि इस तरह के फैक्ट्स, जैसे कौन सबसे तेज़, सबसे लंबा, छोटा टाइप.. इन सारे सवालों के जवाब की किताब तैयार की जाए.
प्लानिंग ये थी कि इस किताब को बार और पब्स में फ्री में बांटा जाएगा, ताकि इससे गिनीज़ ब्रुअर की पब्लिसिटी भी हो. मैक्विर्टर ब्रदर्स ने गिनीज़ बुक लिखने के लिए लंदन का ऑफिस चुना. ढेर सारी रिसर्च के बाद 1955 में पहली बार गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स पब्लिश की गई. बहुत हिट हुई. करीब 50 हज़ार कॉपियां दोबारा प्रिंट की गईं और बेची गईं. उसके बाद से हर साल इस किताब को पब्लिश करने का सिलसिला शुरू हुआ. गिनीज़ बुक ने कई बार सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब का रिकॉर्ड भी बनाया.

लेफ्ट टू राइट: सर ह्यू बीवर. पहली गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक. रॉस और नॉरिस मैक्विर्टर. (फोटो- गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की आधिकारिक वेबसाइट)
किताब के पहले एडिशन की सफलता के बाद से ही मैक्विर्टर ब्रदर्स इसे पब्लिश करते रहे. साल दर साल नए-नए रिकॉर्ड्स इसमें शामिल होते, पुराने टूटते रहे. मैक्विर्टर ब्रदर्स को भी खासी पब्लिसिटी मिलती रही. कुछ टीवी शो का भी हिस्सा बने, लेकिन 1975 में रॉस मैक्विर्टर की हत्या कर दी गई. हालांकि इसके बाद भी किताब का पब्लिकेशन चलता रहा. 1999 तक इसे गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स या गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स कहा जाता था. लेकिन इस साल इसका नाम बदलकर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड कर दिया गया. 'बुक' शब्द हटा दिया गया. साल 2000 में इसकी अपनी वेबसाइट भी लॉन्च कर दी गई- Guinnessworldrecords.com. यानी गिनीज़ रिकॉर्ड्स ने डिजिटल दुनिया में एंट्री मार ली. गिनीज़ वर्लड रिकॉर्ड्स 2021 की किताब भी मार्केट में आ चुकी है.
गिनीज़ बुक में जगह पाने के लिए क्या करें
खैर, अब तो सबकुछ ऑनलाइन हो गया है. तो ज्यादा भटकने की ज़रूरत नहीं है. आपको अगर लगता है कि आपमें कोई ऐसा टैलेंट है, या आप किसी नेचुरल कारणों से किसी फील्ड में बाकियों से अलग हैं, तो आप ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं. वेबसाइट के ज़रिए ही. गिनीज़ की टीम को अगर आपका टैलेंट या खूबी अलग लगती है, तो उसका जायज़ा लिया जाएगा. उसके बाद ही फैसला होगा.
भई कुछ अजीब रिकॉर्ड्स भी इसमें दर्ज हैं.
जैसे- भारत के श्रीधर चिल्लाल के नाम हाथ की उंगलियों में सबसे लंबे नाखून होने का रिकॉर्ड है.

इंग्लैंड के गैरी टर्नर के नाम सबसे ज्यादा स्ट्रेच होने वाली त्वचा का रिकॉर्ड दर्ज है. एकदम पॉलीथीन की तरह उनकी स्किन स्ट्रेच हो सकती है.

ब्राज़ील की इलैन डेविडसन के नाम शरीर में सबसे ज्यादा पियर्सिंग कराने का रिकॉर्ड दर्ज है.

सर्बिया के दालिबोर जाब्लानोविक के शरीर में बिना किसी ग्लू के मेटल चिपक जाता है.

इसी तरह के और भी कई अजीबो-गरीब रिकॉर्ड्स आपको गिनीज़ बुक में मिल जाएंगे. आखिर में, उस सवाल का जवाब, जिससे कहानी शुरू हुई- सबसे तेज़ गेम बर्ड गोल्डन प्लोवर ही है.